News Strike: Jyotiraditya Scindia के पक्ष में फिर बोले Digvijay Singh! क्या है बदले सुरों का राज?

मध्यप्रदेश का पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने हाल ही में ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए अपना रुख नरम किया और सिंधिया परिवार के प्रति अपना सम्मान व्यक्त किया। वे कांग्रेस के खिलाफ सिंधिया के बयान को माफ करते हुए उनके राजनीतिक रिश्तों पर ध्यान दे रहे हैं।

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Harish Divekar
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Photograph: (THESOOTR)

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NEWS STRIKE: कांग्रेस पार्टी को चरित्रहीन करने वाले नेता के लिए दिग्विजय सिंह के मुंह से फूल झड़ रहे हैं। वैसे कांग्रेस के प्रति दिग्विजय सिंह की निष्ठा पर कोई संदेह नहीं किया जा सकता। अपने भाई और पार्टी के बीच भी उन्होंने पार्टी को भी चुना।

फिर ऐसा क्या हुआ है कि दिग्विजय सिंह कांग्रेस को कोसने वाले नेता की तरफदारी कर रहे हैं। इतना ही नहीं उस इतिहास को भी बदल रहे हैं जो अब तक उनके राजघराने के लिए सुना सुनाया जाता रहा है। कहीं इसके पीछे कोई गहरी दिग्विजय डिप्लोमेसी चलिए समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर क्यों बदले बदले से ये सरकार नजर आते हैं। 

क्या ये पुराने इतिहास को बदलने की कोशिश है? 

हमने कुछ ही दिन पहले आपसे कहा था कि सियासत की ये तस्वीर प्रदेश की राजनीति में नया इतिहास रचने वाली है। आपको यकीन हो न हो, लेकिन इसकी झलक दिखाई भी देने लगी है।

नया इतिहास दिखाना अलग बात है इस तस्वीर के साथ कुछ पुराने इतिहास भी बदलने की पूरी कोशिश है। दिग्विजय सिंह राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं। पॉलिटिक्स के मैदान में कब कौन सा पैंतरा काम आएगा ये दिग्विजय सिंह खूब जानते हैं। इस बार पहला पैंतरा ज्योतिरादित्य सिंधिया ने चला।

कुछ तस्वीरों को देखकर लगता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया दिग्विजय सिंह से गिले शिकवे दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन गौर से समझेंगे तो लगेगा कि दिग्विजय सिंह शायद ऐसे ही किसी मौके की तलाश में थे। जिसे लपकने में उन्होंने देर नहीं की।

बात और आगे बढ़े उससे पहले आपको बता दें कि हाल ही में जो बिहार में गाली कांड हुआ। जिसका बीजेपी ने खूब विरोध भी जताया। उस गाली कांड में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस को कैरेक्टलेस पार्टी तक कह डाला।

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दिग्विजय ने बताया दोनों राजघरानों का इतिहास

इसके बाद भी दिग्विजय सिंह के शब्दों में सिंधिया के लिए गजब का प्यार भरा हुआ है। उनका एक इंटरव्यू बड़ा वायरल हो रहा है। जो उन्होंने बमुश्किल तीन ही दिन पहले दिया है।

इस इंटरव्यू में उनके मुंह में सिंधिया के लिए मिसरी घुली हुई है। इसकी मिठास इतनी है कि दिग्विजय सिंह पुराना इतिहास भी कुछ अलग अंदाज में बता रहे हैं। जो लोग सिंधिया राजघराने और राघौगढ़ घराने के बारे में जानते हैं। वो आपको यही बताएंगे कि दोनों के बीच संबंधों में अक्सर तल्खी ही नजर आई, लेकिन दिग्विजय सिंह ने दोनों राजघरानों के बीच मधुर संबंधों का अलग ही इतिहास बताया। 

तो दिग्विजय सिंह ने ये साफ कर दिया कि दोनों राजघराने के बीच की तल्खी, राजशाही खत्म होने के साथ खत्म हो गई थी। लगे हाथ दिग्विजय सिंह ने अपनी पीठ भी थपथपाई और बताया कि किस तरह उन्होंने माधवराव सिंधिया को वो कांग्रेस में लाए और राजमाता के खिलाफ प्रचार भी करवा लिया।

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सिंधिया के क्षेत्राधिकार में दखल नहीं दिया: दिग्विजय

यहां तक तो सब ठीक था। असल खबर इतनी बातचीत के बाद शुरू होती है, लेकिन उससे पहले क्या आपने नोटिस किया दिग्विजय सिंह कितने सम्मान के साथ सिंधिया परिवार के एक-एक सदस्या का नाम ले रहे हैं। चाहें वो राजमाता का नाम हो या फिर माधव राव सिंधिया का।

इस इंटरव्यू में दिग्विजय सिंह ने ये भी साफ कर दिया कि सीएम रहते हुए भी उन्होंने कभी सिंधिया के क्षेत्राधिकार में दखल नहीं दिया। अफसर और कांग्रेस का जिलाध्यक्ष तक ग्वालियर चंबल में सिंधिया ही तय करते रहे। 

जब से सिंधिया दिग्विजय सिंह का हाथ पकड़कर उन्हें मंच तक लेकर गए हैं। तब से दिग्विजय सिंह का सिंधिया प्रेम जाग उठा है। इस प्रसंग के बाद ही उन्होंने एक इंटरव्यू में ये कह दिया था कि सिंधिया की मांगें पूरी हो जाती तो शायद सिंधिया दल बदल नहीं करते। जिसके बाद कमलनाथ ने भी ट्वीट कर गड़े मुर्दे न उखाड़ने की सलाह दी थी।

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एमपीसीए मामले में सिंधिया का बचाव करते दिखे 

इसी बीच सिंधिया के बेटे महाआर्यमन सिंधिया के एमपसीए का अध्यक्ष बनने पर बवाल हुआ तब भी दिग्विजय सिंह उनके बचाव में आगे आए। उन्होंने साफ कहा कि जब व्यापारी का बेटा व्यापारी बन सकता है वकील का बेटा वकील तो नेता का बेटा नेता क्यों नहीं बन सकता।

परिवारवाद सब जगह होता है और अब वो इस इंटरव्यू में सिंधिया के प्रति बड़ा सॉफ्ट रुख जता रहे हैं। इस इंटरव्यू में उन्होंने ये माना कि लोकसभा चुनाव हारने के बाद सिंधिया काफी डिमोरलाइज हो गए थे। उस समय उन्हें कांग्रेस पार्टी से जो सपोर्ट चाहिए था वो हम उन्हें नहीं दे पाए।

दल बदल के लिए सिंधिया को दे दी क्लीनचिट!

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पहले सिंधिया के साथ हाथ में हाथ डालकर चलना। फिर कमलनाथ पर इन डायरेक्टली आरोप लगाना और अब सिंधिया से अपने गहरे रिश्तों पर बात करना, इतने पर ही बात खत्म नहीं होती।

ऐसा लगता है कि उन्होंने दल बदल के लिए सिंधिया का क्लीनचिट दे दी और सारा इल्जाम उस दौर की कांग्रेस पर डाल दिया। लेकिन दिग्विजय सिंह जैसा खांटी राजनेता ऐसा बोल रहा है तो इसका मतलब कुछ गहरा तो जरूर होगा। जो इन दिनों हो रही सियासी बयानबाजी से बहुत आगे की सोच हो सकती है।

क्या सिंधिया के भरोसे दिग्विजय सिंह अब अपने बेटे राजवर्धन के सियासी भविष्य को चमकाने की कोशिश कर रहे हैं। दिग्विजय ये खूब जानते हैं कि ग्वालियर चंबल का बड़ा नेता बनना है तो सिंधिया को अपने खेमे में लाना बहुत जरूरी है। फिर भले ही वो दलों के मार्फत न हो सके, लेकिन कम से कम दिलों के जरिए तो बात बन ही सकती है और फिर इस बार तो खुद सिंधिया ने हाथ आगे बढ़ाने की पहल की है तो दिग्विजय सिंह इस मौके को कैसे चूक सकते थे। 

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बेटे को ग्वालियर चंबल में सेटल कराना चाहते हैं दिग्विजय सिंह?  

आपको ये तो पता ही होगा कि दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह कांग्रेस से विधायक हैं। कमलनाथ सरकार में उन्हें कैबिनेट में भी जगह मिली थी। हो सकता है कि दिग्विजय सिंह की ख्वाहिश हो कि जयवर्धन उन्हीं की तरह ग्वालियर चंबल की राजनीति का बड़ा चेहरा बन सकें। इसके लिए परोक्ष या अपरोक्ष रूप से सिंधिया की मदद की जरूरत होगी ही।

खुद दिग्विजय ये बता चुके हैं कि उनकी सरकार में भी ग्वालियर चंबल में अफसरों की तैनाती सिंधिया की मर्जी से होती थी। ये परंपरा तब भी कायम रही जब सिंधिया कांग्रेस में थे और प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी। अब तो सिंधिया डबल इंजन की सरकार में सवार हैं। तो ग्वालियर चंबल में हर मोहरा उनके हिसाब से तय होना लाजमी ही है। क्या अपने बेटे को ग्वालियर चंबल के नेता के रूप में सेटल करने के लिए सिंधिया के इसी रुआब का फायदा उठाना चाहते हैं दिग्विजय सिंह। 

सियासत की भूल भूलैया सी गलियों में कब पुराने मसले बिसरा दिए जाएं और कब नए रिश्ते बन जाए ये कहा नहीं जा सकता। पर फिलहाल इन पर चरित्रहीन वाले बयान का साया है। सिंधिया का ये बयान क्या दिग्विजय को भी सुर बदलने पर मजबूर करेगा। या दिग्विजय सिंह इस नई सियासी बिसात के बादशाह बन पाएंगे। न्यूज स्ट्राइक

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