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CG News: छत्तीसगढ़ का संस्कृति विभाग 25 सालों से बिना सेटअप ही चल रहा। इसका खुलासा तब हुआ जब 2011 में कुछ लोगों के पदोन्नति के लिए मंत्रालय में फाइल मंगवाई गई। फाइल नहीं मिलने के बाद जांच के लिए 4 सदस्यीय एक कमेटी भी बनाई गई लेकिन जिन तीन लोगों के पास फाइल संभालने की जिम्मेदारी थी वे ही नहीं आए और जांच ठंडे बस्ते में डाल दी गई।
वेतन विसंगति था मूल कारण
संस्कृति एवं पुरातत्व संचालनालय में पदोन्नति के साथ संविलियन और प्रतिनियुक्ति में बड़े पैमाने पर हुई गड़बड़ी के खुलासे के बाद सेटअप की मूल फाइल गायब हो गई। इसके पीछे का मूल कारण वेतन विसंगति था। प्रशासनिक शाखा के लोग जिनके पास सेटअप रखने की रखने की जिम्मेदारी थी उन लोगों से कर्मचारियों के साथ मिली भगत करके मूल वेतन के स्केल को दोगुना तक कर दिया था।
इसके लिए वित्त विभाग तक से सहमति नहीं ली थी। मंत्रालय में खुलासा होने के डर से मूल फाइल ही गायब कर दी। इसके पीछे एक कारण 2005 से 2010 के बीच हुई पदोन्नति भी बताई जा रही है। फाइल नहीं होने के कारण गड़बड़ी के आरोपों की जांच नहीं हो पाई।
ये थे फाइल के रखवाले
फाइल गायब होने की जानकारी लगते ही जांच के लिए चार सदस्यीय समिति बनाई गई। इसमें तत्कालीन उप-संचालक एमजी श्रीवास्तव, राहुल सिंह, जेआर भगत और वित्त संचालक सीआर साहनी को शामिल किया गया। इन्होंने तत्कालीन प्रशासन शाखा के अधिकारियों भारती श्रुति, एसबी सतपाल और प्रताप चंद्र पारख को बयान के लिए बुलाया था। इनमें से सिर्फ एसबी सतपाल ही पहुंचे। बाकी दो लोग भारती श्रुति और प्रताप चंद्र पारख बयान के लिए नहीं आए करीब 2 साल बाद जांच ठंडे बस्ते में डाल दी गई।
नए प्रारंभिक प्रारुप भी काम नहीं आया
खोजबीन के बाद जब अधिकारी थक गए। तो तत्कालीन संयुक्त संचालक राकेश अग्रवाल को नया सेटअप बनाने के जिम्मेदारी दी गई। कुछ महीनों की मेहनत के बाद उन्होंने प्रारंभिक प्रारुप तो तैयार किया लेकिन उस पर भी अधिकारियों की मुहर नहीं लग पाई।
-वर्तमान डिप्टी डायरेक्टर प्रताप चंद्र पारख की नियुक्ति डाटा एंट्री ऑपरेटर के रुप में हुई थी। जिनका मूल वेतन 35सौ से 5 हजार था लेकिन उसे बढ़ाकर 55 से 9 हजार रुपए कर दिया गया। एक याचिका के तहत हाईकोर्ट की सिंगल और डबल बेंच ने इनकी नियुक्ति का गलत बताया था, उसके बावजूद शासन इन्हें पदोन्नति देती रही।
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-विभाग के पर्यवेक्षक प्रभात सिंह का मूल वेतन 4 से 7 हजार था लेकिन उसे बढ़ाकर 5500 से 9 हजार होना पाया गया।
-विभाग की सीमा रानी तिवारी की नियुक्ति तकनीकी सहायक के रुप में हुई थी। जबकि विज्ञापन में केवल 7 पद भरे जाने थे। लेकिन इनका चयन आठवें अभ्यर्थी के रुप में हुआ। वह भी बिना वित्त विभाग के स्वीकृति के....
-विभाग के डाटा एंट्री ऑपरेटर के रुप में देवेंद्र सिंह की नियुक्ति हुई ये भी 7 पदों के विज्ञापन के दौरान 8वें उम्मीदवार के रुप में नियुक्त हुए।