BHOPAL. दमोह जिले का कुंडलपुर इस वक्त बेसब्री से राधाष्टमी का इंतज़ार कर रहा है। राधाष्टमी यानि 23 सितंबर को सिद्ध क्षेत्र कुंडलपुर में माता रुक्मणी देवी मंदिर में ऐतिहासिक प्रतिमा एक बार फिर विराजित होगी। यह प्रतिमा 21 साल पहले तस्करों ने चुरा ली थी। इसे राजस्थान के हिंडोला से विदिशा और फिर वहां से वापस दमोह लाया गया है। बता दें कि केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने सांसद बनते ही सबसे पहला संकल्प देवी प्रतिमा को वापस लाने का लिया था। इस मामले को पटेल ने संसद में भी उठाया था। पटेल का संकल्प था की वे देवी प्रतिमा को मठ में स्थापित करवाएंगे। उल्लेखनीय है कि बुंदेलखड इलाके का ये एकमात्र माता रुक्मणि मंदिर है।
2002 में हुई थी प्रतिमा चोरी
यह प्रतिमा साल 2002 में तस्करों ने चुरा ली थी। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने इस पूरे आयोजन का जिम्मा खुद संभाल रखा है। राधाष्टमी के दिन शुभ मुहूर्त में माता रुक्मणी देवी की मूल प्रतिमा को फिर से विराजमान कराया जाएगा। राजस्थान के हिंडोला में इस मूर्ति को तस्करों से मुक्त करवाया गया। इसके बाद प्रदेश में विदिशा जिले के ग्यारसपुर संग्रहालय में रखा गया था। 2019 में यह प्रतिमा दमोह लाई गई थी। तब से फिलहाल तक प्रतिमा दमोह के दमयंती संग्रहालय में सुरक्षित रखी हुई है।
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मां रुक्मणी की प्रतिमा के वापस लौटने की कहानी...
2002 में मां रुक्मणी की प्रतिमा चोरी होने के बाद ही इस मुद्दे पर राजनीति होती रही। विदिशा के ग्यारसपुर संग्रहालय में रखे रहने का मुद्दा भी समय-समय पर जोर पकड़ता रहा। दमोह के नेता इसे हर चुनाव के वक्त याद करते। दमोह सांसद व केंद्रीय राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल ने माता रुक्मणी की प्रतिमा को वापस मठ में स्थापित कराने का संकल्प लिया था। इसके बाद पर्यटन एवं सस्कृति मंत्रालय का जिम्मा बतौर राज्यमंत्री मिलते ही उन्होंने ग्यारसपुर से प्रतिमा को दमोह बुलवा लिया था। अब माता रुक्मणी देवी की प्रतिमा को श्री राधाष्टमी के दिन शुभ मुहूर्त में कुंडलपुर स्थित मठ में स्थापित कर प्राण प्रतिष्ठा कराई जाएगी। बुंदेलखंड इलाके माता रुक्मणी का यह इकलौता मठ या मंदिर है।
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