/sootr/media/media_files/2025/03/10/5gbjhcRjcF21ekROEies.jpeg)
Photograph: (the sootr)
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक बार फिर ये साबित कर दिया कि मध्य प्रदेश में सीएम मोहन यादव के साथ भी उनका तालमेल वैसा ही है, जैसा शिवराज सिंह चौहान के साथ था। आपको याद होगा कुछ ही दिन पहले हमने आपको बताया था कि प्रदेश में एक बड़ा फैसला ये साबित करेगा कि सिंधिया का रुतबा प्रदेश में कैसा है और सीएम के साथ उनके सियासी संबंध कैसे रहने वाले हैं। ये फैसला जुड़ा माधव राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व बनाने का ऐलान। जो ठीक उसी तरह हुआ है जैसा न्यूज स्ट्राइक ने कुछ समय पहले दावा किया था। फिलहाल तो ये भी बता दें कि सिंधिया के मनचाहे फैसले पर खुद पीएम मोदी ने भी खुशी जाहिर की है।
प्रदेश के माधव नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व का दर्जा दे दिया गया है। खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव का पोस्ट शेयर किया। जिसमें लिखा कि 58वें टाइगर रिजर्व का नाम माधव टाइगर रिजर्व। ये दहाड़ जारी रहेगी। इस ऐलान के बाद माधव टाइगर रिजर्व प्रदेश का नवां और देश का 58 वां टाइगर रिजर्व घोषित हो गया है। ये घोषणा जितनी खास है, उतनी ही खास है इस घोषणा की टाइमिंग।
असल में एक दिसंबर 2024 को ही ये खबर आई कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण यानी कि एनटीसीए की तकनीकि समिति ने माधव नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व बनाने की मंजूरी दे दी है। इस के बाद रातापानी अभ्यारण्य को भी टाइगर रिजर्व बनाने की मंजूरी मिली थी। रातापानी के लिए नोटिफिकेशन उसके चंद रोज बाद ही जारी कर दिया गया था। लेकिन माधव नेशनल पार्क के लिए नोटिफेकिशन जारी नहीं हुआ था।
यह खबर भी पढ़ें... News Strike : BJP के दिग्गज नेता क्यों पड़ रहे अलग-थलग? क्या लीडरशिप में होगा बड़ा बदलाव?
सिंधिया के मन की मुराद हुई पूरी
इसके पीछे की वजह है इस नेशनल पार्क से सिंधिया का खास लगाव। असल में दस मार्च को उनके पिता माधव राव सिंधिया कि जयंती आती है। इस दिन को यादगार बनाने के लिए सिंधिया की हमेशा यही कोशिश रहती है कि माधव नेशनल पार्क में सारे अहम काम इसी दिन के आसपास हों। इस बार भी उनकी मन की मुराद पूरी हुई।
जो फैसला दिसंबर में हो चुका था उसका ऐलान मार्च में हुआ। सीएम मोहन यादव ने सात मार्च को ही ये नोटिफिकेशन जारी किया है कि अब माधव नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व कहा जाएगा। और उसके बाद पीएम मोदी ने भी इससे जुड़ा ट्वीट कर दिया। अपने पिता की जयंती वाले दिन सिंधिया ने सीएम मोहन यादव के साथ इन नए टाइगर रिजर्व में नर और मादा टाइगर का एक जोड़ा और छोड़ दिया है। टाइगर रिजर्व बनने के बाद माधव नेशनल पार्क का कोर एरिया 375 वर्ग किलोमीटर, बफर एरिया 1276 वर्ग किलोमीटर और कुल एरिया 1751 वर्ग किलोमीटर होगा। इसके साथ ही यहां एक और नर और मादा बाघ भी छोड़े जाएंगे।
यह खबर भी पढ़ें... News Strike : माधव नेशनल पार्क का नोटिफिकेशन कब ? सीएम या सिंधिया किसने रोका टाइगर रिजर्व का फैसला?
माधव टाइगर रिजर्व से जुड़े हैं जज्बात
अब ये बता दें कि माधव नेशनल पार्क मेरा मतलब है माधव टाइगर रिजर्व से जुड़ा मामला सिंधिया के लिए बहुत गंभीर क्यों हैं। असल में माधव नेशनल पार्क राजा महाराजाओं के जमाने से ही सिंधिया राजघराने की मिल्कियत रहा है। माधव राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1958 में मध्यप्रदेश के राज्य बनने के साथ ही की गई थी। सिंधिया घराने के पूर्व महाराजा के नाम पर यानि कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के परदादा के नाम पर की गई थी। इत्तेफाक से उनके पिता का नाम भी माधव ही था। यह मूलतः सिंधिया परिवार का शाही शिकार का अभयारण्य था। इसी जंगल में सिंधिया घराने के राजाओं ने खूब शिकार भी खेला। जहां बाप दादा ने दिन गुजारे हों उस जगह से जज्बात जुड़ने लाजमी हैं।
यह खबर भी पढ़ें... News Strike: परिवहन घोटाले पर बीजेपी को घेरने की रणनीति पर फिरा पानी! नौ दिन के सत्र में कैसे तेवर दिखाएगी कांग्रेस?
10 मार्च चुना गया बाघों को छोड़ने का दिन
इसे टाइगर रिजर्व में तब्दील करने के लिए सिंधिया कई बार पत्र लिख चुके थे। बीजेपी में शामिल होने के बाद भी उन्होंने इस संबंध में कई बार संबंधित मंत्रालय को पत्र लिखे। आपको याद होगा साल 2023 में जब तत्कालीन माधव नेशनल पार्क में नए टाइगर्स छोड़े गए थे। तब भी दस मार्च का ही दिन चुना गया था। तब शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया एक साथ इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इस बार नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने अप्रेल से पहले ही दो बाघों को छोड़े जाने की मंजूरी पहले ही दे दी थी। लेकिन बाघों को यहां छोड़ने के लिए दिन चुना गया दस मार्च।
यह खबर भी पढ़ें... News Strike: Modi-Shah के बाद Mohan Bhagwat लेंगे BJP नेताओं की क्लास ?
अपने क्षेत्र में कायम है सिंधिया का दबदबा
इससे ये भी जाहिर हो गया कि सीएम मोहन यादव और सिंधिया के बीच भी तालमेल की कोई कमी नहीं है। ये समझना इसलिए भी जरूरी था कि पिछले कई दिनों से ऐसी अटकलें थीं कि सिंधिया का रुतबा प्रदेश में कम हो रहा है। प्रदेश में वो कई अहम मौकों पर नदारद भी रहे। वो ग्लोबल इंवेस्टर समिट में भी नजर नहीं आए। ये माना जा रहा था कि बीजेपी प्रदेश में सिंधिया के कद को कम करने में लगी है। हो सकता है कि ये अटकलें सच भी हों। लेकिन दस मार्च के आसपास ही टाइगर रिजर्व का नोटफिकेशन जारी होना। खुद पीएम मोदी का ट्वीट करना ये जाहिर करता है कि भले ही प्रदेश में सिंधिया पर लगाम कसी जा रही हो। लेकिन उनके अपने क्षेत्र में उनका दबदबा अब भी कायम है।
यह खबर भी पढ़ें... News Strike: कांग्रेस ने कसी विधानसभा चुनाव के लिए कमर, इस प्लानिंग के साथ साढ़े तीन साल पहले शुरू की तैयारी !