कांग्रेस जिलाध्यक्ष के लिए 5000 दावेदार, कुर्सियां केवल 41, क्या लागू होगा प्रियंका गांधी का 40% महिला फार्मूला?

छत्तीसगढ़ कांग्रेस में जिलाध्यक्षों की नई नियुक्ति से पहले सियासी हलचल तेज हो गई है। 41 जिलों के लिए 5000 से ज्यादा दावेदार मैदान में हैं, लेकिन बड़ा सवाल यह है- क्या प्रियंका गांधी का 40% महिला भागीदारी वाला फार्मूला इस बार लागू होगा?

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Harrison Masih
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Raipur. छत्तीसगढ़ कांग्रेस में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर हलचल तेज हो गई है। दिवाली से पहले 41 जिलाध्यक्षों की सूची जारी होने की संभावना है। खास बात यह है कि इन पदों के लिए प्रदेशभर से 5000 से ज्यादा दावेदारों ने आवेदन भेजे हैं। कांग्रेस का दावा है कि चयन प्रक्रिया पारदर्शी होगी और इस बार युवाओं व साफ-सुथरी छवि वाले नेताओं को प्राथमिकता दी जाएगी।

हालांकि, सबसे ज्यादा चर्चा इस बात की है कि क्या कांग्रेस इस बार प्रियंका गांधी के 40% महिला भागीदारी वाले फार्मूले को लागू करेगी या नहीं। पार्टी ने कई बार सार्वजनिक मंचों से महिलाओं को संगठन में बराबर प्रतिनिधित्व देने की बात कही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहती है।

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सिर्फ 9% महिलाओं को मिला मौका

साल 2023 तक प्रदेश में कुल 36 जिलाध्यक्षों में से केवल 6 महिलाएं थीं। अब 2025 में यह आंकड़ा और घट गया है- 41 जिलाध्यक्षों में से सिर्फ 4 महिलाएं पद पर हैं। यानी महिला भागीदारी महज 9% रह गई है। वर्तमान में महिला जिलाध्यक्षों में बलौदाबाजार की सुमित्रा धृतलहरे, महासमुंद की रश्मि चंद्राकर, सुकमा की महेश्वरी बघेल और कांकेर की सुभद्रा सलाम शामिल हैं।

इसके अलावा रायपुर से प्रीति शुक्ला, धमतरी से डॉ. लक्ष्मी ध्रुव, सूरजपुर से भगवती राजवाड़े और बिलासपुर शहर से सीमा पांडेय जैसी दावेदारों ने आवेदन किया है। लेकिन अब भी अधिकांश जिलों के पैनलों में पुरुषों का दबदबा है।

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छह-छह नामों के पैनल से होगा चयन

इस बार हर जिले से 6 नामों का पैनल बनाकर आलाकमान को भेजा जा रहा है। ब्लॉक स्तर पर 121 बैठकें आयोजित कर कार्यकर्ताओं की राय ली गई है। 20 अक्टूबर तक सभी जिलों से पैनल AICC (अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी) को भेजे जाएंगे और अंतिम निर्णय दिल्ली में शीर्ष नेतृत्व करेगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा है कि “चयन प्रक्रिया पारदर्शी है, सभी जिलों में ऑब्जर्वर पहुंच चुके हैं। कार्यकर्ताओं से बातचीत जारी है और मजबूत महिला कार्यकर्ताओं की तलाश भी की जा रही है।”

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संगठन में बदलाव या सिर्फ चेहरों की अदला-बदली?

पार्टी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस का मकसद संगठन में नई ऊर्जा लाना है। लेकिन जिन नामों पर चर्चा चल रही है, उनमें से कई पुराने चेहरे ही हैं। कुछ नेताओं का कहना है कि अगर हर बार की तरह पैनल सिफारिश और गुटबाजी के आधार पर बनेंगे, तो संगठन को मजबूती नहीं मिलेगी।

18 पर्यवेक्षक करेंगे रिपोर्ट तैयार

नई नियुक्तियों के लिए पार्टी ने 18 पर्यवेक्षक (Observers) नियुक्त किए हैं, जिनमें सुबोध कांत सहाय, अजय कुमार लल्लू, उमंग सिंगार, रेहाना रेयाज चिश्ती और सुहिना कावरे जैसे नाम शामिल हैं। पर्यवेक्षक प्रफुल्ल गुडाधे ने कहा, “कार्यकर्ताओं से निष्पक्ष राय ली जा रही है। किसी को भी दबाव में नहीं आना चाहिए।”

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40% महिला भागीदारी की उम्मीद बरकरार

प्रियंका गांधी ने यूपी चुनाव के दौरान 40% टिकट महिलाओं को देने और संगठन में समान भागीदारी की बात कही थी। छत्तीसगढ़ में जहां कांग्रेस मजबूत स्थिति में है, वहां इस फार्मूले का लागू होना पार्टी की छवि के लिए अहम माना जा रहा है। दीपक बैज ने कहा कि “हम मजबूत महिला कार्यकर्ताओं को जिला स्तर पर जिम्मेदारी देना चाहते हैं। 50 वर्ष से कम उम्र वाले नेताओं को प्राथमिकता दी जाएगी।”

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