RAIPUR. छत्तीसगढ़ की BJP सरकार ने लोकसभा ( Lok Sabha ) चुनाव के पहले में बड़ा दांव चला है। मीसा बंदियों के लिए पेंशन फिर शुरू करने का ऐलान किया है। कांग्रेस सरकार के वक्त में यह बंद कर दी गई थी। बीजेपी सरकार ने इसके साथ ही कार्यकर्ताओं को संदेश दिया है कि पार्टी संघर्ष के साथियों को कभी नहीं भूलती है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने ऐलान किया है कि जो लोग इमरजेंसी के दौरान 1975 से 1977 तक मीसा (मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट) के तहत बंद थे, उनकी सम्मान राशि फिर से शुरू की जाएगी।
कांग्रेस सरकार ने रोकी थी मीसा बंदियाों की पेंशन
छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार ने 2008 में मीसा बंदियों के लिए पेंशन शुरू की थी, लेकिन राज्य में जब 2019 में कांग्रेस सरकार आई तो इसे रोक दिया गया। इसके तहत मीसा बंदियों को अलग-अलग कैटेगरी में 10 हजार से लेकर 25 हजार रुपए तक की पेंशन मिलती थी। छत्तीसगढ़ सरकार अब इसे फिर शुरू कर रही है।
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उन लोगों के संघर्ष हमें याद हैं
बीजेपी ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि जो लोग संघर्ष के साथी थे और बीजेपी की विचारधारा की लड़ाई लड़ रहे थे, हम उनके साथ खड़े हैं। साथ ही हम उन लोगों को भूले नहीं है और उनके संघर्ष भी हमें याद हैं। उस वक्त जब कांग्रेस बहुत मजबूत थी और बीजेपी बेहद कमजोर थी, उस वक्त जिन्होंने संघर्ष किया, उस लड़ाई में जो लोग साथ थे और आज हैं, उनकी संख्या सीमित हो सकती है, लेकिन उनके साथ हम खड़े हैं, यह बताने की कोशिश बीजेपी कर रही है। वह कहते हैं कि पूरे छत्तीसगढ़ में मीसा बंदियों की संख्या 50 के आसपास ही होगी, लेकिन यह नंबर से ज्यादा मैसेज देने का फैसला है।
बीजेपी हर मसले पर कांग्रेस को घेर रही है
बीजेपी इसके जरिए कांग्रेस को भी संदेश दे रही है कि वे इमरजेंसी की यादों को लोगों को भूलने नहीं देंगे। मौजूदा लोकसभा के आखिरी सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इमरजेंसी का जिक्र करते हुए कांग्रेस को घेरा था। लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी परिवारवाद से लेकर भ्रष्टाचार और इमरजेंसी से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा तक हर मसले पर कांग्रेस को घेर रही है।