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Ripur.पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में ‘बाबरी मस्जिद’ नाम से मस्जिद की नींव रखे जाने के बाद देशभर में राजनीति गरमाई हुई है। 6 दिसंबर को हुए इस शिलान्यास कार्यक्रम के बाद, छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर बड़ा बयान दिया है, जिसे इस घटना से जोड़कर देखा जा रहा है।
टीएस सिंहदेव ने क्या कहा?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव ने कहा कि अयोध्या विवाद में जिस तरह फैसला आया, उससे देश के एक वर्ग की भावनाएं गहरी तौर पर आहत हुई हैं।सिंहदेव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देश के कानून के अनुरूप नहीं लिया, बल्कि धारा 142 और 143 लगाकर फैसला दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन लोगों से वह चीज़ (भूमि) ली गई, उनकी भावना आहत हुई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वे लोग भी देश के नागरिक हैं और उन्हें अपने तौर-तरीकों से पूजा-अर्चना करने की आज़ादी है।
सिंहदेव ने यह भी दोहराया कि भारत में सभी धर्मों को बराबर सम्मान देने का संवैधानिक प्रावधान है और किसी भी समुदाय की भावनाओं को नजरअंदाज कर फैसले नहीं लिए जाने चाहिए।
ऐसे समझें पूरी खबर
टीएमसी से निष्कासित विधायक हुमायूं कबीर ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद नाम से एक नई मस्जिद की नींव रखी। छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने कहा कि अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से देश के एक वर्ग की भावनाएं आहत हुई हैं। सिंहदेव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सामान्य कानून के तहत नहीं, बल्कि धारा 142/143 का उपयोग करके दिया था। सांप्रदायिक राजनीति के आरोपों के कारण कबीर को 4 दिसंबर को ही TMC से निष्कासित कर दिया गया था। इस संवेदनशील शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान मुर्शिदाबाद के रेजीनगर इलाके में पुलिस और केंद्रीय बलों की भारी तैनाती की गई थी। |
मुर्शिदाबाद में ‘बाबरी मस्जिद’ का शिलान्यास
पश्चिम बंगाल की भरतपुर सीट से विधायक हुमायूं कबीर ने अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत शनिवार, 6 दिसंबर को मुर्शिदाबाद के बेलडांगा (रेजीनगर) के पास सैकड़ों समर्थकों की मौजूदगी में एक नई मस्जिद की प्रतीकात्मक नींव रखी।उन्होंने जानबूझकर शिलान्यास के लिए 6 दिसंबर की तारीख चुनी, जो 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी है। कबीर को 4 दिसंबर को ही टीएमसी ने ‘सांप्रदायिक राजनीति’ और पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निष्कासित कर दिया था।
शिलान्यास स्थल पर मौलवियों के साथ मिलकर कबीर ने फीता काटा। मंच से “नारा-ए-तकबीर, अल्लाहु अकबर” के नारे गूंजते रहे, और समर्थक सिर पर ईंटें लेकर पहुंचे। कार्यक्रम की संवेदनशीलता को देखते हुए रेजीनगर और बेलडांगा इलाके में पुलिस, रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) और केंद्रीय बलों की भारी तैनाती की गई थी।निष्कासन के बाद कबीर ने कहा कि वह हर हाल में मस्जिद बनवाएंगे और 22 दिसंबर को अपनी नई पार्टी बनाने की भी घोषणा कर चुके हैं। कबीर द्वारा मस्जिद का नाम ‘बाबरी मस्जिद’ रखने और शिलान्यास के लिए 6 दिसंबर की तारीख चुनने से देशभर में राजनीतिक ध्रुवीकरण और बयानबाजी तेज हो गई है।
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