मंत्री के गढ़ में नियमों की अनदेखी! प्रतिबंध के बावजूद बारिश में चल रहा डामरीकरण

छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के खम्हरिया से तरईगांव तक 2.7 किलोमीटर लंबी सड़क निर्माण में भारी अनियमितताओं का मामला सामने आया है। ठेकेदार ने विभागीय आदेशों और निर्माण मानकों को नजरअंदाज करते हुए काम को मनमाने ढंग से अंजाम दिया है।

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Harrison Masih
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छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के खम्हरिया से तरईगांव तक 2.7 किलोमीटर लंबी सड़क निर्माण में भारी अनियमितताओं का मामला सामने आया है। 2.33 करोड़ रूपए की लागत से बन रही इस सड़क को लेकर आरोप है कि ठेकेदार ने विभागीय आदेशों और निर्माण मानकों को नजरअंदाज करते हुए काम को मनमाने ढंग से अंजाम दिया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि निर्माण की निर्धारित समय-सीमा 30 अप्रैल को समाप्त हो चुकी है, बावजूद इसके निर्माण कार्य अब तक अधूरा है।

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विभागीय प्रतिबंध के बावजूद हो रहा डामरीकरण

लोक निर्माण विभाग (PWD) ने 15 जून से बारिश के मौसम में डामरीकरण पर रोक लगाई है। फिर भी विभाग के एसडीओ मनोज जैन की मौजूदगी में सड़क निर्माण कार्य लगातार जारी है। इससे विभाग की कार्यप्रणाली और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

घटिया सामग्री का इस्तेमाल, कांग्रेस का विरोध

यूथ कांग्रेस के जिला अध्यक्ष राजेश छेदैय्या ने निर्माण स्थल का निरीक्षण कर दावा किया कि निर्माण में घटिया सामग्री का प्रयोग हो रहा है। उन्होंने कहा कि गिट्टी में मुरुम मिलाकर उसे पेट्रोल से धोने पर घटिया निर्माण की सच्चाई उजागर हो रही है। उनका आरोप है कि डामरीकरण का काम बरसात में जानबूझकर किया जा रहा है ताकि सड़क दो महीने में ही खराब हो जाए और बाद में मरम्मत के नाम पर ठेकेदारों को दोबारा फायदा पहुंचाया जा सके।

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साइड इंजीनियर का अजीब तर्क

साइट इंजीनियर महेश सिंह ने दावा किया कि “ग्रामीणों के कहने पर कार्य हो रहा है।” इस तर्क पर सवाल उठते हैं कि क्या अब सरकारी कार्य विभागीय नियमों को नजरअंदाज कर सिर्फ ग्रामीणों की मांग पर होंगे?

मंत्री ने दी जांच की बात

PWD मंत्री एवं उपमुख्यमंत्री अरुण साव, जो खुद मुंगेली जिले से विधायक हैं, ने कहा कि बरसात में डामरीकरण की अनुमति नहीं है और मामले की जांच कराई जाएगी। वहीं PWD के कार्यपालन अभियंता एसके सतपथी ने स्पष्ट किया कि ठेकेदार द्वारा बिना अनुमति के किया गया कार्य उसकी जिम्मेदारी है और नियम उल्लंघन पर कार्रवाई होगी।

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सवाल यह उठता है: जब विभाग और मंत्री दोनों ही डामरीकरण पर रोक को स्वीकार कर रहे हैं, तो फिर जमीनी स्तर पर यह निर्माण किसके निर्देश पर किया जा रहा है?

यह मामला सिर्फ निर्माण गुणवत्ता से नहीं जुड़ा, बल्कि यह विभागीय पारदर्शिता, जवाबदेही और ठेकेदारों की मिलीभगत पर भी सवाल खड़े करता है। कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर आंदोलन की चेतावनी दी है। आने वाले दिनों में इस पर सख्त प्रशासनिक कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है।

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