पटवारी परीक्षा: 74 पन्नों की जांच रिपोर्ट सतही, फेल उम्मीदवार मांग रहे CBI जांच

कमेटी के प्रमुख रिटायर जस्टिस राजेंद्र वर्मा ने पूरी कोशिश की और पटवारी परीक्षा की 74 पन्नों की जांच रिपोर्ट सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) को जमा हो चुकी है और इसमें पूरे मामले को क्लीन चिट मिली है...

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Pooja Kumari
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संजय गुप्ता @ INDORE

पटवारी परीक्षा की 74 पन्नों की जांच रिपोर्ट सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) को जमा हो चुकी है और इसमें पूरे मामले को क्लीन चिट मिली है। इसके बाद इसके रिजल्ट में सफल नौ हजार से ज्यादा उम्मीदवारों को जल्द नियुक्ति मिलने की उम्मीद जागी है, लेकिन द सूत्र को मिली जानकारी के अनुसार यह रिपोर्ट सतही बनी है और जांच को लेकर इतने अंदर तक नहीं गई है कि इसमें दलालों के पूरे खेल को पकड़ा जा सके। कमेटी के प्रमुख रिटायर जस्टिस राजेंद्र वर्मा ने पूरी कोशिश की लेकिन उनके पास जांच एजेंसियों जैसे ना अधिकार थे और न ही इतने संसाधन थे कि वह यहां तक जाते। इसलिए ईएसबी से मिले दस्तावेज के आधार और संभागीय मुख्यालयों पर लिए गए बयानों के आधार पर ही यह रिपोर्ट तैयार हुई है। इस रिपोर्ट से चयनित पटवारी तो खुश है। जल्द नियुक्ति होगी लेकिन वहीं फेल उम्मीदवार निराश है और उनके आरोप है कि मामले को पूरी तरह से दबा दिया गया है और इसकी सीबीआई जांच होना चाहिए।

कमेटी ने यह पाया

  • कमेटी का साफ कहना है कि जो भी टॉपर्स है उन्होंने अलग-अलग समय दस्तावेज भरे, परीक्षा दी, ऐसे में यह संदेह नहीं किया जा सकता है कि किसी गड़बड़ी से वह टॉपर्स बने।
  • एक ही सेंटर से अधिक चयन होने पर भी शंका नहीं की जा सकती, क्योंकि उम्मीदवार लाखों में थे और कई सेंटर से भी अधिक चयन हुए हैं।
  • एक ही सेंटर से टॉपर अधिक आने से पूरी परीक्षा पर संशय नहीं कर सकते।
  • जो दिव्यांग है उनके दस्तावेज सही या गलत, ये तो नियुक्ति के समय दस्तावेज सत्यापन से ही पता चलेगा, इसलिए इस पर शक नहीं कर सकते
  • जिन्होंने हिंदी में हस्ताक्षर किए और मेरिट में आए, उन्हें अंग्रेजी में पूरे अंक नहीं आए हैं, तो केवल हिंदी हस्ताक्षर के कारण चयन पर सवाल नहीं उठता।
  • कमेटी ने ईएसबी के ऑनलाइन परीक्षा सिस्टम को सही पाया और रिपोर्ट में लिखा कि इसमें सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़ संभव नहीं है। सिस्टम फुल प्रूफ है।
  • कमेटी ने नार्मलाइजेशन सिस्टम में खेल का भी आरोप खारिज किया और कहा कि यह यूनिवर्सिल मैथड है और इसमें भी गड़बड़ नहीं है।

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कमेटी इन बिंदुओं पर नहीं कर सकी सघन जांच

  • द सूत्र ने इस मामले में दलाल का स्टिंग भी जारी किया था, जिसमें साफ दावा था कि पूरा खेल मनपसंद सेंटर पर बैठाकर किया जाता है और फिर नार्मलाइजेशन के जरिए नंबर बढ़ाने का दूसरा खेल होता है।
  • ऐसे सेंटर से सेटिंग वाले उम्मीदवारों को चुना जाता है जिस पर किसी की नजर नहीं होती है और यह मुख्य शहरों में सामान्य तौर पर नहीं होता है।
  • बालाघाट पुलिस ने एक आरक्षक भर्ती परीक्षा नकल मामले में कुछ लोगों को पकड़ा था, जिसमें आरोपियों का कहना था कि पटवारी भर्ती परीक्षा में भी घोटाला किया था। इस मुद्दे की कमेटी ने पुलिस से कोई रिपोर्ट नहीं ली, नहीं तो इससे कैसे वह घोटाला करते हैं रैकेट से जानकारी मिलती।
  • ग्वालियर में एनएचएम भर्ती घोटाले में पकड़े गए एक सरगना ने कबूला था कि भर्ती परीक्षा में घोटाले होते हैं, लेकिन इसमें आरोपियों की जमानत हो गई और पुलिस ने जांच नहीं की और ना ही कमेटी ने इस मुद्दे की जानकारी पुलिस से ली।
  • इसके पहले ग्वालियर पुलिस ने ही फर्जी थंब इंप्रेशन व आधार कार्ड में करेक्शन करते हुए युवकों को पकड़ा था, वह भी पटवारी भर्ती परीक्षा के पहले। लेकिन मामला ठंडा कर दिया गया।
  • इस तरह पुलिस ने कई रैकेट में जांच नहीं की और वहीं कमेटी ने इन मामलों की पुलिस से भी जानकारी नहीं ली।

एनईवाययू ने की सीबीआई जांच की मांग

नेशनल यूथ एजुकेटेडे यूनियन (एईवाययू) के राधे जाट ने कहा कि पटवारी परीक्षा में गड़बड़ी तो हुई है लेकिन रिपोर्ट में लीपापोती हुई है। जब पटवारी परीक्षा के टॉपर्स मप्र की राजधानी का नाम नहीं बता पा रहे हैं तो फिर रिजल्ट पर किस तरह से भरोसा किया जा सकता है। हमारी मांग है कि इसकी सीबीआई जांच होना चाहिए।

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अभी तक यह हुआ

नवंबर 2022 में पटवारी सहित ग्रेड-3 के 9200 पदों के लिए कर्मचारी चयन आयोग ने नोटिफिकेशन जारी किया था। 15 मार्च से 26 अप्रैल तक 78 परीक्षा सेंटर पर परीक्षाएं हुईं। इस परीक्षा के लिए 12 लाख 7963 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। इसमें 9 लाख 78 हजार 270 उम्मीदवार परीक्षा में शामिल हुए। 30 जून को रिजल्ट आया। 8617 पदों के लिए मेरिट लिस्ट जारी हुई। बाकी पदों के रिजल्ट रोके गए, लेकिन इसी दौरान ग्वालियर के एक ही सेंटर एनआरआई कॉलेज से 10 में 7 टॉपर के नाम सामने आने के बाद परीक्षा पर सवाल उठे तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 13 जुलाई की शाम को परीक्षा की जांच कराने की घोषणा कर दी। 19 जुलाई को जस्टिस राजेंद्र वर्मा की अध्यक्षता में एक सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया गया। आयोग को जांच के लिए 31 अगस्त तक का समय दिया गया, लेकिन इसके बाद जांच आयोग का कार्यकाल पहले 31 अक्टूबर और फिर 15 दिसंबर तक बढ़ गया। इसके बाद नई सरकार में कार्यकाल 31 जनवरी तक बढ़ा दिया गया, इस समयसीमा में कमेटी ने रिपोर्ट सौंप दी।

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