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रायपुर:छत्तीसगढ़ में दवा सप्लाई की सबसे बड़ी ठेकेदार कंपनी मोक्षित कार्पोरेशन का संचालक शशांक चोपड़ा 8 महीने से जेल में है। यही वो कंपनी है जिसने करोड़ों का रीएजेंट घोटाला किया है। 400 करोड़ रुपए पाने के लिए शशांक चोपड़ा ने ऐसी चाल चली जिससे स्वास्थ्य महकमा लॉक हो गया।
इस कंपनी ने छत्तीसगढ़ के हेल्थ सेंटरों में खून जांचने की मशीनें सप्लाई कीं। लेकिन जेल जाने से पहले उसने इन मशीनों को लॉक कर दिया। पिछले एक साल से ये मशीनें बंद पड़ी हुई धूल खा रही हैं। सरकार शशांक को जेल में डालने के बाद भी उससे ये सीबीसी मशीनें अनलॉक नहीं करवा पाई है। और न ही सरकार को ऐसा इंजीनियर मिला है जो इनको अनलॉक कर सके।
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धूल खा रहीं करोड़ों की मशीनें :
छत्तीसगढ़ का बहुचर्चित रीएजेंट घोटाले के मास्टर माइंड मोक्षित कार्पोरेशन के संचालक शशांक चोपड़ा ने अपनी गिरफ्तारी से पहले ऐसी चाल चली कि स्वास्थ्य महकमें की हालत खराब हो गई। स्वास्थ्य विभाग की ये खराब हालत एक साल बाद भी नहीं सुधर पाई है। छत्तीसगढ़ के 768 हेल्थ सेंटरों पर सप्लाई की गई मशीनें लॉक पड़ी हुई हैं।
एक साल से सरकार इनको अनलॉक नहीं कर पाई है। एक मशीन की कीमत करीब 2 से 3 लाख रुपए होती है। यानी ये करोड़ों की मशीनें अनलॉक होने के इंतजार में एक साल से धूल खा रही हैं। एक्सपर्ट कहते हैं कि बंद पड़ी इन मशीनों में अधिकांश खराब हो गई होंगी। 2022 में ये ब्लड सेल मशीनें मोक्षित कंपनी ने सप्लाई की थी।
सभी मशीनें 3 साल तक वारंटी पीरियड में थीं। इसी बात का शशांक चोपड़ा ने फायदा उठाया। उसने मशीनों का साफ्टवेयर अपडेट नहीं किया। फिर उसने सभी मशीनों में बार कोडिंग कर उसे लॉक करवा दिया। पिछले साल यानी सितंबर 2024 से मशीनें एक-एक कर बंद होने लगीं।
स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने कंपनी डायरेक्टर को बुलाकर उसे मशीनें चालू करने को कहा। उस बैठक में शशांक ने साफ कहा कि जब तक उसे 400 के रीएजेंट का भुगतान नहीं किया जाएगा, तब तक वह मशीनें चालू नहीं करेगा।
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कैसे की ये गड़बड़ी :
शशांक चोपड़ा ने पहले अपने इंजीनियरों को राजधानी और आउटर के अलावा पूरे प्रदेश के हेल्थ सेंटरों में भेजा और बार कोडिंग के जरिये सारी ब्लड सेल मशीनों को लॉक करवा दिया। इससे खून की सीबीसी जांच बंद हो गई। स्वास्थ्य विभाग ने रीएजेंट घोटाले का 400 करोड़ का पेमेंट रोक दिया है, उसी पैसों को पाने के लिए उसने मशीनें लॉक करवा दी।
वह स्वास्थ्य विभाग को ब्लैकमेल कर रहा था। हालांकि उसे ब्लड सेल वाली मशीनों का 38 करोड़ भुगतान कर दिया गया । पुलिस अब शशांक के अलावा उसके पिता और कंपनी के सारे इंजीनियरों व तकनीकी स्टाफ के खिलाफ मशीनों को बिगाड़ने और मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ का नया केस दर्ज करेगी।
मोक्षित कंपनी का डायरेक्टर शशांक चोपड़ा रीएजेंट घोटाले में जनवरी 2025 से जेल में बंद है। उसके खिलाफ ईओडब्ल्यू-एसीबी जांच कर रही है। शशांक ने चार सौ करोड़ से ज्यादा का रीएजेंट सप्लाई करने के लिए शैल कंपनी बनाई। इसके अलावा उसने बाजार मूल्य से कहीं ज्यादा कीमत पर रीएजेंट बेचे।
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क्या है पूरा मामला
छत्तीसगढ़ में पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान स्वास्थ्य विभाग में CGMSC के माध्यम से बेहिसाब खरीदी की गई है। ऐसी मशीनें और उपकरण खरीदे गए जिनकी जरूरत या तो नहीं थी या फिर कम थी। मोक्षित कंपनी को इस दौरान पूरी तरह से खुली छूट दी गई थी। कंपनी को ही रीएजेंट केमिकल खरीदी का आर्डर दिया गया।
इस दौरान एक साथ करीब 400 करोड़ के रीएजेंट की खरीदी कर ली गई थी। इतना रीएजेंट खरीदने के बाद ऐसे हेल्थ सेंटरों और अस्पतालों में सप्लाई किया गया, जहां न तो लैब थी न मशीनें। उसके बाद मोक्षित कंपनी से ही खून जांचने की मशीनें खरीदी गईं। शशांक ने ऐसी मशीनें सप्लाई की जो केवल उसकी कंपनी के रीएजेंट केमिकल से ही खून की जांच करती हैं।
यानी अगर कोई चाहे तो भी मोक्षित कंपनी के अलावा दूसरी किसी कंपनी का रीएजेंट न खरीदे। यही वजह है कि उसने रीएजेंट भी बाजार मूल्य से दोगुनी-तिगुनी कीमत पर सप्लाई किया।
अब क्या कर रही सरकार :
मशीनों के लॉक का मामला विधानसभा में भी उठ चुका है। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि मशीनों को सप्लाई के बाद लॉक किया गया। सीजी मेडिकल कार्पोरेशन के पास कोडिंग अनलॉक करने का साफ्टवेयर नहीं है। जिन लोगों ने ये किया है उनके खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा डालने का मामला दर्ज कराने के लिए पुलिस को पत्र लिखा गया है।
मोक्षित कार्पोरेशन को तीन साल के ब्लैक लिस्टेड किया गया है। रीएजेंट और उनके रख रखाव के लिए नया टेंडर किया गया है। इस कंपनी से ही इन मशीनों को अनलॉक कराया जाएगा।
मोक्षित कॉर्पोरेशन शशांक चोपड़ा | छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग
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