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छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में नगर निगम के 10 करोड़ रुपये के सड़क डामरीकरण प्रोजेक्ट में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। मानव मंदिर चौक से गांधी चौक तक की सड़क पर किए गए डामरीकरण का काम पहली ही बारिश में ध्वस्त हो गया, जिससे ठेकेदार की लापरवाही और गुणवत्ता में कमी साफ उजागर हो गई। इस मामले में नगर निगम ने ठेकेदार मेसर्स संजय सिंगी फर्म को नोटिस जारी किया है और उनके अन्य टेंडर भी रद्द कर दिए हैं। इस कार्रवाई से शहर के अन्य ठेकेदारों में हड़कंप मच गया है।
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क्या है पूरा मामला?
नगर निगम ने शहर की सड़कों को बेहतर बनाने के लिए 10 करोड़ रुपये की लागत से डामरीकरण का प्रोजेक्ट शुरू किया था। इसमें मानव मंदिर चौक से गांधी चौक तक की सड़क का डामरीकरण भी शामिल था।
लेकिन, प्रोजेक्ट पूरा होने के तुरंत बाद पहली बारिश में ही सड़क की ऊपरी परत उखड़ गई। सड़क पर गड्ढे और दरारें साफ दिखाई देने लगीं, जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया। यह साफ था कि डामरीकरण में न तो गुणवत्ता का ध्यान रखा गया और न ही तकनीकी मानकों का पालन किया गया।
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नगर निगम की सख्ती
जनता की शिकायतों के बाद नगर निगम आयुक्त ने मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने तकनीकी अधिकारियों को जांच के निर्देश दिए। जांच में पाया गया कि ठेकेदार ने डामरीकरण में निम्न गुणवत्ता की सामग्री का उपयोग किया और कार्य में मानकों की अनदेखी की। इसके बाद नगर निगम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मेसर्स संजय सिंगी फर्म को नोटिस जारी किया और उनके अन्य चल रहे टेंडरों को भी निरस्त कर दिया।
ठेकेदारों में हड़कंप
नगर निगम की इस सख्त कार्रवाई ने शहर के अन्य ठेकेदारों को सकते में डाल दिया है। लंबे समय बाद निगम ने गुणवत्ता से समझौता करने वाले ठेकेदार के खिलाफ सख्त कदम उठाया है।
आरोप है कि ठेकेदार ने निर्माण कार्य में घटिया और कम कीमत वाले सामान का उपयोग किया है। इतना ही नहीं जिम्मेदार अधिकारियों काम की मॉनिटरिंग तक नहीं की। इस मामले में प्रोजेक्ट की देखरेख करने वाले कुछ निगम अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है।
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हर पहलू से जांच के आदेश
नगर निगम ने इस मामले में हर पहलू से जांच का आदेश दिया है। आयुक्त ने स्पष्ट किया कि दोषी ठेकेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिसमें आर्थिक दंड और भविष्य में टेंडर से वंचित करना शामिल हो सकता है।
साथ ही, यह भी जांच की जा रही है कि क्या निगम के कुछ अधिकारियों ने ठेकेदार के साथ मिलीभगत की। इस प्रोजेक्ट के लिए दोबारा डामरीकरण कराने की योजना बन रही है, जिसका खर्च ठेकेदार से वसूला जाएगा।
जनता की नाराजगी
स्थानीय निवासियों ने इस लापरवाही पर कड़ा ऐतराज जताया है। उनका कहना है कि करोड़ों रुपये की लागत से बनी सड़कें अगर पहली बारिश में ही उखड़ जाएंगी, तो टैक्स के पैसे का दुरुपयोग साफ दिखता है। लोगों ने मांग की है कि भविष्य में ऐसे प्रोजेक्ट्स की कड़ी निगरानी हो और दोषियों को कठोर सजा दी जाए। यह मामला न केवल ठेकेदार की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि नगर निगम की प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग प्रक्रिया पर भी सवाल उठाता है।
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