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Photograph: (The Sootr)
बिहार में चुनाव है लेकिन पीएम मोदी एमपी में हैं। खबर थी कि पीएम मोदी अपना जन्मदिन बिहार में मनाएंगे। लेकिन पीएम मोदी के मन में बिहार नहीं एमपी है। इस बात का सबूत ये है कि पीएम ने बिहार चुनाव के बीच भी मध्यप्रदेश को चुना है। और वो यहां अपना बर्थडे मनाने आ रहे हैं। इस दौरान बहुत सारे कार्यक्रम तो होंगे ही। ये सवाल भी जरूर होगा कि ऐसे समय में पीएम ने बिहार की जगह एमपी को क्यों चुना है।
सोशल मीडिया ऐसे तमाम शगूफों से भरा है कि पीएम मोदी 17 सितंबर को गयाजी जाएंगे और वहां अपनी मां का पिंडदान करेंगे। ये दिन इसलिए खास है क्योंकि इसी दिन पीएम मोदी का जन्मदिन भी है। लेकिन अब जब पीएम का कार्यक्रम फाइनल हो गया है। अब ये साफ है कि जन्मदिन पर मां का पिंडदान करने की खबरें गलत हैं। सही ये है कि पीएम मोदी एक बार फिर मध्यप्रदेश आ रहे हैं। इस दौरान वो कई जरूरी कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे।
पीएम इस मौके स्वस्थ नारी औऱ सश्क्त परिवार कैंपेन की शुरुआत करेंगे और धार में प्रस्तावित पीएम मित्रा पार्क की आधारशिला भी रखेंगे। पीएम आएंगे तो कार्यक्रम तो होंगे ही। पर इसमें सोचने वाली बात ये है कि पीएम मोदी बार बार एमपी का रुख क्यों कर रहे हैं। मध्यप्रदेश में मोहन सरकार बने 21 महीने का समय बीत चुका है। इस दरम्यान पीएम मध्यप्रदेश में करीब आठ दौरे पूरे हो जाएंगे।
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20 बार मध्यप्रदेश से मुखातिब हो चुके हैं पीएम मोदी
याद दिला दें कि एमपी के साथ साथ राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी चुनाव हुए थे। दोनों ही जगह बीजेपी की सरकार बनी। लेकिन जितनी बार पीएम मध्यप्रदेश आए हैं उतनी बार वो राजस्थान या छत्तीसगढ़ नहीं गए। पीएम सबसे पहले 13 दिसंबर 2013 को मध्यप्रदेश आए।
ये मौका सीएम मोहन यादव की शपथ ग्रहण का मौका था। इसके बाद 11 फरवरी 2024 को वो झाबुआ आए। 25 दिसंबर 2024 पीएम केन बेतवा नदी जोड़ो परियोजना की नींव रखने छतरपुर आए थे। 23 फरवरी 2025 को वो बागेश्वर धाम में आए थे।
24 फरवरी को हुई ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में भोपाल आए, 11 अप्रैल को आनंदपुर धाम और 31 मई को नारी सख्कितर महासम्मेलन के लिए ही भोपाल आए थे। अब 17 सितंबर को फिर मध्यप्रदेश आने की तैयारी पूरी हो चुकी है।
इत्तेफाक देखिए इन आठ कार्यक्रमों के अलावा खुद सीएम मोहन यादव पीएम से आठ बार मुलाकात कर चुके हैं। वर्चुअल कार्यक्रम भी करीब 5 बार हो चुके हैं। यानी कुल बीस बार अलग अलग प्रयोजन से पीएम मोदी मध्यप्रदेश से मुखातिब होते रहे हैं।
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सिर्फ दो बार छत्तीसगढ़ गए हैं पीएम मोदी
दूसरी तरफ, छत्तीसगढ़ में सरकार बनने के बाद पीएम सिर्फ दो बार वहां गए। वो भी एक बार सीएम विष्णुदेव राय के शपथ ग्रहण समारह में शामिल होने। दूसरी बार शिलान्यास और उद्घाटन जैसे कार्यक्रमों में। वर्चुअली जुड़ने की संख्या भी एमपी के मुकाबले कम है। पीएम सिर्फ 3 बार छत्तीसगढ़ से वर्जुअली जुड़े हैं। छत्तीसगढ़ के सीएम की दिल्ली जाकर मुलाकात भी छह ही बार हुई है।
राजस्थान इस मामले में छत्तीसगढ़ से आगे है। भजनलाल शर्मा के सीएम बनने के बाद पीएम मोदी करीब चार बार राजस्थान जा चुके हैं। एक बार भजनलाल शर्मा के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में। इसके बाद 9 दिसंबर 2024 को राइजिंग राजस्थान ग्लोबल समित का उद्घाटन करने, 17 दिसंबर 2023 को 21 जिलों को पीने और सिंचाई से जुड़े पार्वती-काली सिंध-चंबल पूर्वी ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया।
इसके बाद 22 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर के बाद सरहदी जिले बीकानेर में 26 हजार करोड़ से ज्यादा की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इस दौरान पीएम ने छह रेल लाइनों का लोकार्पण और चूरू-सादुलपुर रेल लाइन की आधारशिला भी रखी। मुलाकातों की बात करें तो भजनलाल शर्मा की प्रधानमंत्री से करीब 4 बार मुलाकात हो चुकी है।
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एमपी पर फोकस ज्यादा
इतना तो साफ है कि पीएम मोदी का फोकस बाकी राज्यों के मुकाबले मध्यप्रदेश पर ज्यादा है। बिहार चुनाव के बीच मध्यप्रदेश का चुनाव करना भी ये जाहिर करता है कि मोदी के मन में एमपी किस कदर बसा हुआ है। वो दो बार अपने जन्मदिन के मौके पर मध्यप्रदेश को यादगार सौगात देने वाले पीएम बनने वाले हैं।
इससे पहले साल 2022 को उन्होंने 17 सितंबर को ही श्योपुर जिले के कूनो अभ्यारण्य में चीतों की सौगात दी थी। और, अब वो धार जिले में आकर देश और प्रदेश को आठ बड़ी सौगाते देंगे।
एमपी से प्यारः मजबूरी या मंजूरी?
लेकिन ऐसा क्यों। एमपी से प्यार जताना बीजेपी की मजबूरी है या मंजूरी है ये समझना भी जरूरी है। मध्यप्रदेश से जुड़े आसपास के राज्ये देखेंगे तो इस पॉलिटिकल प्लानिंग को समझना आसान होगा। एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और यूपी में से एमपी ऐसा राज्य है जो बीजेपी के लिए सबसे सेफ स्टेट बन चुका है। बीच के पंद्रह महीने नजरअंदाज कर दें तो कहा जा सकता है कि पिछले बीस साल बीजेपी यहां अंगद के पैर की तरह जम चुकी है।
सरकारें और सियासत कितनी भी ऊपर नीचे होती रही हों। मध्यप्रदेश ने पूरी शिद्दत से हर बार बीजेपी का सथ दिया है। इस बार लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सारी सीटें बीजेपी के नाम रहीं। विधानसभा चुनाव में भी मध्यप्रदेश में बीजेपी को अच्छा रिस्पॉन्स मिला। तस्वीर साफ है कि यहां डबल इंजन की सरकार ठीक रफ्तार से आगे बढ़ रही है। शायद इसलिए बीजेपी भी इस प्रदेश में अपनी पकड़ कमजोर नहीं करना चाहती।
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...तो इसलिए चुना मध्यप्रदेश
दूसरा पहलू ये है कि बिहार में चुनावों के बीच फिलहाल विपक्ष ने वहां दूसरे मुद्दे गढ़ रखे हैं। जिसमें से एक अहम मुद्दा वोट चोरी का है। अगर बिहार गए तो इस गर्म-गर्म मुद्दे पर भी कुछ तो बोलना मजबूरी बन ही जाएगा।
ऐसे में मध्यप्रदेश का चुनाव करना एक सेफ ऑप्शन है। क्योंकि यहां से ही पीएम सारी सौगातों को बिना किसी परेशानी के जनता तक पहुंचा सकते हैं। उस का प्रचार-प्रसार भी ठीक तरह से और बिना किसी परेशानी के हो सकता है। शायद इसलिए खास दिन पर बीजेपी ने मध्यप्रदेश को चुना है।
इस नियमित कॉलम न्यूज स्ट्राइक (News Strike) के लेखक हरीश दिवेकर (Harish Divekar) मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं