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16 करोड़ की इंजेक्शन भी छयंग को ठीक नहीं कर पाई। यह इंजेक्शन मासूम को मुंबई के नामी अस्पताल में इलाज के दौरान लगाया गया था। इंजेक्शन लगने के दो साल भी मासूम के स्वास्थ्य में कोई असर नहीं पड़ा है। दरअसल, छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में रहने वाला नन्हा छयंग एसएमए टाइप 1 (स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी) बीमारी से पीड़ित है। यह बीमारी दुर्लभ है।
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जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा 4 साल का मासूम
4 साल का एक बच्चा छयंग जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा है। क्योंकि वो दुर्लभ बीमारी से जूझ रहा है। जिससे उसके हाथ-पैर काम नहीं कर रहे। परिवार ने चंदा किया, मदद मांगी और कंपनी के लकी ड्रा के जरिए 16 करोड़ का इंजेक्शन लगवाया, लेकिन उससे ज्यादा फायदा नहीं हुआ। अब वो फिर से पुरानी स्थिति में लौट रहा है।
दरअसल, पुसौर ब्लॉक के पुरंगा गांव का रहने वाला छयंग नायक महज 4 साल का है। जब वह पैदा हुआ तो 6 महीने बाद उसके हाथ-पैर और कमर अचानक काम करना बंद कर दिया। उसके किसान माता-पिता उसे इलाज के लिए कई अस्पताल में ले गए, लेकिन वहां कोई इलाज नहीं मिला।
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ऐसे में छयंग के पिता नरेंद्र नायक और उनकी मां पद्मनी नायक निराश हो गए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। इस बीमारी के बारे में पूछने पर उन्हें पता चला कि, उसे एसएमए टाइप 1 (स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी) है। यह एक दुर्लभ बीमारी है।
चंदा- मदद मांगकर छयंग का कराया इलाज
इस बीमारी का पता चलते ही उसके माता-पिता क्राउड फंडिंग से उसका इलाज की कोशिश, लेकिन 3 लाख 39 हजार 304 रुपए ही चंदा जोड़ पाए। इसी बीच दवा कंपनी के लक्की ड्रा में छयंग का नाम निकला। जिसके बाद 17 फरवरी 2022 को 14 महीने की उम्र में 16 करोड़ रुपए का ज्योलगेस्मा इंजेक्शन उसे मुंबई के एक अस्पताल में लगा था।
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क्या है एसएमए टाइप-1 दुर्लभ बीमारी
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 एक दुर्लभ बीमारी है। इससे मांसपेशियां पूरी तरह से कमजोर हो जाती है। हाथ-पैर में मूवमेंट नहीं होता है। इसमें सांस लेने में भी परेशानी होती है। इस बीमारी से शरीर के कई अंग से पूरी तरह शून्य हो जाते हैं।
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