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मध्यप्रदेश के विधायक क्या बहुत गरीब हैं। खासतौर से वो विधायक जिनके दल की सरकार इस प्रदेश में पिछले बीस साल से काबिज हैं। क्या वो इतने गरीब हैं कि सरकार की योजनाओं का हिस्सा बनने के लिए मजबूर हैं। या फिर इतने बेबाक कि मान चुके हैं कि जब सैंया भये कोतवाल तो डर काहे का। यानी जब अपनी ही सरकार है तो गरीबों के हक पर डाका डालो और योजनाओं का लाभ लो। सरकार अपनी है तो नुकसान भी क्या है।
मध्यप्रदेश में ऐसा ही एक मामला सामने आया है। उसके बाद ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या बीजेपी विधायक और बीजेपी नेता गुपचुप तरीके से अपनी ही सरकार की चलाई योजनाओं का लाभ ले रहे हैं। बताएंगे आपको ऐसे ही एक बीजेपी विधायक के बारे में जो अपनी दोनों पत्नियों के साथ एक योजना का लाभ लेने की पूरी कोशिश में थे।
मध्यप्रदेश सरकार में आम लोगों के लिए कई योजनाएं चल रही हैं। लाड़ली लक्ष्मी, लाड़ली बहना, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना जैसी योजनाएं तो देशभर में फेमस हैं और अपने-अपने स्तर पर अलग-अलग प्रदेश उन्हें अपना भी रहे हैं। ऐसी हर योजना का उद्देश्य सिर्फ एक है कि जो तबका बुनियादी सुविधाएं भी अफोर्ड नहीं कर सकता। उन्हें भी अच्छी जिंदगी गुजारने का मौका मिले।
जानिए क्या है मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना
ऐसी ही एक योजना है मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना। इस योजना के तहत प्रदेश के साठ साल से ऊपर के बुजुर्गों को अलग अलग धार्मिक स्थलों की यात्रा करवाई जाती है। शर्त ये है कि योजना का लाभार्थी आयकर दाता यानी कि टैक्स पेयर नहीं होना चाहिए। इसके अलावा भी बहुत सारे नियम हैं। मसलन लाभार्थी को स्वस्थ होना चाहिए। वो पहले किसी और यात्रा पर न गया। लेकिन, गौर करिए इस बात पर कि लाभार्थी को टैक्स पेयर नहीं होना चाहिए। जाहिर तौर पर ये क्लॉज लाभार्थी की इनकम से जुड़ा हुआ है। आपको क्या लगता है कि क्या एक विधायक इस क्लॉज पर फिट बैठता है। क्या सत्ताधारी दल का ही एक विधायक इस योजना का लाभ उठा सकता है। या उसे उठाना चाहिए।
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एमपी में विधायक का वेतन एक लाख रुपए से ऊपर
मप्र में एक विधायक का वेतन तीस हजार रुपए है। इसके ऊपर उसे 35 हजार रुपए निर्वाचन क्षेत्र भत्ता। दस हजार रुपए टेलीफोन भत्ता, 15 हजार रुपए तक कंप्यूटर ऑपरेटर का भत्ता मिलता है। इस तरह के सारे भत्ते मिलाकर विधायक का वेतन एक लाख रुपए से ऊपर चला जाता है। इसके अलावा ढेरों सुविधाएं भी मिलती हैं। जिसमें बंगला, दो ड्राइवर, इलाज, रेलवे का कूपन जैसी सुविधाएं शामिल होती हैं। एक ही बार विधायक बनने पर पेंशन भी पक्की हो जाती है। सीधी-सीधी इनकम की बात करें तो ये सारी सुविधाएं और वेतन कम नहीं होता। इसके बावजूद मध्यप्रदेश के एक विधायक ने योजना का गुपचुप तरीके से लाभ लेने की कोशिश की और पकड़े गए।
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पकड़े गए विधायकजी
ये विधायक हैं खिलचीपुर विधायक हजारीलाल दांगी जो अपनी दोनों पत्नियों के साथ मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना का लाभ लेने की कोशिश कर रहे थे। सोमवार, 15 सितंबर को करीब 179 तीर्थयात्रियों का एक दल असम की मां कामख्या धाम के दर्शन के लिए रवाना होना था। इस दल में तीन नाम भाजपा विधायक हजारीलाल दांगी और उनकी पत्नियों ज्योत्सना दांगी और सरदार बाई के भी थे।
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लिस्ट में बीजेपी की महिला नेता भी
खबर तो ये भी है कि बीजेपी की ही एक महिला नेत्री इंद्रा मूंदड़ा भी इस लिस्ट में जगह पाने में कामयाब रही थीं। मामला खुलते ही कांग्रेस ने इस मुद्दे पर पूरी ताकत से आवाज उठाई है। राजगढ़ जिले के कांग्रेस अध्यक्ष प्रियव्रत सिंह ने कहा कि ये योजना गरीबों के लिए बनाई गई है। लेकिन, बीजेपी नेता और उनके परिवार इस योजना से जुड़ रहे हैं। ये योजना की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। प्रियव्रत सिंह ने संबंधित अधिकारियों पर भी आरोप लगाया कि उन्होंने सब कुछ जानते बूझते बीजेपी के नेताओं को लाभ दिया है।
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इस नियमित कॉलम न्यूज स्ट्राइक (News Strike) के लेखक हरीश दिवेकर (Harish Divekar) मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं