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बिलासपुर। बिलासा देवी एयरपोर्ट के डेवलपमेंट में हो रही देरी को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने केंद्र और राज्य सरकार के रवैये पर नाराजगी जाहिर की। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस सिन्हा ने कहा कि आप स्टेटमेंट दे दीजिए कि सरकार कुछ नहीं कर पाएगी, हम PIL खत्म कर देते हैं। बिलासपुर का भाग्य कभी तो जागेगा।
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हाईकोर्ट ने की ये टिप्पणी
टिप्पणी करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य और केंद्र दोनों जगह आपकी ही सरकार है, फिर भी यह हाल है। अधिकारियों के बॉडी लैंग्वेज से तो लगता ही नहीं कि वे कुछ करना चाहते हैं। हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव और रक्षा मंत्रालय के सचिव से अगली सुनवाई में शपथ पत्र के साथ काम की प्रगति की जानकारी मांगी है।
कई साल से चल रही सुवनाईबिलासपुर के चकरभाठा में मौजूद बिलासा देवी एयरपोर्ट के डेवलपमेंट, 3सी से 4 सी कैटेगरी में अपग्रेड करने, नाइट लैंडिंग की सुविधा, महानगरों के लिए सीधी उड़ान की मांग करते हुए दो जनहित याचिकाएं लगाई गई थीं। इन याचिकाओं पर पिछले कई साल से सुनवाई हो रही है। |
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एयरपोर्ट शुरू हुए बीते चार सालएयरपोर्ट को शुरू हुए भी करीब चार साल पूरे चुके हैं, लेकिन काम की रफ्तार नहीं बढ़ पा रही है। रक्षा मंत्रालय से जमीन का हस्तांतरण समेत कई प्रक्रियाएं अटकी हुई हैं। शुक्रवार को याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट आशीष श्रीवास्तव और एडवोकेट संदीप दुबे ने एयरपोर्ट के मौजूदा स्थिति की जानकारी दी। इस पर चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताते हुए महाधिवक्ता से कहा कि आप स्टेटमेंट दे दीजिए कि सरकार कुछ नहीं कर पाएगी, हम पीआईएल खत्म कर देते हैं। |
सुनवाई पर हर बार समय मांगा जाता है, लेकिन जमीन पर कुछ काम नहीं होता। लगता है जब नई सरकार आएगी, तब शायद बिलासपुर का भाग्य जगेगा: चीफ जस्टिस
नहीं दिख रहा तो बस कामराज्य सरकार की ओर से जवाब में कुछ फोटोग्राफ्स कोर्ट में पेश किए। इन फोटोग्राफ में दावा किया कि एयरपोर्ट पर नाइट लैंडिंग से जुड़ा कार्य प्रगति पर है। लेकिन तस्वीरें देखकर चीफ जस्टिस ज्यादा नाराज हो गए। उन्होंने तल्ख लहजे में पूछा- क्या दिख रहा है इन तस्वीरों में? एक गाड़ी खड़ी है, पीछे दो-चार लोग खड़े हैं। काम कहां हो रहा है? जरा हमें भी दिखाइए। |
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मंजूरी के बाद भी क्यों अटका काम ?
याचिकाकर्ताओं ने बताया गया कि रक्षा मंत्रालय पहले ही राज्य सरकार को 286 एकड़ जमीन पर रनवे विस्तार और दूसरे काम की इजाजत दे चुका है। हाईकोर्ट ने सरकार से सवाल पूछा कि जब इजाजत मिल गई, तो अब क्या दिक्कत है? इस पर सरकार की ओर से बताया गया कि रक्षा मंत्रालय जमीन के बदले ज्यादा रकम की मांग कर रहा है, जबकि राज्य सरकार चाहती है कि पहले जमीन उसके नाम हो, तभी आगे का काम शुरू किया जाए।
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