अरुण तिवारी, BHOPAL. दिल्ली की तरह जल्द ही भोपाल में किसानों का जमावड़ा लग सकता है। प्रदेश में एक बार फिर बड़े किसान आंदोलन की आग धधकने लगी है। आरएसएस का अनुसांगिक संगठन इस आंदोलन की तैयारी कर रहा है। अपनी ही सरकार के खिलाफ किसान संघ मैदान में उतरने वाला है। अन्नादाता के साथ किसान संघ की आंदोलन की तैयारी गांव-गांव में चल रही है। किसान नाराज हुआ तो आने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ा नुकसान हो सकता है। बड़ा सवाल है कि आखिर क्यों नाराज हुआ प्रदेश का किसान...
इसलिए नाराज है भारतीय किसान संघ
प्रदेश का किसान इसलिए नाराज है क्योंकि बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में अपने संकल्प पत्र को मोदी की गारंटी बताते हुए कुछ वादे किए थे। संकल्प पत्र में कहा था कि सरकार गेहूं को 2700 रुपए प्रति क्विंटल और धान को 3100 रुपए प्रति क्विंटल के समर्थन मूल्य पर खरीदेगी, लेकिन अब तक ऐसा हुआ नहीं है। भारतीय किसान संघ के प्रदेश महामंत्री चंद्रकांत गौर ने पत्र जारी कर साफ कहा है कि सरकार ने जो वादा किया है उसे पूरा किया जाए। यह कैसी मोदी की गारंटी है। किसान संघ का कहना है कि मोदी की गारंटी के नाम पर किसानों ने बीजेपी को वोट दिया और सरकार भी अब बन गई है। अब प्रदेश का अन्नदाता भारतीय किसान संघ के बैनर तले मोदी की गारंटी के नाम पर घोषित गेंहू का 2700 व धान का 3100 रुपए मूल्य लेने के लिए आंदोलन की राह पर चल पड़ा है।
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दिल्ली का नजारा मप्र में आ सकता है नजर
जिस तरह दिल्ली में किसानों का जमावड़ा लग रहा है। उसी तरह का नजारा मध्यप्रदेश में भी नजर आ सकता है। इसकी तैयारी किसान संघ ने तेजी से शुरू कर दी है। किसान संघ ने साफ कहा कि प्रदेश का किसान और इंतजार नहीं करेगा। संघ के महामंत्री चंद्रकांत गौर ने प्रदेश के तीनों प्रांतों के कार्यकर्ताओं और किसानों के नाम पर पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने किसानों और कार्यकर्ताओं से कहा है कि प्रदेश सरकार किसानों को धान और गेंहू का संकल्प पत्र के वादे के हिसाब से समर्थन मूल्य देने के मूड में नहीं है, इसलिए आंदोलन ही एक रास्ता है।
मांगे न मानने पर जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन
किसान संघ के कार्यकर्ताओं ने गांव-गांव जाकर जनजागरण अभियान शुरू कर दिया है। चरणबद्ध आंदोलन की रूपरेखा तैयार की गई। पहले जिला मुख्यालयों पर ज्ञापन कार्यक्रम होंगे और मांगे नहीं माने जाने पर बड़े स्तर पर प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन किया जाएगा। इसके बाद आंदोलन का केंद्र भोपाल होगा। जल्द ही आंदोलन की तारीख घोषित कर दी जाएगी। भारतीय किसान संघ के तीनों प्रांतों मालवा, मध्यभारत, महाकौशल प्रांत में किसान संघ के प्रमुख नेता गांव-गांव में सदस्यता अभियान के साथ-साथ आंदोलन की तैयारी के लिए बैठक कर रहे हैं।
इस मौके पर कांग्रेस ने भी किसान संघ की हां में हां मिला दी है। कांग्रेस ने भी कह दिया है कि यदि धान और गेहूं के समर्थन मूल्य को संकल्प पत्र के हिसाब से नहीं दिया तो तुलाई केंद्रों पर किसानों के साथ कांग्रेस के कार्यकर्ता भी प्रदर्शन करेंगे।
एक तरफ मोदी मिशन, दूसरी ओर किसान नाराज
लोकसभा चुनाव के मौके पर इस तरह का आंदोलन सरकार के लिए चिंता का सबब हो सकता है। एक तरफ तो मोदी मिशन चल रहा है और दूसरी तरफ प्रदेश के किसान नाराज हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने हाल ही में विधानसभा में कहा कि ये किसानों की सरकार है और उनके एक-एक हित को ध्यान में रखा जाएगा। किसानों को मोदी की गारंटी पर भरोसा है और मोदी की गारंटी हर हाल में पूरी होगी। हालांकि, उन्होंने ये जरूर जोड़ा कि संकल्प पत्र पांच साल के लिए है और अभी तो सरकार को दो महीने ही हुए हैं।
आंदोलन को रोकना सरकार लिए बड़ी चुनौती
मध्यप्रदेश में 70 फीसदी किसान आबादी है और किसान प्रदेश की राजनीति की धुरी माने जाते हैं। इससे पहले भी भोपाल किसान संघ के आंदोलन को देख चुका है जब पूरी राजधानी बंधक बन गई थी। वहीं मंदसौर गोलीकांड की आग अभी भी किसानों के सीने में धधक रही है। इस आंदोलन को रोकना सरकार लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।