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आजकल ऑनलाइन डेटिंग की दुनिया में दो शब्द बहुत सुनने को मिल रहे हैं: घोस्टिंग और जॉम्बीइंग। ये दोनों ही आपकी मेन्टल हेल्थ पर गहरा असर डाल सकते हैं। घोस्टिंग जहां बिना किसी एक्सप्लेनेशन के अचानक गायब हो जाना है।
वहीं जॉम्बीइंग तब होता है जब वही पार्टनर महीनों बाद वापस आ जाए। ये दोनों ही आपके मेन्टल हेल्थ पर गहरा असर डाल सकते हैं। इससे आपको क्लोजर नहीं मिलता और कन्फ्यूजन बढ़ता है। आइए इसे समझें...
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घोस्टिंग क्या है
घोस्टिंग का मतलब है किसी से अचानक संपर्क तोड़ देना (Sudden Disappearance)। कल्पना कीजिए आप किसी के साथ अच्छे से बात कर रहे थे, सब कुछ स्मूथ चल रहा था और अचानक वो गायब। उस व्यक्ति ने आपके मैसेज का जवाब देना बंद कर दिया, कॉल लेना बंद कर दिया और सोशल मीडिया से भी दूर हो गया।
जैसे कोई भूत अचानक ओझल हो जाता है, वैसे ही आपका पार्टनर आपकी जिंदगी से बिना कोई एक्सप्लेनेशन दिए चला जाता है। ये आजकल कम्युनिकेशन की कमी के कारण बहुत कॉमन हो गया है। ऐसा करना बहुत ही पेनफुल और डिसअप्पोइंटिंग होता है, क्योंकि सामने वाले को क्लोजर नहीं मिलता।
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जॉबीइंग क्या है
अब बात करते हैं जोंबीइंग की जो घोस्टिंग से ही जुड़ा हुआ है। जब कोई इंसान आपको घोस्ट करके चला जाता है। फिर महीनों या सालों बाद अचानक वापस आ जाए, तो इसे जॉम्बीइंग (Zombieing) कहते हैं।
जैसे फिल्मों में जॉम्बी वापस उठकर आ जाते हैं। वैसे ही आपका एक्स एक टेक्स्ट मैसेज या सोशल मीडिया पर एक लाइक के साथ रेसुररेक्टेड हो जाता है।
वो आपसे कॉटेक्ट साधने की कोशिश करता है, जैसे कुछ हुआ ही न हो। यह पूरी सिचुएशन उस व्यक्ति के लिए बहुत कन्फ़्यूजिंग हो सकती है जिसे पहले घोस्ट किया गया था।
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ये ट्रेंड्स इतने कॉमन क्यों हो रहे हैं
आज के डिजिटल युग में रिश्ते बनाना जितना आसान है, उन्हें तोड़ना भी उतना ही आसान हो गया है।
कमिटमेंट का डर:
कई लोग आज-कल किसी भी रिश्ते में गंभीरता से बंधने से डरते हैं, इसलिए वे मुश्किल बातचीत से बचने के लिए घोस्टिंग का सहारा लेते हैं।
आसान निकास:
ऑनलाइन डेटिंग ऐप्स ने लोगों को अनगिनत विकल्प दिए हैं, जिससे एक व्यक्ति को छोड़ना और दूसरे को ढूंढना बहुत सिंपल हो गया है।
टकराव से बचना:
किसी को ‘हमें ब्रेकअप करना है’ कहना मुश्किल होता है। इसलिए लोग टकराव से बचने के लिए चुप्पी साध लेते हैं।
इन ट्रेंड्स से खुद को कैसे बचाएं
अगर आप इस मॉडर्न डेटिंग कल्चर से परेशान हैं तो ये बातें याद रखें:
खुद की वैल्यू समझें:
अगर कोई बिना बताए चला जाता है, तो याद रखें, समस्या आप में नहीं है। बल्कि उनके कम्युनिकेशन स्किल में है।
क्लोजर की जरूरत नहीं:
आपको उनकी तरफ से एक्सप्लेनेशन का इंतजार नहीं करना चाहिए; अपनी जिंदगी में आगे बढ़ें।
जॉम्बी को ना कहें:
अगर कोई एक्स वापस आए, तो उनकी बातों में जल्दी न आएं; पुराने पैटर्न अक्सर रिपीट होते हैं।
भावनाएं व्यक्त करें:
अगर आप किसी रिश्ते में हैं, तो ओपन और ईमानदार कम्युनिकेशन बनाए रखें।
लिमिट्स सेट करें:
अपनी सीमाएं (healthy lifestyle) साफ रखें और किसी को भी अपनी मेन्टल पीस ब्रेकडाउन न करने दें।
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