अरुण तिवारी, BHOPAL. बीजेपी (BJP) ने बुधवार को जबलपुर के मेयर जगत बहादुर अन्नू को पार्टी में शामिल किया और कार्यालय में दिल्ली का फरमान पहुंच गया। फरमान में साफ लिखा था कि अब दूसरी पार्टी के नेता को शामिल करने से पहले बीजेपी उसकी सर्च रिपोर्ट बनाएगी। सब कुछ ठीक होगा तभी उसे पार्टी में शामिल किया जाएगा। इस फरमान के बाद बीजेपी ने न्यू ज्वाइनिंग कमेटी बना दी। इस कमेटी के संयोजक पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा होंगे।
सब कुछ ओके होने पर ही एंट्री
कुछ सालों से बीजेपी में दिल्ली से लेकर भोपाल तक दूसरी पार्टी के नेताओं के शामिल होने का रेला लगा हुआ है। बीजेपी की दिल्ली में भी सरकार है और मध्यप्रदेश में भी। लेकिन अब पार्टी इस मामले में सतर्कता बरतने जा रही है। अब कांग्रेस, बीएसपी या अन्य किसी राजनीतिक पार्टी का नेता यदि बीजेपी में शामिल होना चाहता तो पार्टी पहले उसकी सर्च रिपोर्ट बनाएगी। यानी उसका पूरा बैक ग्राउंड तलाशा जाएगा। खास तौर पर उसका क्राइम रिकॉर्ड (Crime Record) देखा जाएगा। यदि सब कुछ ओके है तभी पार्टी में एंट्री मिलेगा। यदि पैरामीटर पर ओके नहीं लिखा गया तो उसे पार्टी में शामिल नहीं किया जाएगा। इस पूरे काम के लिए बीजेपी ने न्यू ज्वाइनिंग कमेटी बनाइर है। यह कमेटी केंद्रीय नेतृत्व के निर्देशों पर बनाई गई है। इस कमेटी का संयोजक पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा को बनाया गया है।
सीएम ऑफिस की किसके हाथ होगी कमान...ये हैं चार नाम
CM बोले-हरदा विस्फोट देख लगा आतंकी घटना तो नहीं, सदन कार्यवाही स्थगित
हरदा फैक्टरी के अग्रवाल के 12 लाइसेंस, कलेक्टर की 1 पर ही कार्रवाई
मध्यप्रदेश के पूर्व महाधिवक्ता शशांक शेखर ने बीजेपी की ली सदस्यता
इस तरह बनेगी सर्च रिपोर्ट
किसी भी दल के नेता को शामिल करने से पहले बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं से उस नेता की पूरी कुंडली बनवाएगी। ये कार्यकर्ता उस नेता की पूरी सर्चिंग कर संगठन को रिपोर्ट करेंगे।
ये होंगे सर्चिंग रिपोर्ट के आधार ...
- नेता का आ
- नता का क्राइम रिकॉर्ड
- लोगों के बीच में जनाधार और लोकप्रियता
- विचारधारा
- कार्यकर्ताओं के साथ तालमेल
इन पैरामीटर्स पर उस नेता की पूरी जांच कराई जाएगी। यदि इन बिंदुओं पर कोई खरा उतरता है तब उसे बीजेपी में शामिल किया जाएगा।
चुनावी सीजन में होता है दलबदल
ये न्यू ज्वाइनिंग कमेटी इस वक्त इसलिए बनाई गई है क्योंकि आने वाले समय में लोकसभा चुनाव हैं। चुनावी सीजन में नेताओं के दलबदल का सिलसिला तेज हो जाता है। पिछले कुछ सालों से तो जैसे बीजेपी में शामिल होने वाले नेताओं की बाढ़ सी आ गई है। कांग्रेस और बसपा के नेता खासतौर पर बीजेपी में शामिल हो रहे हैं। अब इस गाइडलाइन से नेताओं की आमद कम हो सकेगी। पार्टी को लगता है कि इससे उसकी छवि पर सवाल उठने लगे हैं। यही कारण है कि अब अच्छी छवि के नेताओं को ही पार्टी अपने में शामिल करना चाहती है।