3 साल से कागजों में बंट रहा अमृत, अटल मिशन के 200 करोड़ खर्च लेकिन हासिल आई शून्य

देश में स्वतंत्रता का अमृतकाल चल रहा है। छत्तीसगढ़ में अफसरशाही का अमृतकाल है। दिल्ली से भेजा जाने वाला अमृत जनता की बजाय कहीं और ही जा रहा है।

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Arun Tiwari
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Amrit distributed paper 3 years 200 crores spent under Atal Mission
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देश में स्वतंत्रता का अमृतकाल चल रहा है। छत्तीसगढ़ में अफसरशाही का अमृतकाल है। दिल्ली से भेजा जाने वाला अमृत जनता की बजाय कहीं और ही जा रहा है। शहरों की बुनियादी जरुरतों को पूरा करने के लिए अटल मिशन यानी अमृत 2.0 शुरु किया गया।

तीन साल में इस मिशन के तहत 200 करोड़ रुपए भी खर्च हो गए लेकिन प्रदेश के किसी भी जिले में काम नहीं हुआ है। सरकार ने अपनी रिपोर्ट में दिखा दिया कि काम प्रगति पर है जबकि 9 जिलों में ये काम शुरु ही नहीं हुआ है। कुछ जिलों में ऐसा कारनामा भी किया गया है कि जीरो बजट में भी काम की प्रगति दिखा दी गई। अब इसे अफसरों का अमृतकाल न कहा जाए तो क्या कहें। द सूत्र आपको बता रहा है कि किस तरह कागजों में अमृत बंट रहा है।

 

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अटल मिशन पर पलीता 

छत्तीसगढ़ में अटल मिशन पर पलीता लगाया जा रहा है। साल 2022 में केंद्र सरकार ने शहरों की बुनियादी जरुरतों को पूरा करने के लिए अटल नवीनीकरण एवं शहरी परिवर्तन मिशन यानी अमृत 2.0 शुरु किया। इस मिशन में खासतौर पर पेयजल सप्लाई और सीवेज प्रबंधन का काम करना था। पूरे प्रदेश के शहरों में ब्लॉक स्तर तक शुरु हुए इस मिशन में पिछले तीन साल में अब तक कोई काम नहीं हुआ है। सबसे पहले आपको बताते हैं कि अटल मिशन के तहत क्या-क्या काम करना है। 
इसमें ठोस और तरल अपशिष्ट का प्रबंधन करना है। 

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पेजयल वितरण यानी पानी की सप्लाई व्यवस्था दुरुस्त करनी है ताकि जब तब पाइप लाइन फूटने की समस्या पैदा न हो और लोगों को जल संकट का सामना न करना पड़े।  
सीवरेज नेटवर्क को बेहतर बनाना है।
सेप्टेज प्रबंधन करना भी शामिल है। 
जल निकासी की सुचारु व्यवस्था का काम किया जाना है। 
शहरी परिवहन सुलभ बनाना है।
हरित स्थानों की व्यवस्था यानी जगहों को चिन्हित करना और वहां पर पौधारोपण करना। 

 

कागजों में चल रहा काम

इन कामों के तहत 33 जलप्रदाय और पांच सीवेज परियोजनाएं तैयार की गईं। यह छत्तीसगढ़ के लगभग सभी जिलों के ब्लॉक में की जानी है। अटल मिशन के तहत केंद्र सरकार ने भारी भरकम बजट भी रखा हुआ है। छत्तीसगढ़ को तीन साल में 200 करोड़ रुपए जारी किए गए।

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ये 200 करोड़ रुपए खर्च भी हो गए। इतना वक्त और पर्याप्त फंड खर्च होने के बाद भी सरकार किसी भी जिले के एक भी ब्लॉक में ये काम पूरा नहीं कर पाई है। सरकार की रिपोर्ट के अनुसार 9 जिलों में तो अभी पानी सप्लाई या सीवेज प्रबंधन के काम के टेंडर तक नहीं हो पाए हैं यानी यहां पर काम शुरु ही नहीं हुआ है। बाकी जगह पर फंड खर्च और काम प्रगति पर दिखा दिया है। कुछ जगह तो यह कमाल भी दिखाया कि जीरो बजट पर काम प्रगति पर है। 


इन जिलों में शुरु नहीं अटल मिशन

बिलासपुर जिले के कोटा में जलप्रदाय योजना रतनपुर 
रायपुर जिले में जलप्रदाय योजना चिरमिरी
मुंगेली में जलप्रदाय योजना लोरमी
मनेंद्रगढ़ में जलप्रदाय योजना
दुर्ग के भिलाई में सीवेज मैनेजमेंट
सरगुजा के अंबिकापुर में सीवेज मैनेजमेंट
राजनांदगांव में सीवेज मैनेजमेंट
दुर्ग में सीवेज मैनेजमेंट
कोरबा में सीवेज मैनेजमेंट

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यहां जीरो बजट पर काम प्रगति पर

मनेंद्रगढ़ जिले के खोंगापानी में जलप्रदाय योजना
एमसीबी जिले में जलप्रदाय योजना झगराखंड
बिलासपुर में जलप्रदाय योजना मल्हार
बिलासपुर जिले के रतनपुर में जलप्रदाय योजना
बिलासपुर के तखतपुर में जलप्रदाय योजना
राजनांदगांव के छुरिया में जलप्रदाय योजना

ये रिपोर्ट देखकर तो यही लगता है कि 200 करोड़ खर्च लेकिन हासिल आई शून्य। जब ये परफॉर्मेंस रिपोर्ट है तो आगे के काम के लिए केंद्र से फंड आना कितना आसान है यह तो सरकार की बता सकती है।

 

 

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