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Bilaspur. छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में गुरु घासीदास जयंती समारोह के दौरान उस वक्त भारी हंगामा हो गया, जब मंच पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के पदाधिकारियों की मौजूदगी को लेकर समाज के युवा और बुजुर्ग आमने-सामने आ गए।
मामला इतना बढ़ गया कि युवाओं ने RSS के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी और पदाधिकारियों को कार्यक्रम स्थल से जाने के लिए विवश कर दिया। पूरी घटना जरहाभाठा मिनी बस्ती स्थित महंत बाड़ा की है।
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कैसे शुरू हुआ विवाद?
गुरुवार 18 दिसंबर को प्रदेशभर में बाबा गुरु घासीदास की 269वीं जयंती मनाई जा रही थी। बिलासपुर के जरहाभाठा महंत बाड़ा में भी बड़े पैमाने पर पूजा-अर्चना और समारोह का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में महंत बाड़ा के राजमहंत डॉ. बसंत अंचल ने RSS के पदाधिकारियों को आमंत्रित किया था।
समारोह में शामिल होने के लिए विभाग संघ चालक डॉ. राजकुमार सचदेव, जिला संघ चालक रामधन रजक, नगर संघ चालक प्रदीप शर्मा सहित अन्य RSS कार्यकर्ता पहुंचे थे।
युवाओं ने जताई कड़ी आपत्ति
जैसे ही संघ के पदाधिकारी जैतखंभ और पूजा स्थल के पास पहुंचे, समाज के युवा, जिनका नेतृत्व जितेन्द्र बंजारे कर रहे थे, भड़क गए। युवाओं का तर्क था कि यह समाज का पारिवारिक और धार्मिक आयोजन है, इसमें किसी भी ऐसी संस्था की उपस्थिति स्वीकार्य नहीं है जिसकी विचारधारा समाज के मूल सिद्धांतों से मेल न खाती हो।
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हंगामे के मुख्य बिंदु
युवाओं ने RSS पदाधिकारियों के सामने ही जमकर नारेबाजी की। उनसे तुरंत कार्यक्रम छोड़कर जाने के लिए कहा गया। दबाव बढ़ता देख पदाधिकारियों ने यह कहते हुए वहां से प्रस्थान किया कि "हम केवल पूजा करने आए थे, यदि आपत्ति है तो हम जा रहे हैं।"
राजमहंत और युवाओं के बीच तीखी बहस
हंगामे के दौरान राजमहंत डॉ. बसंत अंचल ने युवाओं को शांत कराने की कोशिश की। उन्होंने बाबा गुरु घासीदास के संदेश 'मनखे-मनखे एक समान' (सभी मनुष्य एक समान हैं) का हवाला देते हुए कहा कि बाबा किसी एक समाज के नहीं, बल्कि पूरी मानवता के गुरु हैं।
हालांकि, युवा उनकी बात सुनने को तैयार नहीं थे। युवाओं ने पलटवार करते हुए कहा- "अगर उन्हें जयंती मनानी है, तो अपने घर में मनाएं। यह हमारे समाज का निजी कार्यक्रम है।" राजमहंत ने इस हरकत को बाबा के आदर्शों के खिलाफ बताते हुए कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है।
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पुलिस और प्रशासन तक पहुंचेगा मामला
घटना के बाद सतनामी समाज के एक धड़े ने हंगामा करने वाले जितेंद्र बंजारा और उनके साथियों पर 'साम्प्रदायिक उन्माद' फैलाने का आरोप लगाया है। समाज के पदाधिकारियों का कहना है कि वे इस अपमानजनक व्यवहार की शिकायत मुख्यमंत्री, गृह मंत्री और बिलासपुर SSP से करेंगे।
दूसरी ओर, युवाओं के समूह का कहना है कि वे अपनी सामाजिक पहचान और स्वायत्तता को बचाने के लिए यह विरोध कर रहे थे।
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