आदिवासी नेतृत्व की मिसाल बना बस्तर का तिरिया गांव,अंतरराष्ट्रीय मंच पर मिला सम्मान

बस्तर का तिरिया गांव RRI के टॉप 15 वैश्विक समुदायों में शामिल, 3057 हेक्टेयर जंगल पर सामुदायिक अधिकार पाकर पर्यावरण और रोजगार में बना मिसाल।

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Harrison Masih
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Bastar Tiriya village RRI international honor
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छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले का एक छोटा-सा आदिवासी गांव तिरिया आज वैश्विक मानचित्र पर गर्व और प्रेरणा का प्रतीक बन गया है। Rights and Resources Initiative (RRI) नामक एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय संस्था ने तिरिया गांव को "2025 कलेक्टिव एक्शन अवॉर्ड्स" में दुनियाभर के टॉप 15 सम्मानजनक समुदायों में शामिल किया है। यह उपलब्धि तिरिया को 190 से अधिक वैश्विक नामांकनों में से चयनित करके दी गई है।

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क्या है RRI और इसका महत्व?

Rights and Resources Initiative (RRI) एक वैश्विक संगठन है जो अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के गांवों और आदिवासी समुदायों को भूमि और जंगल पर कानूनी अधिकार दिलाने के लिए काम करता है। यह संस्था उन समुदायों को पहचान देती है जो सामूहिक प्रयासों से न केवल अपने संसाधनों का संरक्षण करते हैं, बल्कि सतत विकास की दिशा में भी उल्लेखनीय कार्य करते हैं।

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तिरिया गांव की सफलता की कहानी

तिरिया गांव की इस अंतरराष्ट्रीय उपलब्धि के पीछे है स्थानीय नेतृत्व, परंपरागत ज्ञान और संगठित सामुदायिक प्रयास। ATREE संस्था के ज़िला समन्वयक अनुभव शोरी ने बताया कि उनकी बस्तर टीम ने तकनीकी और प्रक्रियागत सहायता देकर गांव को जंगल अधिकार अधिनियम के तहत सामुदायिक अधिकार प्राप्त करने में मदद की। इस सहयोग ने गांव को 3057 हेक्टेयर जंगल पर अधिकार दिलाने में निर्णायक भूमिका निभाई।

फुलसिंग नाग और धुरवा समुदाय की भूमिका

गांव के युवा फुलसिंग नाग ने बताया कि धुरवा आदिवासी समुदाय ने मिलकर ग्रामसभा के माध्यम से जंगल पर सामुदायिक अधिकार हासिल किया। आज गांववासी जंगल की नियमित निगरानी करते हैं, शबरी नदी में बांस की नाव चलाकर पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली अपनाते हैं, जंगल उत्पादों से रोजगार के अवसर उत्पन्न कर रहे हैं और वन संरक्षण के साथ-साथ सामूहिक निर्णय प्रणाली को सशक्त बना रहे हैं। 

 

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  • वैश्विक सम्मान:
    तिरिया गांव को RRI के टॉप 15 सम्मानित समुदायों में स्थान मिला।

  • 190 में से चयन:
    दुनिया भर के 190 से अधिक गांवों में से तिरिया को चुना गया।

  • जंगल पर अधिकार:
    ग्रामसभा के ज़रिए 3057 हेक्टेयर जंगल पर सामुदायिक अधिकार प्राप्त हुआ।

  • रोज़गार और संरक्षण:
    गांववाले मिलकर जंगल की निगरानी और सतत उपयोग से आजीविका चला रहे हैं।

  • आदिवासी नेतृत्व की मिसाल:
    तिरिया का मॉडल देशभर के आदिवासी समुदायों के लिए प्रेरणा बना है।

 

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तिरिया की प्रेरणा: प्रकृति और प्रगति का संतुलन

तिरिया का यह मॉडल दर्शाता है कि जब गांववासियों को अधिकार के साथ ज़िम्मेदारी दी जाती है, तो वे पर्यावरण की रक्षा करते हुए अपने विकास का मार्ग खुद तय कर सकते हैं।

यह सम्मान केवल तिरिया की नहीं, बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समुदायों की जीत है। यह दर्शाता है कि स्थानीय नेतृत्व, पारंपरिक ज्ञान और सामुदायिक एकजुटता मिलकर वैश्विक बदलाव की मिसाल बन सकते हैं। तिरिया गांव की यह सफलता बताती है कि जब अधिकार, परंपरा और तकनीकी सहयोग एक साथ चलते हैं, तो कोई भी छोटा गांव वैश्विक मंच पर बड़ी प्रेरणा बन सकता है।

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