दुर्ग में 765 एकड़ जमीन घोटाले का खुलासा, दो पटवारी निलंबित और 18 का तबादला

भुइयां ऐप के माध्यम से पटवारियों की आईडी का दुरुपयोग कर जमीन का फर्जी बंटवारा किया गया। इस घोटाले में जमीन को बैंक में गिरवी रखकर लोन भी लिया गया।

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Harrison Masih
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Durg land scam: छत्तीसगढ़ के दुर्ग-भिलाई क्षेत्र में एक बड़े जमीन घोटाले का मामला सामने आया है। राज्य सरकार के ऑनलाइन भुइयां ऐप के माध्यम से भू-माफियाओं ने पटवारियों की आईडी हैक कर 765 एकड़ से अधिक सरकारी और निजी जमीन को फर्जी तरीके से अलग-अलग व्यक्तियों के नाम कर दिया।

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घोटाले का दायरा और प्रभावित इलाके

जानकारी के अनुसार यह घोटाला मुरमुंदा पटवारी हल्का के चार गांवों में हुआ:

  • मुरमुंदा: 75 हेक्टेयर सरकारी + 22 हेक्टेयर निजी जमीन
  • अछोटी: 45.304 हेक्टेयर सरकारी + 27.087 हेक्टेयर निजी जमीन
  • चेटुवा: 87.524 हेक्टेयर सरकारी जमीन
  • बोरसी: 47.742 हेक्टेयर निजी जमीन

इस घोटाले में जमीनों को फर्जी बटांकन कर अलग-अलग नामों में दर्ज किया गया और कई जमीनें बैंकों में गिरवी रखकर लोन भी ली गई। उदाहरण के तौर पर, दिनूराम यादव ने 25 जून 2025 को 46 लाख रुपए का लोन लिया, जबकि 2 जुलाई 2025 को एक अन्य व्यक्ति ने 36 लाख रुपए का लोन लिया।

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सिंडिकेट और आरोपी

जांच में पता चला कि इस घोटाले में बड़ा सिंडिकेट सक्रिय था। इसके तार रायपुर, जांजगीर-चांपा, रायगढ़ और कोरबा तक फैले हुए हैं। घोटाले में शामिल मुख्य नाम इस प्रकार हैं:

  • दिनूराम यादव
  • एसराम
  • शियाकांत वर्मा
  • हरिशचंद्र निषाद
  • सुरेंद्र कुमार
  • जयंत

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सरकारी कार्रवाई

दुर्ग संभाग आयुक्त सत्यनारायण राठौर ने बताया कि धारा 115/16 के तहत एसडीएम ने मामला दर्ज कर गड़बड़ी सुधार दी है। आईडी हैकिंग की तकनीकी जानकारी एनआईसी से ली जा रही है।

डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने स्पष्ट किया कि “765 एकड़ नहीं, 765 इंच जमीन की भी गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं होगी। इसमें शामिल किसी के खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी। यह सरकार सुशासन और सुदर्शन के साथ काम कर रही है।”

पटवारियों पर कार्रवाई

पाटन के पटवारी मनोज नायक और मुरमुंदा के पटवारी कृष्ण कुमार सिन्हा को निलंबित किया गया। 18 अन्य पटवारियों का तबादला कर दिया गया। जांच टीम का मानना है कि यह फर्जीवाड़ा लंबे समय से चल रहा था और इसमें कई स्तर पर मिलीभगत शामिल थी। जमीन को सही नामों में पुनः दर्ज कराने की प्रक्रिया जारी है।

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765 एकड़ जमीन घोटालादो पटवारी निलंबित

दुर्ग जमीन घोटाले की मुख्य बातें

  • जमीन घोटाला: दुर्ग-भिलाई में 765 एकड़ सरकारी और निजी जमीन को फर्जी तरीके से अलग-अलग नामों में दर्ज किया गया।

  • भुइयां ऐप का दुरुपयोग: पटवारियों की आईडी हैक कर जमीन के रिकॉर्ड में छेड़छाड़ की गई और कई जमीनों को बैंक में गिरवी रखकर लोन लिया गया।

  • प्रभावित इलाके: मुरमुंदा, अछोटी, चेटुवा और बोरसी गांवों की जमीन घोटाले में शामिल रही।

  • सिंडिकेट और आरोपी: जांच में पाया गया कि यह काम बड़े सिंडिकेट के जरिए हुआ, जिसमें कई व्यक्तियों के नाम सामने आए।

  • सरकारी कार्रवाई: पाटन के पटवारी मनोज नायक और मुरमुंदा के पटवारी कृष्ण कुमार सिन्हा को निलंबित किया गया, जबकि 18 अन्य पटवारियों का तबादला कर दिया गया।

भुइयां ऐप घोटाला

प्रभाव और भविष्य

इस घोटाले के खुलासे से स्पष्ट हुआ कि ऑनलाइन सिस्टम में सुरक्षा की कमियाँ का फायदा उठाकर भू-माफिया बड़े पैमाने पर फर्जी रिकार्ड तैयार कर रहे थे। राज्य सरकार ने कड़ा संदेश दिया है कि किसी भी स्तर पर सरकारी या निजी जमीन के हेराफेरी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

FAQ

दुर्ग जमीन घोटाला क्या है?
दुर्ग-भिलाई में ऑनलाइन भुइयां ऐप के माध्यम से पटवारियों की आईडी का दुरुपयोग कर 765 एकड़ सरकारी और निजी जमीन को फर्जी तरीके से अलग-अलग नामों में दर्ज किया गया। इसमें जमीन को बैंक में गिरवी रखकर लोन भी लिया गया और जांच में पता चला कि एक बड़ा सिंडिकेट इसमें शामिल था।
दुर्ग जमीन घोटाले में कौन-कौन शामिल हैं और कार्रवाई क्या हुई?
जांच में कई लोगों के नाम सामने आए हैं। पाटन के पटवारी मनोज नायक और मुरमुंदा के पटवारी कृष्ण कुमार सिन्हा को निलंबित किया गया, जबकि 18 अन्य पटवारियों का तबादला किया गया।
जमीन घोटाले के बाद सरकार ने क्या कदम उठाए हैं?
राज्य सरकार ने मामले की जांच तेज कर दी है। दोषियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी और फर्जी बंटवारा किए गए जमीन रिकॉर्ड को सही नामों में पुनः दर्ज कराया जाएगा।

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