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Photograph: (the sootr)
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 1000 करोड़ से भी अधिक के कथित वित्तीय घोटाले की जांच आखिरकार सीबीआई को सौंप दी है। निःशक्तजनों के नाम पर स्थापित स्टेट रिसोर्स सेंटर (एसआरसी) और फिजिकल रेफरल रिहैबिलिटेशन सेंटर (पीआरआरसी) में यह घोटाला बताया जा रहा है।
इस घोटाले में राज्य के दो पूर्व मुख्य सचिवों के अलावा तत्कालीन मंत्री रेणुका सिंह सहित अन्य आईएएस अधिकारियों का नाम सामने आया है। कोर्ट ने अपने आदेश में सीबीआई को पहले से दर्ज एफआईआर पर आगे बढ़ाने और 15 दिनों के भीतर संबंधित दस्तावेज जब्त करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि मामले में प्रथम दृष्टया साक्ष्य मौजूद हैं, जो दर्शाते हैं कि राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ है। इसकी निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच के लिए सीबीआई को जिम्मेदारी सौंपी जाती है।
कुंदन सिंह ठाकुर ने लगाई थी याचिका
जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की डिवीजन बेंच ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया गया। याचिकाकर्ता कुंदन सिंह ठाकुर ने दावा किया है कि पीआरआरसी में बड़े पैमाने पर वित्तीय हेराफेरी की गई है, जिसमें कर्मचारियों की फर्जी सूची के आधार पर वेतन निकाला गया और सार्वजनिक धन का दुरुपयोग किया गया। कोर्ट ने पाया कि मुख्य सचिव द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट और विशेष ऑडिट में 31 वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं।
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14 साल तक नहीं करवाया ऑडिट
याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि एसआरसी के खातों का 14 साल तक ऑडिट नहीं हुआ और जब उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी, तो उन्हें धमकियां मिलीं।
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि कुंदन सिंह ठाकुर को पीआरआरसी में सहायक ग्रेड- दो के रूप में नौकरी करना दिखाया गया, जबकि उन्होंने कभी वहां नौकरी के लिए आवेदन नहीं किया। फिर भी, उनके नाम पर वेतन निकाला गया, जो एक बड़े वित्तीय घोटाले का हिस्सा है। उन्होंने दावा किया कि पीआरआरसी केवल कागजों पर काम कर रहा है और इसके लिए कोई भर्ती प्रक्रिया या विज्ञापन नहीं जारी किया गया।
एक हजार करोड़ का घोटाला और हाईकोर्ट के आदेश को ऐसे समझेंसीबीआई जांच का आदेश: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 1000 करोड़ रुपये के वित्तीय घोटाले की जांच सीबीआई को सौंप दी है, जिसमें राज्य के दो पूर्व मुख्य सचिव और अन्य अधिकारियों के नाम शामिल हैं। फर्जी कर्मचारियों की सूची: याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि फिजिकल रेफरल रिहैबिलिटेशन सेंटर (PRRC) में फर्जी कर्मचारियों की सूची बनाकर वेतन निकाला गया और सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया। 14 साल तक नहीं हुआ ऑडिट: स्टेट रिसोर्स सेंटर (SRC) के खातों का 14 साल तक ऑडिट नहीं किया गया, और सूचना के अधिकार (RTI) के तहत जानकारी मांगने पर याचिकाकर्ता को धमकियां मिलीं। सरकार का बचाव: छत्तीसगढ़ सरकार ने कहा कि इस घोटाले का दावा अतिशयोक्तिपूर्ण है, क्योंकि इन केंद्रों का वार्षिक बजट 60 लाख से 1 करोड़ रुपये था, और यह मामला प्रशासनिक खामियों से संबंधित है, न कि आपराधिक साजिश से। 31 अनियमितताएं सामने आईं: विशेष ऑडिट में 31 वित्तीय अनियमितताएं पाई गईं, जिसके बाद जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सुधारात्मक कदम उठाए गए और नोटिस जारी किए गए। |
वार्षिक बजट 60 लाख रुपए
राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने तर्क दिया कि एसआरसी और पीआरआरसी का वार्षिक बजट क्रमशः 60 लाख से 1 करोड़ और 34 से 50 लाख रुपये है। इसलिए, याचिकाकर्ता का हजारों करोड़ के घोटाले का दावा अतिशयोक्तिपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि यह मामला प्रशासनिक खामियों का है, न कि आपराधिक साजिश का। सरकार ने दावा किया कि जांच में 31 अनियमितताएं पाई गईं, जिनके लिए जिम्मेदार अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए और सुधारात्मक कदम उठाए गए।
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