छत्तीसगढ़ में जातिगत जनगणना की तैयारी शुरू: मनोज पिंगुआ बने राज्य नोडल अधिकारी

देशभर में केंद्र सरकार द्वारा जातिगत जनगणना कराने का निर्णय लिया गया है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ राज्य में जनगणना कार्य की निगरानी और समन्वय के लिए मनोज पिंगुआ को राज्य नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।

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Harrison Masih
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caste census begin in Chhattisgarh Manoj Pingua becomes state nodal officer
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देशभर में केंद्र सरकार द्वारा जातिगत जनगणना कराने का निर्णय लिया गया है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ राज्य में जनगणना कार्य की निगरानी और समन्वय के लिए मनोज पिंगुआ को राज्य नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। पिंगुआ वर्तमान में अपर मुख्य सचिव के पद पर कार्यरत हैं और अब राज्य में जनगणना से संबंधित सभी गतिविधियों का नेतृत्व और पर्यवेक्षण करेंगे।

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क्या है जनगणना का उद्देश्य?

भारत सरकार का यह प्रयास है कि सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक रूप से सटीक जानकारी इकट्ठा की जाए, जिससे नीतियों और योजनाओं को बेहतर तरीके से तैयार किया जा सके। यह जनगणना दो चरणों में की जाएगी और पूरे देश को कवर करेगी।

पहला चरण: हाउस-लिस्टिंग ऑपरेशन

इस चरण में हर घर का सूचीकरण (हाउस लिस्टिंग) किया जाएगा।

मकान की स्थिति, सुविधाएं, संसाधन, बिजली-पानी-शौचालय जैसे बुनियादी तत्वों की जानकारी जुटाई जाएगी।

यह चरण जनगणना के ढांचे की नींव है, जिसमें यह तय किया जाता है कि कहां कितने लोग और किस स्थिति में रह रहे हैं।

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दूसरा चरण: जातिगत और व्यक्तिगत जानकारी 

जनगणना का मुख्य चरण, जिसमें व्यक्ति की जाति, आर्थिक स्थिति, शैक्षिक योग्यता, व्यवसाय, भाषा, धर्म और सांस्कृतिक पहलुओं की जानकारी ली जाएगी।

हिमालयी और दुर्गम क्षेत्रों में यह चरण 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगा।

देश के अन्य हिस्सों में यह चरण 1 मार्च 2027 को संपन्न होगा।

यह चरण भारत के जनसांख्यिकीय और सामाजिक ढांचे को समझने में मदद करेगा।

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जनगणना 2026–27 क्यों है महत्वपूर्ण?

2011 के बाद पहली बार जातिगत जनगणना की जा रही है। पिछली जनगणना 2021 में होनी थी, लेकिन कोरोना महामारी के चलते टाल दी गई थी। अब यह प्रक्रिया 16 साल बाद दोबारा शुरू की जा रही है। इससे सरकार को सटीक डाटा आधारित योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी।

मनोज पिंगुआ की भूमिका क्या होगी?

राज्य में जनगणना की पूरी तैयारी और समन्वय का जिम्मा पिंगुआ के पास रहेगा। सभी जिलों के जनगणना अधिकारियों, प्रशिक्षण कार्यक्रम, जनशक्ति प्रबंधन और रिपोर्टिंग पर नजर रखेंगे। केंद्र और राज्य के बीच सूचना और कार्रवाई के पुल की भूमिका निभाएंगे। जातिगत जनगणना भारत की सामाजिक संरचना को जानने का एक बड़ा माध्यम है।

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छत्तीसगढ़ जैसे विविधता वाले राज्य में यह प्रक्रिया विशेष रूप से महत्वपूर्ण होगी, जहां जनजातीय, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जीवन की परिस्थितियां अलग-अलग हैं। मनोज पिंगुआ जैसे वरिष्ठ अधिकारी की नियुक्ति इस बात का संकेत है कि राज्य सरकार इस अभियान को गंभीरता से ले रही है और पारदर्शी और सटीक जनगणना कराने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जनगणना न केवल आंकड़ों का संग्रह है, बल्कि यह सामाजिक न्याय, योजनाओं की सटीकता और देश के भविष्य की दिशा तय करने की नींव है।

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