महिला जज को नौकरी से हटाया तो वकील बन खुद लड़ा अपना केस...अब फिर से जज

Akanksha Bhardwaj Civil Judge : आकांक्षा भारद्वाज की शिकायत पर आंतरिक जांच कराई गई। इसमें महिला जज की शिकायत को गलत पाया गया। इसके बाद जनवरी 2017 में उन्हें नौकरी से हटा दिया गया था। 

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Marut raj
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Akanksha Bhardwaj Civil Judge : सिविल जज की नौकरी से हटाए जाने पर एक महिला ने खुद अपनी लड़ाई लड़ी। उन्होंने वकील के रूप में खुद अपना केस लड़ा। दूसरों को तारीख देने वालीं जज जब पद से हट गईं तो उनको भी तारीख पर तारीख ही मिलीं। यही वजह है कि करीब सात साल लग गए उनके केस का फैसला होने में। क्या है पूरा मामला, आइए आपको बताते हैं विस्तार से।

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क्या है पूरा मामला, इस तरह समझिए

आकांक्षा भारद्वाज बिलासपुर के सरकंडा में रहती हैं। उनका साल 2012- 13 में परीक्षा के जरिए सिविल जज के पद पर चयन हुआ था। 27 दिसंबर 2013 को उन्होंने पदभार संभाला था। उनका आरोप है कि ज्वॉइनिंग के समय एक वरिष्ठ अधिकारी ने उनके साथ अनुचित व्यवहार किया। उनका कहना है कि नई- नई नौकरी होने की वजह से उन्होंने इस मामले की शिकायत नहीं की थी।

प्रशिक्षण के बाद साल 2014 में उन्होंने अंबिकापुर में प्रथम सिविल जज वर्ग-2 के रूप में कार्यभार संभाला। उनका आरोप है कि जब वह केस के संबंध में चर्चा करने के लिए वरिष्ठ न्यायायिक अफसर के पास जाती थीं, तो उनके साथ अनुचित व्यवहार किया जाता था। इस संबंध में उन्होंने पहले तो मौखिक शिकायत दर्ज कराई, इसके बाद लिखित में भी शिकायत दर्ज कराई।

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जांच में आरोप गलत साबित होने पर हटाया नौकरी से

आकांक्षा भारद्वाज की शिकायत पर हाईकोर्ट ने आंतरिक जांच कराई। इसमें इसकी साल 2016 में रिपोर्ट आई। इस जांच रिपोर्ट में महिला जज की शिकायत को गलत पाया गया।  इसके बाद जनवरी 2017 में उन्हें नौकरी से हटा दिया गया। 

विधि विधायी विभाग के इस निर्णय को महिला जज ने सिंगल बेंच ने अपील दायर की। कोर्ट ने महिला जज के पक्ष में फैसला सुनाया। केस की पैरवी खुद आकांक्षा ने ही की। सिंगल बेंच के फैसले को विधि विधायी विभाग ने डिवीजन बेंच में चुनौती दी थी। डिवीजन बेंच ने विधि विधायी विभाग की अपील को खारिज करते हुए सिंगल बेंच के फैसले को सही ठहराया है।

महासमुंद में सिविल जज के रूप में पदस्थापना का आदेश

डिवीजन बेंच के फैसले के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने आंकाक्षा भारद्वाज को सिविल जज महासमुंद के पद पर पदस्थापना आदेश जाारी किया है। करीब सात साल चली लंबी लड़ाई के बाद उन्हें अपना औहदा वापस मिल सका है। 

 

FAQ

आकांक्षा भारद्वाज को सिविल जज के पद से क्यों हटाया गया था ?
आकांक्षा भारद्वाज ने अपने वरिष्ठ अधिकारी पर अनुचित व्यवहार का आरोप लगाया था और इसके संबंध में मौखिक और लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। आंतरिक जांच में उनकी शिकायत को गलत पाया गया, जिसके आधार पर जनवरी 2017 में उन्हें सिविल जज के पद से हटा दिया गया।
आकांक्षा भारद्वाज ने अपने पद को वापस पाने के लिए क्या कदम उठाए ?
आकांक्षा भारद्वाज ने खुद वकील के रूप में अपनी पैरवी की। उन्होंने विधि विधायी विभाग के निर्णय को सिंगल बेंच में चुनौती दी, जिसने उनके पक्ष में फैसला दिया। इसके बाद विभाग ने डिवीजन बेंच में अपील की, जिसे भी खारिज कर दिया गया, और आकांक्षा के पक्ष में सिंगल बेंच का फैसला बरकरार रखा गया।
अदालत के अंतिम फैसले में आकांक्षा भारद्वाज के लिए क्या निर्णय लिया गया ?
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने विधि विधायी विभाग की अपील को खारिज करते हुए आकांक्षा भारद्वाज को सिविल जज महासमुंद के पद पर बहाल करने का आदेश दिया। करीब सात साल की कानूनी लड़ाई के बाद उन्हें उनका पद और सम्मान वापस मिला।

 

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