Chhattisgarh BJP State President : छत्तीसगढ़ में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए निर्वाचन हो रहा है। 17 जनवरी को प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर मुहर लग जायेगी। सूत्रों की मानें तो मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव को रिपीट किया जा सकता है। केंद्रीय संगठन की मंशा किसी बड़े फेरबदल की नहीं रही तो किरण देव को ही दोबारा संगठन की कमान दी जाएगी।
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बीजेपी अध्यक्ष का चुनाव कल
इन दिनों बीजेपी के संगठन चुनाव चल रहे हैं। जिला अध्यक्षों की सूची जारी हो चुकी है। पार्टी के संगठन नियमों के अनुसार आधे से ज्यादा जिला अध्यक्षों के निर्वाचन के बाद प्रदेश अध्यक्ष का निर्वाचन किया जा सकता है। 17 जनवरी को प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा। वर्तमान अध्यक्ष को फिर से चुना जाएगा या फिर नया चेहरा आएगा यह शुक्रवार को तय हो जाएगा।
वर्तमान अध्यक्ष किरण सिंहदेव को विष्णु कैबिनेट में शामिल करने की चर्चाएं जोरों पर हैं। लेकिन सूत्रों की मानें तो संगठन किरण देव को मंत्री न बनाकर उनको रिपीट कर सकता है।
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किरण सिंहदेव
किरण देव एक साल पहले ही प्रदेश संगठन के मुखिया बने थे। विधानसभा चुनाव के बाद तत्कालीन अध्यक्ष अरुण साव को डिप्टी सीएम बनाया गया था। इसीलिए उनके स्थान पर किरण देव को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। किरण देव बस्तर संभाग से आते हैं। उनकी संगठन क्षमता के आधार पर ही उनको प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। यदि किरण देव मंत्री नहीं बने तो हो सकता है वे फिर से बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के लिए निर्वाचित हो जाएं। बीजेपी के प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन रायपुर आये तो एयरपोर्ट से सीधे किरण देव के निवास पर पहुंचे।
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किरण सिंहदेव क्यों
केंद्रीय नेतृत्व कोई बड़ा उलटफेर करना नहीं चाहता। न ऐसे नेता की ताजपोशी चाहता है जो नया पावर सेंटर बन जाये। किरण देव की एक साल की वर्किग से ये साफ है कि वे इन फॉर्मूलों पर फिट बैठते हैं। वे सत्ता और संगठन में पूरा संतुलन बनाकर चल रहे। सीएम और उनके बीच में बेहतर तालमेल है। वे निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित हो सकते हैं।
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संगठन के अंदर इन नामों की भी चर्चा
बीजेपी संगठन के अंदर कुछ नामों की चर्चा भी चल रही है। संगठन में इस बात का भी मंथन चल रहा है कि नए मुखिया के लिए सवर्ण को या ओबीसी को चुना जाए या फिर किसी नए चेहरे को मौका दिया जाए। जो नाम दौड़ में हैं उनमें धरमलाल कौशिक, नारायण चंदेल,सौरभ सिंह और गजेंद्र यादव शामिल हैं। वहीं चर्चा ये भी है कि टिकट वितरण हो या फिर संगठन चुनाव, केंद्रीय नेतृत्व हमेशा अपने फैसलों को लेकर चौंकाता रहा है। संगठन के अंदर ये भी चर्चा है कि दिल्ली की पसंद से कोई सरप्राइज एलीमेंट न आ जाये।