छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि यदि किसी अविवाहित लड़की की मृत्यु हो जाती है, तो उसकी चल-अचल संपत्ति पर उसके दत्तक पिता का कोई कानूनी अधिकार नहीं होगा चाहे उन्होंने उसे वर्षों तक पाला-पोसा हो और नामिनी के रूप में दस्तावेज़ों में उनका नाम दर्ज हो। अदालत ने यह भी कहा कि इस स्थिति में केवल लड़की की मां ही उसकी एकमात्र वैध उत्तराधिकारी मानी जाएगी।
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ये है मामला
यह मामला रायगढ़ जिले के पुसौर क्षेत्र का है, जहां खितिभूषण पटेल ने अपने छोटे भाई पंचराम पटेल की बेटी ज्योति पटेल को गोद लिया था। पंचराम छत्तीसगढ़ पुलिस में कांस्टेबल थे। 1999 में उनकी मृत्यु के बाद बेटी ज्योति अपने दादा के साथ रहने लगी। दादा की मृत्यु के बाद खितिभूषण ने उसे विधिवत दत्तक रूप में स्वीकार किया और उसकी पढ़ाई से लेकर नौकरी तक की सभी जिम्मेदारियां निभाईं।
दस्तावेज़ों में दत्तक पिता नामिनी थे
बाद में ज्योति को अपने पिता की जगह अनुकंपा नियुक्ति भी मिली, लेकिन 2014 में उसकी मृत्यु हो गई। उसके बैंक खातों, बीमा योजनाओं और अन्य लाभों में खितिभूषण का नाम नामिनी के रूप में दर्ज था। खितिभूषण ने उत्तराधिकार के लिए सिविल कोर्ट में दावा किया, परंतु वहां से मामला खारिज हो गया।
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हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कानून
इसके बाद उन्होंने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट के जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की एकल पीठ ने सिविल कोर्ट के निर्णय को बरकरार रखते हुए कहा कि भारतीय हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार, अविवाहित महिला की संपत्ति पर सबसे पहले उसकी मां का हक बनता है।
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कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नामिनी होना संपत्ति पर स्वामित्व का अधिकार नहीं देता—यह केवल राशि प्राप्ति के लिए एक माध्यम भर होता है। उत्तराधिकार का निर्णय हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत ही होगा। चूंकि मृतका अविवाहित थी और पिता पहले ही दिवंगत हो चुके थे, इसलिए मां ही उसकी एकमात्र उत्तराधिकारी होंगी।
हाईकोर्ट ने अपील खारिज की
हाईकोर्ट ने खितिभूषण पटेल की अपील को खारिज करते हुए यह ऐतिहासिक निर्णय दिया, जो भविष्य में ऐसे मामलों में एक मिसाल के रूप में देखा जाएगा।
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