अरुण तिवारी, रायपुर. प्रदेश में वोटिंग खत्म होने के बाद अब सरकार हरकत में आ गई है। भले ही अभी रिजल्ट आना बाकी है और आचार संहिता लगी हुई है लेकिन सरकारी स्तर पर कामकाज शुरु हो गया है। सरकार सबसे पहले ब्यरोक्रेसी ( bureaucracy ) पर नकेल कसने जा रही है। इसकी शुरुवात मंत्रालय में बायोमैट्रिक मशीन ( biometric machine ) लगाने से की जा रही है।
जीएडी की पड़ताल में ये सामने आया है कि आधे अफसर समय पर दफ्तर ही नहीं पहुंचते। वहीं जीएडी एक और जांच करा रही है कि किस आईएएस के पास कितनी गाड़ियां हैं। खजाने की हालत को देखते हुए वित्त विभाग अफसरों ( finance department officers ) के पास एक गाड़ी छोड़कर बाकी सारी गाड़ियां हटाने की तैयारी कर रहा है। इससे पहले जीएडी ने बिना बताए छुट्टियां लेने वाले आईएएस के रवैये पर भी आपत्ति जताई थी।
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बिगड़ैल पर नकेल
छत्तीसगढ़ सरकार ( Chhattisgarh Government ) सबसे पहले बिगड़ैल पर नकेल कसने की तैयारी कर रही है। वोटिंग से फारिग होने के बाद इस पर काम शुरु हो गया है। मंत्रालय में अब फिर से बायोमैट्रिक मशीन से अटेंडेंस लगाने की तैयारी हो गई है। मुख्य सचिव अमिताभ जैन ( Chief Secretary Amitabh Jain ) इस मामले में सख्त दिखाई दे रहे हैं। वे जीएडी के भी प्रमुख हैं। जीएडी ने आईएएस और कर्मचारियों की हाजिरी के बारे में जानकारी जुटाई है।
जानकारी में हैरान करने वाली बातें सामने आई हैं। सूत्रों के मुताबिक पचास फीसदी अफसर और कर्मचारी समय पर दफ्तर नहीं आते। खासतौर पर कई आईएएस ऐसे हैं जो देरी से ऑफिस पहुंचते हैं और लंच समय में ही ऑफिस छोड़ देते हैं और फिर दोबारा दफ्तर में नजर नहीं आते। कर्मचारी नेताओं के भी कुछ इसी तरह के हाल हैं। जीएडी ने बायोमैट्रिक मशीन से अटेंडेंस को जरुरी करने की तैयारी कर ली है। आईएएस से लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तक इस मशीन में अपनी अटेंडेंस लगाएंगे।
मुख्य सचिव को आईएएस को समय पर बुलाने का ये सबसे नायाब तरीका नजर आ रहा है। इससे पहले भी बायोमैट्रिक मशीन लगाने की बात सामने आई थी लेकिन वो अफसरों के रुकावट डालने के कारण कामयाब नहीं हो पाई। अफसरों को लगता है कि यदि बायोमैट्रिक मशीन लग गई तो कोई भी आरटीआई के जरिए उनके आने_जाने की जानकारी जुटा लेगा।
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कई अफसरों पर तीन-तीन गाड़ियां
मोदी की गारंटी पूरी करने में सरकार की माली हालत खस्ता हो रही है। एक तो विधानसभा चुनाव जीतने में फ्रीबीज की बौछार और फिर लोकसभा जीतने के लिए फ्रीबीज को बांटने में सरकार कर्ज पर कर्ज ले रही है। सरकार अब अपने खर्चे कम करने जा रही है। पहला कदम अफसरों के खर्चे में कटौती करने पर उठाया जा रहा है।
जीएडी अब जल्द ही ये पड़ताल करने वाला है कि आईएएस के पास कितनी सरकारी गाड़िया हैं। जानकारी के मुताबिक कई आईएएस दो से तीन गाड़ियां अपने अंडर में किए हुए हैं। ये गाड़ियां 70 से 75 हजार रुपए महीने के किराए पर ली गई हैं। इन अफसरों के निगम मंडलों का भी प्रभार है और उसी खाते से उनके पास ज्यादा सरकारी गाड़िया हैं। सामान्य प्रशासन विभाग इसकी पूरी लिस्ट तैयार कर रहा है। इसके बाद एक आईएएस के पास सिर्फ एक सरकारी वाहन रहेगा।
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बिना जानकारी के गायब नहीं हो सकेंगे आईएएस
इससे पहले बिना ऑनलाइन आवेदन के अवकाश पर जाने वाले आईएएस पर भी सरकार सख्ती दिखा चुकी है। एक सर्कुलर जारी कर सरकार ने साफ कर दिया है कि आदेशों को ठेंगा दिखाने वाले आईएएस की अफसरी नहीं चलेगी। सबको नियमों का पूरा पालन करना होगा। जीएडी ने अपने सर्कुलर में साफ लिखा कि अवकाश के नियमों को धता बताकर आईएएस अफसर अपनी मनमर्जी से छुट्टी पर जा रहे हैं। इसकी सूचना विभागाध्यक्ष को भी नहीं दी जा रही।
सरकार ने ये सर्कुलर जारी कर साफ किया है कि बिना ऑनलाइन आवेदन कर आईएएस अफसर छुट्टी पर नहीं जा सकेंगे। जीएडी ने सर्कुलर जारी कर कहा कि यह देखा गया है कि अधिकारी ऑनलाइन आवेदन की जगह भौतिक रुप से आवेदन देकर मुख्यालय से बाहर अवकाश पर चले जाते हैं और इसकी सूचना संबंधित रिपोर्टिंग ऑफिसर को नहीं देते। यह भी देखा गया है कि अधिकारी मुख्यालय छोड़ने की अनुमति के बिना ही मुख्यालय से बाहर यात्राएं करते रहते हैं। यह नियम के अनुकूल नहीं है। सरकार ने अवकाश के लिए ऑनलाइन आवेदन की व्यवस्था की है।
इसके लिए सभी को लॉगिन आईडी और पासवर्ड भी दिए गए हैं। अवकाश प्रकरणों का निराकरण ऑनलाइन सिस्टम से ही किया जा रहा है। इसलिए ये अनिवार्य किया जाता है कि सभी अधिकारी ऑनलाइन व्यवस्था का पालन करें। इससे ही अवकाश का आवेदन करें और मुख्यालय छोड़ने से पहले रिपोर्टिंग ऑफिसर को अनिवार्य रुप से इसकी सूचना दें।
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