News Strike: BJP में साइडलाइन हो रहे हैं भूपेंद्र सिंह, क्या बयानों से बढ़ी मुश्किलें?

मध्यप्रदेश में बीजेपी नेता भूपेंद्र सिंह के ताजा हालात पर बात करने से पहले आपको याद दिला दें कि भूपेंद्र सिंह, शिवराज सिंह सरकार के कद्दावर नेता रहे हैं। उन्हें शिवराज केबिनेट में कई अहम पद मिले हैं...

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Harish Divekar
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News Strike : भूपेंद्र सिंह को आखिर क्या हो गया है। आप भी यही सवाल पूछेंगे, जब ये जान लेंगे कि पिछले कुछ दिनों से भूपेंद्र सिंह का रवैया कैसा चल रहा है। ये जानने के बाद आप कुछ और सवाल भी पूछेंगे। जो कुछ इस तरह हो सकते हैं कि क्या भूपेंद्र सिंह का रुतबा उनके अपने क्षेत्र में घट रहा है। क्या बीजेपी उन्हें लगातार दरकिनार कर रही है। क्या भूपेंद्र सिंह खुद बीजेपी अध्यक्ष और मोहन कैबिनेट के एक मंत्री के खिलाफ तल्ख तेवर अख्तियार कर रहे हैं और क्यों भूपेंद्र सिंह लगातार वीडी शर्मा के खिलाफ बयान दे रहे हैं। फिर भले ही उन्हें पत्र लिखकर उस पर सफाई भी देनी पड़ी।

शिवराज सरकार के कद्दावर नेता रहे हैं भूपेंद्र सिंह

भूपेंद्र सिंह के ताजा हालात पर बात करने से पहले आपको याद दिला दें कि भूपेंद्र सिंह, शिवराज सिंह सरकार के कद्दावर नेता रहे हैं। उन्हें शिवराज केबिनेट में कई अहम पद मिले हैं। इस दौरान भूपेंद्र सिंह का जलवा तो जरूर था, लेकिन कभी उन्होंने इस तरह की बयानबाजी नहीं की थी। जिसे सुनकर ये कहा जाए कि भूपेंद्र सिंह बिगड़े बोल वाले नेता हैं। या वो ज्यादा पावर मिलने के नशे में चूर हो चुके हैं। हालांकि, पिछला कार्यकाल खत्म होते होते भूपेंद्र सिंह अपनों की ही खिलाफत का शिकार हुए थे। पिछले विधानसभा चुनाव से पहले गोपाल भार्गव, गोविंद सिंह राजपूत, दो विधायक और सागर जिले के अध्यक्ष एक साथ भूपेंद्र सिंह के खिलाफ शिकायत लेकर भोपाल आए थे। ये पहला मौका था जब गोपाल भार्गव जैसे दिग्गज नेता पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर इस तरह नाराजगी जताने पर मजबूर हुए थे। हालांकि, दो ही दिन बाद वो इस मामले पर शांत हो गए थे। 

सीएम बदलने के बाद से भूपेंद्र सिंह लगातार हाशिए पर हैं

विधानसभा चुनाव होने के बाद से सारी बिसात ही उल्टी नजर आ रही है। सागर जिले से बीजेपी में तीन दिग्गज हैं। एक गोपाल भार्गव, एक भूपेंद्र सिंह और एक गोविंद सिंह राजपूत। गोविंद सिंह राजपूत के बारे में सब जानते हैं कि वो साल 2020 में कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए हैं। शिवराज सिंह सरकार में भूपेंद्र सिंह  का दबदबा अच्छा खासा था, लेकिन 2023 के चुनाव के बाद जब शिवराज सिंह चौहान की एमपी की सत्ता से विदाई हुई और मुखिया के रूप में मोहन यादव ने काम संभाला। उसके बाद से भूपेंद्र सिंह लगातार हाशिए पर हैं। उन्हें कैबिनेट का हिस्सा भी नहीं बनाया गया। इस बार सागर जिले से सिर्फ गोविंद सिंह राजपूत ही मंत्री बने हैं। गोपाल भार्गव को भी ये मौका नहीं मिला है। 

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भूपेंद्र सिंह अपनी ही सरकार से ज्यादा मुखर हो गए हैं

अब उनकी नाराजगी और बयान कई बार ये जाहिर कर जाते हैं कि वो मौजूदा सिस्टम से बहुत खुश नहीं हैं। वो कभी पुलिस व्यवस्था पर सवाल उठाते हैं। कभी कांग्रेस के बहाने गोविंद सिंह राजपूत की खिलाफत करते हैं। उनके जुबानी हमलों से प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा भी नहीं बच सके। साल 2024 में अक्टूबर नवंबर से भूपेंद्र सिंह अपनी ही सरकार से ज्यादा मुखर हो गए हैं। अक्टूबर के आसपास उन्होंने इल्जाम लगाया था कि उनकी फोन टेपिंग की जा रही है। उनके निशाने पर उस वक्त पुलिस प्रशासन था। इस मामले पर उन्होंने बैठक में भी नाराजगी जाहिर की थी।

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भूपेंद्र सिंह के एक बयान से पूरे प्रदेश की सियासत गर्मा गई

कुछ ही दिन बाद भूपेंद्र सिंह ने एक बयान और दिया जिससे बुंदेलखंड सहित पूरे प्रदेश की सियासत गर्मा गई थी। भूपेंद्र सिंह ने खुलेआम ये कह दिया था कि कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आने वाले नेताओं को वो स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने दिवाली के दौरान एक दिवाली मिलन समारोह आयोजित किया था। इस समारोह में उन्होंने कई बीजेपी कार्यकर्ताओं को बुलाया। इसी समारोह में उन्होंने कहा कि वो कांग्रेस से आए नेताओं को स्वीकार नहीं करेंगे। भले ही पार्टी उन्हें स्वीकार कर ले। इस बयान को सीधे-सीधे गोविंद सिंह राजपूत के खिलाफ माना गया और प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा पर भी हमला माना गया। क्योंकि इससे पहले ही खुरई विधानसभा सीट से भूपेंद्र सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले अरूणोदय चौबे को बीजेपी की सदस्यता दिलाई थी। उन्हें सदस्यता दिलाने का काम खुद सीएम मोहन यादव और वीडी शर्मा ने किया था।

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वीडी ने कहा था नए सदस्यों से परेशानी उनका निजी विषय

एक बयान पर वीडी शर्मा ने भी प्रतिक्रिया दी थी और इसे भूपेंद्र सिंह का निजी बयान बताया था। वीडी शर्मा ने ये स्पष्ट कहा था कि पार्टी ने सभी फैसले सोच समझ कर लिए हैं। जिस पर किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए। वीडी शर्मा ने भी दो टूक शब्दों में ये कहा था कि जो बीजेपी में आया है वो पार्टी का ही सदस्य है। इससे व्यक्तिगत परेशानी है तो ये उनका निजी विषय है। उनके इस बयान पर भी भूपेंद्र सिंह नहीं चूके और कहा कि वीडी शर्मा को पार्टी में आए पांच से सात साल हुए हैं। इससे पहले वो एबीवीपी का हिस्सा थे। पर भूपेंद्र सिंह वीडी शर्मा के खिलाफ हमलावर क्यों है। क्या मोहन केबिनेट में जगह न मिल पाने की वजह वो वीडी शर्मा को मानते हैं। या, वो ये मान चुके हैं कि अब वीडी शर्मा का कार्यकाल खत्म होने वाला है। ऐसे में उन पर निशाना साधने में कोई जोखिम नहीं है। वीडी शर्मा रहेंगे या जाएंगे। ये फिलहाल कहा नहीं जा सकता पर इतना कहा जा सकता है कि भूपेंद्र सिंह जरूर हाशिए पर जा चुके हैं। इसका सबूत जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में भी मिलता है।

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भूपेंद्र सिंह की नाराजगी दूर करने में किसी को दिलचस्पी नहीं

सागर में ग्रामीण का जिलाध्यक्ष रानी पटेल को बताया गया है। जो गोपाल भार्गव के खेमे की हैं और श्याम तिवारी को सागर शहर का अध्यक्ष बनाया गया है। जो गोविंद सिंह राजपूत के खेमे के माने जा रहे हैं। इससे साफ है कि भूपेंद्र सिंह की पसंद को यहां भी खारिज कर दिया गया है। ये इस बात का इशारा हो सकता है कि न वीडी शर्मा और न ही सीएम मोहन यादव, भूपेंद्र सिंह की नाराजगी दूर करने में दिलचस्पी ले रहे हैं।

 

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