संजय गुप्ता, INDORE. नगर निगम इंदौर की परिषद बैठक में एक बार फिर अधिकारियों के रवैए का मुद्दा उठा। पूर्व एमआईसी सदस्य और पार्षद लाल बहादुर वर्मा ने कहा कि ऐसी हालत है कि अधिकारियों से मिलने के लिए हम पार्षदों को चिट्ठी भेजना होती है। इसके बाद भी आधा-एक घंटे तक इंतजार करना होता है। कुछ अन्य पार्षदों ने कहा कि अधिकारी फोन नहीं उठाते और ना हमारे बताए काम पर ध्यान देते हैं।
नगर निगम पार्षद वर्मा बोलीं- सभी जगह लगती है पर्ची
वर्मा ने कहा कि पी. नरहरि, नीरज मंडलोई (यह निगमायुक्त रहे हैं इंदौर में) के समय व्यवस्था रहती थी कि पार्षदों से मिलने का समय तय रहता था, लेकिन अब आयुक्त, अपर आयुक्त अधिकारियों से मिलने के लिए पर्ची भेजना होती है। हम पार्षदों को भी जनता की पीड़ा बताने के लिए पर्ची भेजना होती है, हम भी जनप्रतिनिधि है, वह पढ़े-लिखे हैं तो हम भी गंवार नहीं है। यह पांचवीं परिषद मैं देख रहा हूं और हमे चिट्ठी भेजना पड़ती है।
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महापौर बोले- मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने इस मामले में जवाब दिया कि मुझे नहीं पता किन अधिकारियों ने पार्षदों से मिलने के लिए पर्ची व्यवस्था की है, लेकिन मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं आगे यह व्यवस्था नहीं रहे।
जनप्रतिनिधि और अधिकारियों में लगातार चल रही तनातनी
नगर निगम में लगातार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के बीच में तनातनी चल रही है। यहां तक महापौर और निगमायुक्त के बीच में भी पटरी नहीं बैठ रही है। पूर्व में भी एमआईसी सदस्य बैठकों में अधिकारियों के काम में अड़ंगा लगाने वाली शिकायतें कर चुके हैं और महापौर खुद चेता चुके हैं कि लालफीताशाही नहीं चलेगी। हाल ही में निगमायुक्त द्वारा अपने स्तर पर बनाई गई सराफा चौपाटी मामले में समिति पर भी विरोध हुआ और एमआईसी सदस्य ने तो सीधे नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को ही विरोध में पत्र लिख दिया। बाद में महापौर ने समिति भंग कर नई समिति का गठन किया।