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रायपुर : भारतमाला परियोजना में मुआवजा में भ्रष्टाचार का ऐसा खेल हुआ कि राजस्व अधिकारी के साथ भूमाफिया और सेठ-साहूकार मालामाल हो गए। एसडीएम ने केंद्र की राशि में मन माफिक और नए नए प्रकार की गड़बड़ियां की। भारतमाला में भ्रष्टाचार की जांच में हो रहे खुलासे से लोग हैरान हैं। 50 किलोमीटर की सड़क में 100 करोड़ का मुआवजा बांट दिया गया तो महज 9 किलोमीटर में 250 करोड़ का मुआवजा ही बंटा। यह मुआवजा उस जमीन के लिए था जो इस प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित की गई है। इस पूरे मामले में चार आरोपियों को तो गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन सवाल यह पैदा हो रहा है कि बड़ी मछलियों को क्यों छोड़ा जा रहा है।
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इस तरह हुई मुआवजे में गड़बड़ी
तत्कालीन एसडीएम और तहसीलदार ने भारतमाला प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार के नए नए तरीके ईजाद किए। मुआवजे की बंदरबांट कर अधिकारियों ने अपनी और रसूखदारों की जेबें भर दीं। ऐसा ही एक और नमूना आपको बताते हैं। अभनपुर में 9.38 किलोमीटर के एरिया में 50.28 हेक्टेयर प्रायवेट लैंड अधिग्रहित की गई। इस जमीन के लिए 248 करोड़ का मुआवजा बांट दिया गया। इसमें अभी 78 करोड़ का क्लेम बचा है जिसके बंटने के पहले ही मामले का भंडाफोड़ हो गया। वहीं धमतरी जिले के कुरूद में 51.97 किलोमीटर की सड़क के लिए 207.57 हेक्टयेर प्रायवेट लैंड का अधिग्रहण किया गया। उसके एवज में मात्र 108.75 करोड़ का मुआवजा बंटा। इस उदाहरण से समझा जा सकता है कि मुआवजे के वितरण में कितनी बंदरबांट की गई।
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बड़ी मछलियों पर मेहरबानी
इस पूरे मामले में छोटी मछलियों को तो पकड़ लिया गया लेकिन बड़ी मछलियां अभी गिरफ्त से बाहर हैं। ये वे अधिकारी हैं जिन्होंने ये पूरा खेल किया है। सरकार ने इनको इस भ्रष्टाचार का दोषी मानते हुए सस्पेंड भी कर दिया। ईओडब्ल्यू जांच भी कर रही है लेकिन उसके हाथ इन अधिकारियों के गिरेबान तक नहीं पहुंचे हैं। भारतमाला परियोजना में हुए घोटाले में निलंबित किए गए अभनपुर तहसील क्षेत्र के तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू, तहसीलदार शशिकांत कुर्रे, राजस्व निरीक्षक रोशनलाल वर्मा, पटवारी दिनेश पटेल के अलावा गोबरानवापारा के तत्कालीन नायब तहसीलदार लखेश्वर प्रसाद किरण, पटवारी नायकबांधा जीतेंद्र साहू, पटवारी बसंती घृतलहरे, और लेखराम पटेल के खिलाफ ईओडब्ल्यू ने केस दर्ज किया है। इन सभी के खिलाफ केस दर्ज किए कई दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी तक इनमें से से एक की भी गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। ईओडब्ल्यू ने इस घोटाले में चार लोगों को गिरफ्तार किया है। इन सभी को रिमांड पर लेकर पूछताछ भी की जा चुकी है, लेकिन ईओडब्ल्यू अब तक घोटाले की जड़ तक नहीं पहुंच पाई है।
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एनएचआई अफसरों की भूमिका पर भी सवाल
इस मामले में एनएचएआई अफसरों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। इस प्रोजेक्ट का नक्शा एनएचएआई द्वारा तैयार किया गया था। इस नक्शा के आधार पर प्रभावित किसानों की जमीनों का अधिग्रहण कर उन्हें मुआवजा बांटा गया है। इस तरह अधिसूचना जारी होने से पहले अगर प्रोजेक्ट का नक्शा लीक हुआ है, तो यह सवाल उठना भी लाजिमी है कि नक्शा एनएचएआई से लीक हुआ है। सवाल तो यह भी है कि नक्शा लीक हुआ है या फिर कराया गया। अगर कराया गया है, तो इस घोटाले में एनएचएआई के कुछ अफसरों की मिलीभगत की संभावना भी जताई जा रही है। भारतमाला परियोजना घोटाला की जांच जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा की गई थी। इस जांच रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि भारत माला परियोजना की अधिसूचना जारी होने के बाद बैंक डेट पर प्रभावित किसानों की जमीनों को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर उनके परिवार के अन्य सदस्यों के नाम पर चढ़ा दिया गया, ताकि जमीन अधिग्रहण के रूप में कई गुना ज्यादा मुआवजा राशि का वितरण किया जा सके।
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भ्रष्टाचार से अटका काम
रायपुर से विशाखापटनम की दूरी कम करने के लिए भारत सरकार 25 हजार करोड़ की लागत से 464 किलोमीटर लंबी सिक्स लेन एक्सप्रेस बना रही है। छत्तीसगढ़ में इसके तहत 124 किलोमीटर रोड बनाया जाएगा। उसके बाद 240 किलोमीटर ओड़िसा में और फिर आंध्रप्रदेश में 100 किलोमीटर का हिस्सा आएगा। इस एक्सप्रेस वे के बन जाने के बाद रायपुर से विशाखापत्तनम की दूरी 14 घंटे से आधी होकर सात घंटे हो जाएगी। एक्सप्रेस वे का ओड़िसा और आंध्रप्रदेश के हिस्से में काम जोर-शोर से चल रहा है। लेकिन इस प्रोजेक्ट में हुए भारी भ्रष्टाचार और किसानों के विरोध की वजह से अभनपुर के पास काम सुस्त चाल से चल रहा है।
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