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Photograph: (the sootr)
मध्य प्रदेश में धर्म से जुड़ी राजनीति एकाएक फिर सतह पर आ गई है। सीएम मोहन यादव के एक बयान ने धर्म की सियासत को नई धार दी है। हो सकता है कि आपको लगे कि योगी पार्ट 2 या फिर हिमंता बिस्व सरमा पार्ट टू बनने की कवायद हो। लेकिन ऐसा है नहीं। धर्म की राजनीति का ये बिलकुल नया चैप्टर है। जिसे लिख भी रहे हैं और बांच भी रहे हैं खुद सीएम मोहन यादव। एक बार फिर उन्होंने धर्म पर बेस्ड बयान तो दिया है। लेकिन उसके क्या मायने हैं वो भी समझ लेना जरूरी है।
मध्य प्रदेश के मुखिया सीएम यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश में धर्मांतरण और बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वाले अब बख्शे नहीं जाएंगे। उन्हें सख्त से सख्त सजा मिलेगी। इतना ही नहीं उन्हें फांसी की सजा भी हो सकती है। हो सकता है कि आपको ये शब्द कुछ सॉफ्ट लगें। लेकिन सीएम मोहन यादव के लहजे में ये नर्मी नहीं थी। वो अपनी बात पर सख्त थे। सीएम ने एक कार्यक्रम में कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम का फायदा उठाते हुए धर्मांतरण करवाएंगे तो उन्हें फांसी की सजा दी जाएगी।
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बयान नहीं वॉर्निंग है सीएम का बयान
आमतौर पर धर्म से जुड़े ऐसे बयान तब ज्यादा सुनाई देते हैं जब चुनाव सिर पर होते हैं। मध्य प्रदेश में दूर दूर तक चुनाव नहीं है। न ही उत्तर प्रदेश या ऐसे किसी प्रदेश में फिलहाल चुनाव हैं जहां धर्म पर इस तरह की बयानबाजी करने से पॉलिटिकल माइलेज मिल सकता हो। फिर सीएम ने इस वक्त ये बयान क्यों दिया। असल में ये बयान नहीं है। ये एक वॉर्निंग है। उन लोगों के लिए जो प्रदेश में बड़ी संख्या में धर्मांतरण करवा रहे हैं या फिर दुष्कर्म जैसे घिनौने काम करते हैं।
मध्य प्रदेश में फरवरी में धर्मांतरण की दो बड़ी घटनाएं हुई हैं। एक रायसेन जिले के पापड़ा गांव में। जहां अनुसूचित जाति के चालीस परिवारों ने कथित तौर पर इस्लाम अपना लिया है। ऐसी खबरें छतरपुर से भी आईं। जहां रामगढ़ के कुछ स्कूलों में आदिवासी परिवार के बच्चों ने दूसरे धर्म से संबंधित नाम लिखवाए।
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इन्हीं घटनाओं को देखते हुए सीएम मोहन यादव ने ये सख्त रूप अख्तियार किया है। और, ये चेतावनी दी है। पर क्या सिर्फ मंच से सख्ती दिखाने से या बयान देने से इस समस्या का हल निकल सकता है। समस्या बड़ी है तो हल भी ठोस ढूंढना जरूरी है। उम्मीद करते हैं कि ऐसी घटनाओं से और खासतौर से दुष्कर्म से जुड़ी घटनाओं से निपटने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। और, मामलों में कुछ कमी आएगी।
फिलहाल हम हिंदुत्व की राजनीति और मोहन यादव की ही बात करते हैं। मोहन यादव के ये तेवर नए नहीं हैं। सत्ता में आते ही वो इस बात का हिंट दे चुके थे कि वो बीजेपी की लाइन पर चलते हुए हिंदुत्व की नई लकीर खींचते रहेंगे।
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उनके कुछ पुराने बयान आपको याद दिलाते हैं...
- एमपी में मोहन सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध के साथ खुले में मांस की बिक्री पर भी पाबंदी लगाई गई।
- एमपी में सरकारी रूप से 19 दिन तक चला श्रावण उत्सव। मुख्यमंत्री निवास के साथ प्रदेश के अलग अलग हिस्सों में मुख्यमंत्री ने लाडली बहनों से राखी बंधवाई।
- एमपी में जन्माष्टमी पर सरकारी स्कूलों की छुट्टी रद्द की और कहा कि स्कूलों में इस दिन श्री कृष्ण की जीवन से मिलने वाली शिक्षा के साथ मित्रता का पाठ पढ़ाया जाए।
- पहली बार प्रदेश में श्री कृष्ण का जन्मोत्सव सरकारी तौर पर मनाया गया। श्री कृष्ण पर्व के तौर पर प्रदेश के अलग अलग हिस्सों में संस्कृति विभाग के सौजन्य से आयोजन हुए।
- मोहन सरकार ने फैसला लिया कि हर ब्लॉक में एक बरसाना बनाया जाए और तहसील में गीता भवन खोले जाएं।
- एमपी में श्री कृष्ण से जुड़े स्थानों सांदीपनि आश्रम अमझेरा और जानापाव को एक नए धार्मिक सर्किट की तरह विकसित किया जाएगा।
- सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि एमपी में भगवान राम और कृष्ण से जुड़े जो स्थान हैं, उन्हें तीर्थ स्थलों की तरह विकसित किया जाएगा।
- राम के बाद मोहन यादव की सरकार में श्री कृष्ण पथ की तैयारी। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के 7 मंदिरों को जोड़े जाने का एक्शन प्लान।
- संघ के विचारकों और प्रमुख पदाधिकारियों की किताबें मध्य प्रदेश के कॉलेजों में पढ़ाई जाएगी।
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हिंदुत्व का पोस्टर बॉय बनने की होड़ तो नहीं?
सीएम मोहन यादव एक बार मंच से ये भी कह चुके हैं कि अगर भारत में रहना है तो भगवान राम और कृष्ण की जय भी कहना होगा। उन्होंने ये भी ताकीद किया कि जिसे जो धर्म मानना है माने लेकिन देशभक्त बने रहे। बीते कुछ सालों से बीजेपी में ये होड़ लगी रही है कि हिंदुत्व का पोस्टर बॉय कौन बनता है। कभी उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ अपने बयानों से ये रेस जीतते हुए दिखते हैं तो कभी आसाम के सीएम हिमंता बिसवा सरमा इस रेस में आगे निकलते दिखते हैं। मोहन यादव के इन बयानों को देखकर लगता है कि वो भी शायद इस रेस का हिस्सा बनना चाहते हैं।
लेकिन एक महीन सी लकीर है जो इन्हें अलग भी करती नजर आती है। सीएम मोहन यादव ऐसे बयान बेवजह या सिर्फ लाइम लाइट बटोरने के लिए नहीं देते। अब तक उनके ये बयान ऐसे समय पर सामने आए हैं जब उनसे जुड़ा कोई रिफ्रेंस हो। इस बार धर्मांतरण की बढ़ती घटनाओं के बाद सीएम मोहन यादव ने सख्त ऐलान किया है।
धर्मांतरण और दुष्कर्म की घटना पर इसके आगे क्या कदम उठाए जाते हैं, नजरें उस पर भी टिकी जरूर होना चाहिए।