सरेंडर करने वाले नक्सलियों की असलियत पहचानने के लिए बनाई कमेटी

बीजेपी सरकार बनने के बाद ढाई हजार से ज्यादा नक्सली सरेंडर कर चुके हैं। इस संख्या को देखते हुए सरकार को एक आशंका घर कर गई है। सरकारी योजनाओं को देखते हुए कहीं सरेंडर करने फर्जी नक्सली न आ जाएं।

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Arun Tiwari
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A committee was formed to identify the reality of surrendered Naxalites the sootr
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रायपुर. नक्सल मोर्चे पर सरकार दो तरह से काम कर रही है सरेंडर या गोली। सरकार का पूरा फोकस सरेंडर पर है। नई नक्सल पॉलिसी भी तैयार है जिसे 4 अप्रैल को छत्तीसगढ़ आ रहे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लांच करेंगे। नई सरेंडर पॉलिसी में एक तरह से सरकार आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की पूरी चिंता करेगी या यूं कहं कि माओवादियों को तीन साल के लिए गोद लेगी। यही नहीं वे सरेंडर करते ही लखपति बन जाएंगे। लेकिन ऐसा होना आसान नहीं है।

नक्सलियों को ये फायदा तभी मिलेगा जब यह तय हो जाएगा कि वे असलियत में नक्सली हैं। और यह तय करेगी जिला स्तर पर बनाई गई कमेटी। यह कमेटी सरेंडर करने वाले नक्सलियों के बैकग्राउंड की पूरी पड़ताल कर यह प्रूफ करेगी कि वे वास्तव में नक्सली ही हैं तभी उनको सरकारी योजनाओं का फायदा मिलेगा। नई सरेंडर पॉलिसी को सरकार ने कुछ इस तरह बनाया है कि अब ये आशंका लगने लगी है कि कहीं मुफ्तखोर नक्सली बनकर न आ जाएं।  

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अब फर्जी नक्सलियों की आशंका 


सरकार 31 मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त करना चाहती है। इसके के लिए दो ही रास्ते हैं एक सरेंडर करना और दूसरा गोली मारना। सरकार का फोकस गोली से ज्यादा सरेंडर करवाने पर है। इसके लिए न सिर्फ उनसे आत्मसमर्पण या बातचीत करने की खुली अपील की गई है बल्कि उनकी चिंता करने वाली नई सरेंडर पॉलिसी भी बनाई गई है। इसमें नक्सलियों के रोटी,कपड़ा और मकान के साथ पढ़ाई लिखाई दवाई की गारंटी भी दी गई है। ये भी मोदी की ही गारंटी है। बीजेपी सरकार बनने के बाद ढाई हजार से ज्यादा नक्सली सरेंडर कर चुके हैं।

इस संख्या को देखते हुए सरकार को एक आशंका घर कर गई है। सरकारी योजनाओं को देखते हुए कहीं सरेंडर करने फर्जी नक्सली न आ जाएं। इस आशंका को खत्म करने के लिए सरकार ने जिला स्तर पर एक कमेटी बनाई है। यह कमेटी सरेंडर करने वाले नक्सलियों की पूरी जांच पड़ताल करेगी। उनका बैकग्राउंड देखेगी। और फिर प्रूफ करेगी कि आत्मसमर्पण करने वाले असली नक्सली ही हैं। जब यह साबित हो जाएगा तब उनको वे सारी सुविधाएं दी जाएंगी जो नई पॉलिसी में शामिल हैं। 

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नक्सलियों को गोद लेगी सरकार 


4 अप्रैल को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ आ रहे हैं। वे खासतौर पर बस्तर भी जाएंगे। शाह ही छत्तीसगढ़ की नई नक्सल सरेंडर पॉलिसी को लांच करेंगे। नई पॉलिसी के तहत नक्सलियों को लिए कई ऑफर हैं। एक तरह से सरकार उनको तीन साल के लिए गोद लेने जा रही है। इतना ही नहीं कुख्यात नक्सली सरेंडर करते ही लखपति भी बन जाएंगे। तीन साल तक सरकार उनकी पूरी चिंता करेगी और उनको रोजगार देकर मुख्य धारा में भी शामिल करेगी।

प्रधानमंत्री आवास के तहत घर दिया जाएगा। साथ में जमीन भी दी जाएगी। खर्च के लिए दस हजार रुपए महीने दिए जाएंगे। उन पर जितना इनाम होगा वो भी उनको मिलेगा। जितनी कीमत का असला बारुद बरामद होगा उसके मूल्य के रुपए भी उनको ही दिए जाएंगे। लाखों के ईनामी कुख्यात नक्सली के सरेंडर करने पर सरकारी नौकरी दी जाएगी यदि नौकरी नहीं दी गई तो 15 लाख रुपए दिए जाएंगे। पोलित ब्यूरो या केंद्रीय कमेटी के सदस्य के सरेंडर पर यह राशि एक करोड़ रुपए तक हो सकती है। बच्चों को पढ़ाई लिखाई मुफ्त कराई जाएगी। 

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नक्सलियों ने तेलगू में लिखी चिट्ठी 


सुरक्षा बलों की आक्रमकता को देखते हुए नक्सलियों का तेलगू में एक पत्र भी सामने आया है। यह नक्सलियों की तरफ से शांति प्रस्ताव है। नक्सलियों ने इसके जरिए युद्ध विराम की मांग की है। उन्होंने कहा कि वे शांति चाहते हैं लेकिन जवानों को उनके क्षेत्र से हटाया जाए और ऑपरेशन बंद किया जाए। इस चिट्ठी के सामने आने के बाद 
गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि हथियारों के साथ शांति नहीं हो सकती। नक्सली बिना शर्त बातचीत करने आएं तो सरकार अभी भी उनसे वार्ता को तैयार है। सरकार वार्ता के लिए किसी तरह की कमेटी नहीं बनाएगी। नक्सली चाहें तो कोई कमेटी बनाकर सरकार से बातचीत कर सकते हैं। 
वहीं सरकार ने लोगों में आत्मविश्वास जगाने के लिए नारायणपुर,बीजापुर और सुकमा जैसे कोर इलाकों में साप्ताहिक हाट बाजार शुरु करवा दिए हैं। मोबाइल नेटवर्क के लिए 50 से ज्यादा टॉवर लगाए जा रहे हैं। हिड़मा के गांव पूवर्ति और जगरगुंडा जैसे लाल आतंक के इलाकों में बस सेवा शुरु कर दी है। सरकार का दावा है कि डेडलाइन से पहले ही छत्तीसगढ़ नक्सल फ्री हो जाएगा

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