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Photograph: (the sootr)
सिंहासन छत्तीसी(Singhasan chattisi).छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारे खबरों से हमेशा गर्म रहते हैं। एक जिले के डीएसपी साहब हैं जिनके जलवे ही अलग हैं। जलवा ऐसा कि वे अपने सीनियर अफसरों को कुछ नहीं समझते हैं। यहां तक कि यहां तक कहा जाने लगा है कि कोई उनका क्या बिगाड़ लेगा। वहीं प्रदेश के मंत्री हैं कि मानते नहीं हैं।
छत्तीसगढ़ में सुशासन चल रहा है और मंत्रीजी ठेकेदारों की रेट लिस्ट बनाए जा रहे हैं। आखिर इनको क्या डर नहीं लगता क्योंकि ऐसी बातें छिपाए नहीं छिपतीं। खैर बीजेपी नेताओं के लिए एक खुशखबरी है। अब छत्तीसगढ़ में बड़ी तेजी से मोदी जैकेट का फैशन चलने वाला है। छत्तीसगढ़ की राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों की ऐसी ही अनसुनी खबरों के लिए पढ़िए द सूत्र का साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी।
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डीएसपी साहब के क्या कहने :
वाह साहब! क्या कहने DSP साहब के। छत्तीसगढ़ में एक बड़े जिले के DSP की चाल-ढाल तो ऐसी है जैसे कल ही IG की कुर्सी का माप लेकर आए हों! अपने ही वरिष्ठ अधिकारी को अपशब्द बोलने का जो कॉन्फिडेंस है,वह सामान्य नहीं है,यह तो वही सुपरपावर है, जो सिर्फ उन लोगों को मिलती है जिन पर हमारा कोई क्या बिगाड़ लेगा का पर्सनल बीमा लगा होता है।
लगता है जिले में कानून-व्यवस्था से ज़्यादा, DSP साहब के मनोबल की सुरक्षा पर ध्यान दिया जा रहा है। यहां के डीएसपी पर एसपी साहब का हाथ है इसीलिए वे आईजी साहब को कुछ नहीं समझते आईजी साहब ने इनके कारनामों पर जांच बैठा रखी है और एसपी साहब ने इनको बड़ी पोस्टिंग दे दी। अब तो डीएसपी साहब हवा में उड़ रहे हैं और गाहे बगाहे यह भी कह देते हैं कि कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
ठेकेदारों के रेट तय :
हाल ही मंत्री बने महोदय की सोशल मीडिया पर काफ़ी चर्चा है। विषय ऐसा है कि उन्होंने ठेकेदारों, एजेंसियों और सप्लायरों के लिए रेट तय कर दिए हैं। जी हां, उनके क्लब में सदस्यता की फीस 25 लाख रुपए नकद रखी है और इसे ही प्रोटेक्शन मनी माना जा रहा है। सदस्यता शुल्क के फायदे यह भी है कि न तो अधिकारियों का झंझट, न बिलिंग की टेंशन, ठेके की खानापूर्ति करो और पैसे लेकर चलते बनो।
ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि महोदय जानते हैं कि वे वन टाइम मिनिस्टर हैं। तो यह स्वाभाविक है कि जनता की सेवा तो उनके वीकेंड हॉलीडे की तरह है, मन है तो कर लो। वैसे ही कुछ दिन पहले एक और मंत्रीजी चर्चा में थे, जिनके बंगले में ठेकेदार और सप्लायरों की पंक्ति बिना घड़ी और मोबाइल के होती थी। अब प्रदेश में तरक्की हो रही है लेकिन किसकी यह आप तय कीजिए।
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साहब को नहीं भा रही डिजिटल अटेंडेंस :
मंत्रालय में यह बड़ा विषय है कि साहबों को बायोमेट्रिक अटेंडेंस नहीं भाती है। अब अफसर हैं तो क्या लाइन में लगकर थंब इंप्रेशन लगाएंगे। जब थंब इंप्रेशन लगाएंगे तो टाइम पर दफ्तर आना पड़ेगा वरना सबको पता चल जाएगा कि कौन कितने बजे आता है और कितने बजे जाता है। पुराने सीएस तो यह सिस्टम नहीं लगा पाए अब बीड़ा नए साहब ने उठाया है। थंब इंप्रेशन पर आपत्ति आने के बाद जीएडी ने मोबाइल में ऐप अपलोड करने का विकल्प दिया, उसमें मंत्रालय के भीतर आते ही अपने आप अटेंडेंस लग जाता। मगर इसके लिए भी कोई टस-से-मस नहीं हुआ। अब एक दिसंबर से बाबू से लेकर अफसरों तक यह सबके लिए अनिवार्य कर दिया गया है। चेहरा दिखाओ या थंब लगाओ, दो में से एक ऑप्शन तो चुनना पड़ेगा। इसका ट्रॉयल भी शुरु हो गया है। नए साहब ने साफ कह दिया कि दिल्ली की तरह मंत्रालय में भी बायोमेट्रिक लगाया जाए। दिल्ली में मुख्य सचिव के समकक्ष भारत सरकार के सचिव से लेकर सेक्शन ऑफिसर और बाबू तक थंब लगाते हैं, फिर भीतर जाते हैं। अब साहब परेशान हैं कि इससे कैसे बचा जाए।
छत्तीसगढ़ में मोदी जैकेट :
वैसे देश में नेहरु जैकेट के बाद मोदी जैकेट का फैशन चल रहा है। छत्तीसगढ़ मे मोदी जैकेट का फैशन कुछ ज्यादा ही चलने वाला है। इसके पीछे एक बड़ा कारण है। यहां के नेताओं के लिए खुशी की बात है कि पीएम मोदी की ड्रेस डिजाइन करने वाली टेक्सटाइल कंपनी जेड ब्लू छत्तीसगढ़ में इन्वेस्ट करना चाहती है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के गुजरात दौरे में कंपनी के प्रोप्राइटर ने उनसे मुलाकात की। अच्छी बात है पीएम नरेंद्र मोदी के स्टाइल का कुर्ता, पायजामा और जैकेट अब छत्तीसगढ़ में बनेगा और यहां के नेताओं के लिए सुलभ होगा।
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