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Alok Shukla surrender: छत्तीसगढ़ नान घोटाले (CG NAN Scam) केस में नया मोड़ आया है। रिटायर्ड IAS आलोक शुक्ला (IAS Alok Shukla) रायपुर की स्पेशल ED कोर्ट में सरेंडर करने पहुंचे, लेकिन कोर्ट ने सरेंडर कराने से इनकार कर दिया। कोर्ट का कहना था कि जब तक सुप्रीम कोर्ट का आदेश आधिकारिक रूप से अपलोड नहीं होता, तब तक सरेंडर की प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकती।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश क्या है?
नान घोटाले में आलोक शुक्ला को पहले हाईकोर्ट से जमानत मिली थी। ED ने इस जमानत को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुनवाई के बाद जस्टिस सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने हाईकोर्ट से मिली अग्रिम जमानत रद्द कर दी।
आदेश के अनुसार: पहले 2 हफ्ते ED की कस्टडी में रहना होगा। इसके बाद 2 हफ्ते न्यायिक हिरासत (Judicial Custody) में रहना होगा। इसके बाद ही उन्हें जमानत मिल सकेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने दिए निर्देश
ED को 3 महीने के भीतर अपनी जांच पूरी करने के आदेश। EOW को 2 महीने में जांच पूरी करने की समयसीमा दी गई। कोर्ट ने साफ कहा कि लंबित मामलों का निपटारा समय पर होना जरूरी है।
नान घोटाला क्या है?
फरवरी 2015 में छत्तीसगढ़ के नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) से जुड़ा यह बड़ा घोटाला सामने आया था। ACB और EOW ने एक साथ 25 परिसरों पर छापे मारे। छापों में 3.64 करोड़ रुपए नकद बरामद हुए। साथ ही चावल और नमक के नमूने जब्त कर जांच की गई, जो घटिया और मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त पाए गए।
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छत्तीसगढ़ नान घोटाला क्या है?
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EOW की FIR में आरोप
FIR के अनुसार, डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा ने अपनी ताकत का दुरुपयोग किया। आरोप है कि दोनों ने तत्कालीन महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा को प्रभावित किया ताकि वे सरकारी कर्तव्यों का गलत उपयोग करें। मकसद था सरकारी खरीद और वितरण प्रणाली में गड़बड़ी कर आर्थिक लाभ कमाना।
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आगे की कार्रवाई
फिलहाल आलोक शुक्ला का सरेंडर स्थगित हो गया है। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट का आदेश अपलोड नहीं हो जाता, तब तक उन्हें कस्टडी में नहीं लिया जाएगा। अब नजरें सुप्रीम कोर्ट के आदेश की आधिकारिक कॉपी और आगे की कानूनी कार्रवाई पर टिकी हैं।