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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने जशपुर जिले के ग्राम पंड्रापाथ, विकास खंड बगीचा, तहसील सन्ना में एक अत्याधुनिक तीरंदाजी अकादमी की स्थापना के लिए 20 करोड़ 53 लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की है। यह महत्वाकांक्षी परियोजना राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी) के कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) फंड से वित्तपोषित होगी। इस अकादमी का उद्देश्य विशेष रूप से आदिवासी और विशेष पिछड़ी जनजाति जैसे पहाड़ी कोरवा बच्चों की खेल प्रतिभा को निखारना और उन्हें राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी काबिलियत प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करना है।
तीरंदाजी अकादमी एक व्यापक ढांचा
यह तीरंदाजी अकादमी 10.27 एकड़ (लगभग 41,565 वर्ग मीटर) के विशाल क्षेत्र में विकसित की जाएगी। यह अकादमी न केवल तीरंदाजी के लिए एक प्रशिक्षण केंद्र होगा, बल्कि एक समग्र विकास का हब भी बनेगा। अकादमी में निम्नलिखित सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
खेल मैदान : तीरंदाजी के लिए उच्च गुणवत्ता वाला अभ्यास मैदान।
छोटा पुस्तकालय : खिलाड़ियों के लिए शैक्षणिक और प्रेरणादायक सामग्री।
मेडिकल सुविधा : चोटों के त्वरित उपचार और स्वास्थ्य निगरानी के लिए।
कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र : बच्चों के समग्र विकास के लिए अतिरिक्त प्रशिक्षण।
नर्सरी और हर्बल चाय की खेती : पर्यावरणीय और आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए।
यह परियोजना ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों के बच्चों को खेल के क्षेत्र में अवसर प्रदान करने के साथ-साथ उनकी शारीरिक, मानसिक और सामाजिक क्षमताओं को विकसित करने पर केंद्रित होगी।
आदिवासी बच्चों के लिए सुनहरा अवसर
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस परियोजना को छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों, विशेषकर आदिवासी समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। उन्होंने कहा, "हमारा लक्ष्य है कि छत्तीसगढ़ के बच्चे अपनी प्रतिभा को न केवल राज्य स्तर पर, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी प्रदर्शित करें। इस अकादमी के माध्यम से विशेष पिछड़ी जनजाति जैसे पहाड़ी कोरवा और अन्य आदिवासी बच्चों को तीरंदाजी जैसे प्राचीन और प्रतिष्ठित खेल में अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलेगा।
एनटीपीसी का योगदान और परियोजना का निष्पादन
इस परियोजना के लिए एनटीपीसी ने अपने सीएसआर फंड से 20.53 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की है। मुख्यमंत्री के आग्रह पर शुरू की गई इस पहल को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए एक उपयुक्त राज्य सरकारी एजेंसी को नियुक्त करने का निर्देश दिया गया है। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि परियोजना का निर्माण और संचालन उच्च मानकों के साथ हो, ताकि खिलाड़ियों को विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध हो सकें।
तीरंदाजी एक प्राचीन कला और आधुनिक खेल
तीरंदाजी एक ऐसा खेल है, जिसमें धनुष और बाण के माध्यम से लक्ष्य पर निशाना साधा जाता है। यह न केवल एक शारीरिक गतिविधि है, बल्कि एकाग्रता, संतुलन और मानसिक स्थिरता की कला भी है। धनुष एक लचीली संरचना होती है, जो बाण को शक्ति और गति प्रदान करती है, जबकि बाण एक नुकीला तीर होता है, जिसे गोलाकार लक्ष्य पर निशाना लगाने के लिए छोड़ा जाता है।
लक्ष्य में अलग-अलग रंगों और स्कोर क्षेत्रों के साथ डिज़ाइन किया जाता है, जो खेल को और रोमांचक बनाता है।भारत में तीरंदाजी का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा है, और आधुनिक समय में यह एक प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में उभरा है। भारतीय तीरंदाज जैसे दीपिका कुमारी और अतनु दास ने ओलंपिक और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर देश का नाम रोशन किया है। इस अकादमी के माध्यम से छत्तीसगढ़ के बच्चे भी ऐसी उपलब्धियां हासिल करने की दिशा में कदम बढ़ा सकेंगे।
छत्तीसगढ़ में खेलों को बढ़ावा
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार खेलों को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है। यह तीरंदाजी अकादमी न केवल खेल के बुनियादी ढांचे को मजबूत करेगी, बल्कि ग्रामीण और आदिवासी समुदायों के लिए रोजगार और कौशल विकास के अवसर भी पैदा करेगी। यह परियोजना स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने और उनके बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
भविष्य की संभावनाएं
पंड्रापाथ में बनने वाली यह तीरंदाजी अकादमी छत्तीसगढ़ के खेल परिदृश्य को बदलने की क्षमता रखती है। यह न केवल स्थानीय बच्चों को तीरंदाजी में प्रशिक्षित करेगी, बल्कि उनके समग्र विकास के लिए एक मंच भी प्रदान करेगी। इसके साथ ही, हर्बल चाय की खेती और नर्सरी जैसी पहलें स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेंगी।
छत्तीसगढ़ सरकार और एनटीपीसी के सहयोग से शुरू होने वाली यह तीरंदाजी अकादमी आदिवासी और ग्रामीण बच्चों के लिए एक नई राह खोलेगी। यह परियोजना न केवल खेल की दुनिया में छत्तीसगढ़ का नाम रोशन करेगी, बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास में भी योगदान देगी। यह पहल उन बच्चों के सपनों को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो अपनी प्रतिभा को वैश्विक मंच पर ले जाना चाहते हैं।
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