शराब घोटाला में  EOW की रडार पर 16 बड़े नाम

छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच तेज हो गई है। दिल्ली में शराब कारोबारी विजय भाटिया की गिरफ्तारी के बाद EOW ने 16 आरोपियों को निशाने पर लिया है। इनमें सिद्धार्थ सिंघानिया, पीयूष बिजलानी और दिपेंद्र चावड़ा जैसे नामी चेहरे शामिल हैं।

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Krishna Kumar Sikander
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छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 2161 करोड़ रुपये के शराब घोटाले की जांच तेज हो गई है। दिल्ली में शराब कारोबारी विजय भाटिया की गिरफ्तारी के बाद आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने 16 प्रमुख आरोपियों को निशाने पर लिया है। इनमें सिद्धार्थ सिंघानिया, पीयूष बिजलानी और हवाला कारोबारी दिपेंद्र चावड़ा जैसे नामी चेहरे शामिल हैं, जो शराब, पैसे और रॉ मटेरियल की आपूर्ति में अहम भूमिका निभा रहे थे। EOW जल्द ही इन आरोपियों को नोटिस जारी कर पूछताछ शुरू करने वाली है। सूत्रों के अनुसार, विजय भाटिया के साथ इनके गहरे कनेक्शन सामने आए हैं।

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शराब, पैसा और रॉ मटेरियल की सांठगांठ

EOW की जांच में सामने आया है कि इस घोटाले में बड़े कारोबारी, प्लेसमेंट एजेंसी के संचालक और हवाला नेटवर्क से जुड़े लोग शामिल थे। ये लोग शराब की अवैध आपूर्ति, पैसे के लेनदेन और रॉ मटेरियल की लॉजिस्टिक्स को अंजाम देते थे। जांच से राजनीतिक और आर्थिक गठजोड़ के बड़े खुलासे होने की संभावना है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी पप्पू बंसल से पूछताछ के बाद EOW का दायरा और विस्तृत हुआ है। इस महीने के अंत तक आरोपियों के बयान दर्ज किए जा सकते हैं, जो घोटाले के अनदेखे पहलुओं को उजागर कर सकते हैं।

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यह है शराब घोटाला?

प्रवर्तन निदेशालय (ED) इस मामले की जांच कर रहा है, जिसने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) में 2000 करोड़ से अधिक के घोटाले की FIR दर्ज की है। ED की जांच के अनुसार, भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के नेतृत्व में एक सिंडिकेट ने इस घोटाले को अंजाम दिया।

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घोटाले का ताना-बाना: A, B और C श्रेणी में बंटवारा  

श्रेणी A: डिस्टलरी से कमीशन
2019 में डिस्टलरी संचालकों से प्रति पेटी 75 रुपये और बाद में 100 रुपये कमीशन लिया गया। डिस्टलरियों को नुकसान न हो, इसलिए शराब की कीमतें बढ़ाई गईं और ओवर-बिलिंग की छूट दी गई।

श्रेणी B: नकली होलोग्राम से अवैध बिक्री
डिस्टलरियों से अतिरिक्त शराब बनवाई गई और नकली होलोग्राम लगाकर सरकारी दुकानों में बेची गई। होलोग्राम सप्लायर विधु गुप्ता को एपी त्रिपाठी ने तैयार किया। खाली बोतलों की आपूर्ति और नकली होलोग्राम वाली शराब के परिवहन की जिम्मेदारी अरविंद सिंह और अमित सिंह को सौंपी गई। 15 जिलों में बिना रिकॉर्ड के शराब बेची गई, जिसकी कीमत प्रति पेटी 2880 रुपये से बढ़ाकर 3840 रुपये की गई। डिस्टलरी मालिकों को प्रति पेटी 560 से 600 रुपये दिए गए। ACB को 40 लाख पेटी अवैध शराब बिक्री के साक्ष्य मिले हैं।

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श्रेणी C: सप्लाई जोन में हेरफेर
देशी शराब की बिक्री के लिए 8 जोन बनाए गए। एपी त्रिपाठी ने जोन के आधार पर शराब बिक्री का विश्लेषण उपलब्ध कराया, जिसके जरिए सप्लाई एरिया को कम-ज्यादा कर अवैध वसूली की गई। तीन वित्तीय वर्षों में डिस्टलरियों से 52 करोड़ रुपये कमीशन के रूप में वसूले गए।

सियासत में हलचल मचा सकता है घोटाला

EOW की जांच से शराब घोटाले का जाल और साफ होने की उम्मीद है। आरोपियों के बयान और सबूत बड़े राजनीतिक और आर्थिक गठजोड़ को उजागर कर सकते हैं, जो छत्तीसगढ़ की सियासत में हलचल मचा सकता है।

 

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