News Strike: परिवहन घोटाले पर बीजेपी को घेरने की रणनीति पर फिरा पानी! नौ दिन के सत्र में कैसे तेवर दिखाएगी कांग्रेस?

बीजेपी और बीजेपी नेता दोनों ने ऐसा दांव खेला कि कांग्रेस के इरादों पर पानी फिर गया होगा। वो क्यों और कैसे, चलिए इस मुद्दे को जरा तफ्सील से समझते हैं।

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Harish Divekar
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NEWS STRIKE 5 MARCH

Photograph: (the sootr)

बीजेपी सरकार को घेरने का एक और मौका कांग्रेस के हाथ से निकलता हुआ दिख रहा है। मध्य प्रदेश में बहुत जल्द बजट सत्र शुरू होने वाला है। उम्मीद थी कि इस बार पूरे सत्र में सौरभ शर्मा का मुद्दा छाया रहेगा। कांग्रेस सत्ता पक्ष पर भारी पड़ेगी, लेकिन बीजेपी और बीजेपी नेता दोनों ने ऐसा दांव खेला कि कांग्रेस के इरादों पर पानी फिर गया होगा। वो क्यों और कैसे, चलिए इस मुद्दे को जरा तफ्सील से समझते हैं।

सिर्फ मध्य प्रदेश ही नहीं, आमतौर पर फरवरी के एंड से लेकर मार्च के पहले पखवाड़े तक के दिन हर प्रदेश बजट सत्र का सीजन ही होता है। यानी, हर राज्य की विधानसभा इन्हीं दिनों की किसी तारीख में अपना बजट पेश करती है। इसमें पूरे साल प्रदेश में सरकार किस किसी योजना को लेकर आगे बढ़ेगी, उसका एक खाका पेश होता है। मध्य प्रदेश में भी बजट सत्र की तारीख तय हो चुकी है। ये सत्र दस मार्च से शुरू होगा। सत्र खत्म होने की तारीख तय हुई है 24 मार्च। सुनकर लगता है कि बजट सत्र काफी लंबा चलने वाला है। आमतौर पर बजट सत्र वाकई दूसरे विधानसभा सत्रों के मुकाबले काफी लंबे होते भी हैं। लेकिन इस बार का बजट सत्र केवल नौ दिनों का या नौ बैठकों वाला ही होना है।

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सिर्फ 9 दिन ही होंगे काम 

दस मार्च से शुरू होने वाले सत्र में 12 मार्च को बजट पेश होगा। उसके बाद 14 से 16 मार्च तक होली की छुट्टियां रहेंगी। तीन दिन की इस छुट्टी के अलावा 19 मार्च को रंगपंचमी की छुट्टी और 22, 23 मार्च को शनिवार और रविवार की छुट्टी रहेगी। इन सारे दिनों को निकाल दिया जाए तो आप देखेंगे कि सिर्फ नौ ही दिन ऐसे हैं जब मध्य प्रदेश की विधानसभा में कार्यवाही जारी रहेगी। इस बात पर कांग्रेस ने सख्त एतराज जताया है और बैठक के दिन बढ़ाने की मांग की है। हालांकि ये मांग स्वीकार होने के चांसेज कम है, लेकिन ये बात बिलकुल सही है कि सदन की बैठकें कम होने का कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है।

इस बार सत्र को हंगामेदार बनाने के लिए कांग्रेस के पास भरपूर मटेरियल था जिसमें सबसे अहम है सौरभ शर्मा का मामला। किसी भी राजनीतिक एक्सपर्ट से चर्चा कीजिए, वो भी यही बताएगा कि इस बार सदन में सौरभ शर्मा का मामला गूंज सकता है। विपक्ष यानी कि कांग्रेस ने इस मामले में जबरदस्त तैयारी भी कर रखी है। खबर है कि कांग्रेस ने इस मामले से जुड़े करीब दो दर्जन सवाल पहले ही लगा दिए हैं। जिन पर जवाब देना सरकार या किसी भी बीजेपी नेता के लिए बहुत आसान नहीं होगा।

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कांग्रेस ने सौरभ शर्मा मामले को लेकर लगाए हैं दर्जनों सवाल

अगर भूल गए हों तो याद दिला दें कि सौरभ शर्मा, परिवहन विभाग का पूर्व आरक्षक है। जो इस समय  लोकायुक्त, इनकम टैक्स और ईडी रडार पर है। परिवाहन विभाग से जुड़े बड़े घोटाले में सनसनीखेज खुलासे होंगे या नहीं। अगर हुए तो उन्हें सबके सामने रखा जाएगा या नहीं। ये तो कहा नहीं जा सकता, लेकिन विपक्ष इस मुद्दे को लेकर गंभीर है। अपने दो दर्जन सवालों के जरिए कांग्रेस ने जांच की सही स्थिति, अवैध संपत्ति और केस से जुड़े नामों के खुलासे से लेकर कई सवाल लगाए हैं।

संभवतः बीजेपी नेताओं को पहले ही ताकीद कर दिया गया है। इसलिए एक भी विधायक ने इस मामले को टच करने की भी जरूरत नहीं समझी है। विधानसभा सूत्रों की माने तो इस बार परिवहन विभाग से जुड़े जितने सवाल लगे हैं। उतने सवाल पिछले बीस सालों में कभी नहीं लगे।

हालांकि अभी ये नहीं कहा जा सकता है कि सारे सवाल विधानसभा में उठ सकेंगे या नहीं। पहले विधानसभा सचिवालय इन सवालों को देखेगा। विधानसभा की प्रचलित भाषा में कहा जाए तो पहले विधानसभा सचिवालय उन सवालों का परीक्षण करेगा। उसके बाद तय होगा कि कितने सवाल ग्राह्य होते हैं और कितने अग्राह्य होते हैं। वैसे विधानसभा का विशेषाधिकार भी होता है कि वो खुद संबंधित विभाग से प्रश्न विशेष के संबंधित में यथास्थिति से जुड़ी जानकारी भी मंगा सकती है। लेकिन इस मामले में ऐसा हो पाना भी मुश्किल ही नजर आता है।

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उलझते दिख रहे सिंघार-कटारे

फिलहाल तो बैठकों के जितने दिन तय हुए हैं, उन्हें देखकर लगता है कि कांग्रेस ने जितने सवाल पूछने की तैयारी की है। उतने सवाल वो पूछ सके और फिर उनका जवाब सदन में ही ले सके। ये भी मुश्किल लगता है क्योंकि बजट पेश होने के बाद बजट पर चर्चा होगी और फिर होली की छुट्टी लग जाएगी। और, होली तो वैसे भी गिले शिकवे भुलाने का त्योहार है। ये फेस्टिव मूड हावी हो गया तो समझिए कि मामला बेहद आसानी से दरकिनार हो जाएगा।

वैसे भी बीजेपी नेताओं ने बाहर भी अलग रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। कांग्रेस के ऐसे नेता जो सौरभ शर्मा मामले पर खुलकर बीजेपी के बड़े नेताओं पर आरोप लगा रहे थे। उन पर शिकंजा कसना शुरू हो चुका है। इस मामले में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने गोविंद सिंह राजपूत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। मौजूदा परिवहन मंत्री पर उमंग सिंगार गंभीर आरोप लगा रहे थे। तो पूर्व परिवहन मंत्री यानी कि भूपेंद्र सिंह पर उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे आरोप लगा रहे थे। लेकिन अब ये दोनों कांग्रेस नेता ही उलझते हुए नजर आ रहे हैं।

गोविंद सिंह राजपूत ने उमंग सिंगार को बीस करोड़ रु. का मान हानि का नोटिस थमा दिया है और हेमंत कटारे पर ईओडब्लू का शिकंजा कसा जा चुका है। इस कानूनी कार्रवाई के डर से दोनों नेता चुप बैठ जाएंगे या फिर खुलकर विधानसभा में अपनी आवाज बुलंद करेंगे। फिर से याद दिला दें कि इन दोनों में से एक नेता नेता प्रतिपक्ष है और दूसरा नेता है उपनेता प्रतिपक्ष। विधानसभा में कांग्रेस इन्हीं दोनों के नेतृत्व में आगे बढ़ेगी। अब ये दोनों ही अगर इस पचड़े में उलझे रहे तो क्या इस मुद्दे पर दम लगा कर सरकार को घेर पाएंगे या फिर सत्र सिर्फ बजट और फिर उत्सव के नाम की भेंट चढ़ कर रह जाएगा।

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