Union Home Minister Amit Shah In CG : डोंगरगढ़ के चंद्रगिरी में आचार्य विद्यासागर महाराज की प्रथम पुण्यतिथि पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह शामिल हुए। इस दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि आचार्य विद्यासागर जी के जीवन का क्षण-क्षण और शरीर का कण-कण राष्ट्र को समर्पित रहा है।
शाह ने कहा कि, तप और साधना से उन्होंने भारत और भारतीय संस्कृति को विश्व में पहचान दिलाई। शाह ने आगे कहा कि महाराज जी केवल संत नहीं थे। वे विद्वान पुरुष थे, जिन्होंने नए विचार को जन्म दिया। शाह आगे बोले, देश की पहचान इंडिया नहीं भारत से होनी चाहिए।
जी-20 की मेजबानी के दौरान दूसरे देशों के राष्ट्र अध्यक्षों को निमंत्रण PMO भारत के नाम से गया। केंद्रीय गृहमंत्री ने ये बातें डोंगरगढ़ के चंद्रगिरी में आचार्य विद्यासागर महाराज की प्रथम पुण्यतिथि पर आयोजित विनयांजलि सभा में कही। उनके साथ सीएम साय भी मौजूद हैं। शाह ने आचार्य विद्यासागर की तस्वीर वाला 100 रुपए का स्मृति सिक्का भी जारी किया।
18 फरवरी 2024 को आचार्य विद्यासागर महाराज ने डोंगरगढ़ के चंद्रगिरी तीर्थ में समाधि ली थी। तिथि के अनुसार उनके समाधि को आज 6 फरवरी 2025 को एक वर्ष पूर्ण हो रहे है और एक वर्ष पूर्ण होने पर चंद्रगिरी ट्रस्ट की ओर से 1 से 6 फरवरी तक भव्य महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
प्रधानमंत्री और आरएसएस प्रमुख भी कर चुके हैं मुलाकात
डोंगरगढ़ में प्रसिद्ध मां बम्लेश्वरी का मंदिर है, प्रज्ञागिरि और चंद्रगिरि जैसे धार्मिक स्थल और विद्यासागर महाराज जी की समाधि के बाद यह क्षेत्र अब महातीर्थ बन चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समेत कई बड़े नेता यहां विद्यासागर महाराज से मुलाकात कर चुके हैं।
विद्यासागर महाराज ने समाज को देशभक्ति और संयम का रास्ता दिखाया। राष्ट्र संत विद्यासागर महाराज का जीवन राष्ट्रभक्ति और जनसेवा को समर्पित रहा। उनके द्वारा स्थापित कई सामाजिक प्रकल्प आज भी डोंगरगढ़ में सक्रिय हैं।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आचार्य विद्यासागर महाराज की प्रथम पुण्यतिथि पर क्या कहा?
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि आचार्य विद्यासागर महाराज का जीवन क्षण-क्षण और शरीर का कण-कण राष्ट्र को समर्पित था। उन्होंने तप और साधना से भारत और भारतीय संस्कृति को विश्व में पहचान दिलाई।
अमित शाह ने देश की पहचान को लेकर क्या बयान दिया?
अमित शाह ने कहा कि देश की पहचान इंडिया से नहीं बल्कि भारत से होनी चाहिए। उन्होंने उदाहरण दिया कि जी-20 की मेजबानी के दौरान अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों को निमंत्रण PMO भारत के नाम से भेजा गया था।
डोंगरगढ़ क्षेत्र को महातीर्थ क्यों कहा जा रहा है?
डोंगरगढ़ में प्रसिद्ध मां बम्लेश्वरी मंदिर, प्रज्ञागिरि और चंद्रगिरि जैसे धार्मिक स्थल मौजूद हैं। आचार्य विद्यासागर महाराज की समाधि बनने के बाद यह क्षेत्र महातीर्थ बन चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समेत कई बड़े नेता विद्यासागर महाराज से मुलाकात कर चुके हैं।