छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: अब 8,000 निजी स्कूलों पर लागू होगा ESIC कानून

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है जिसके तहत प्रदेश के लगभग 8,000 निजी शैक्षणिक संस्थानों पर ESIC (Employees' State Insurance Corporation) कानून लागू होगा।

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Harrison Masih
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CG Schhools ESIC Act : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसके बाद प्रदेश के सभी निजी शैक्षणिक संस्थाओं पर ईएसआईसी कानून (ESIC Act) लागू होगा। इस फैसले से राज्य के करीब 8,000 निजी और सहायता प्राप्त स्कूलों में काम करने वाले कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिलेगा। उच्च न्यायालय ने निजी शैक्षणिक संस्थाओं की याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश दिया कि 1 अप्रैल 2024 से ईएसआईसी एक्ट का पालन सभी संस्थानों में अनिवार्य होगा।

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क्या है मामला?

दरअसल, राज्य सरकार ने 27 अक्टूबर 2005 को एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें 20 या उससे अधिक कर्मचारियों वाले शैक्षणिक संस्थानों को ईएसआईसी एक्ट के दायरे में लाने का निर्णय लिया गया था। इसके बाद 2011 में ईएसआईसी ने स्कूलों से योगदान राशि जमा करने के लिए नोटिस जारी किया, जिसके खिलाफ कई स्कूलों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इन स्कूलों का कहना था कि "शिक्षा देना व्यापार या औद्योगिक गतिविधि नहीं है", इसलिए इस एक्ट को लागू नहीं किया जा सकता।

वहीं, राज्य सरकार और ईएसआईसी कॉर्पोरेशन ने यह दलील दी कि स्कूलों में भी बड़ी संख्या में कर्मचारी काम करते हैं, जिन्हें बीमारी, मातृत्व और दुर्घटनाओं की स्थिति में सामाजिक सुरक्षा मिलनी चाहिए, और यही इस कानून का उद्देश्य है। हाई कोर्ट ने सरकार की दलील को सही मानते हुए कहा कि शैक्षणिक संस्थान भी “एस्टेब्लिशमेंट” की परिभाषा में आते हैं, इसलिए ईएसआईसी एक्ट लागू होगा और कर्मचारियों को इसका लाभ मिलेगा।

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8,000 निजी स्कूलों पर पड़ेगा असर

हाई कोर्ट के इस फैसले का असर प्रदेश भर के 7,975 निजी और सहायता प्राप्त स्कूलों पर पड़ेगा, जिनमें 5,680 निजी स्कूल, 738 सहायता प्राप्त स्कूल, 413 आंशिक सहायता प्राप्त स्कूल और 180 अन्य स्कूल शामिल हैं। इन स्कूलों में काम करने वाले लगभग 96,500 कर्मचारी अब ईएसआईसी का लाभ उठा सकेंगे, जिनमें से 50,000 से अधिक गैर-शैक्षणिक कर्मचारी हैं।

कर्मचारियों के लिए बड़ा सुरक्षा कवच

राज्य सरकार का कहना है कि ईएसआईसी पॉलिसी कर्मचारियों के लिए एक सुरक्षा कवच साबित होगी। यह कर्मचारियों को बीमारी, मातृत्व और दुर्घटनाओं के दौरान सुरक्षा प्रदान करेगी और उन्हें सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिलेगा। यह कदम शैक्षणिक संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों के कल्याण के लिए एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक बदलाव होगा।

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ESIC कानून क्या है?

  • सामाजिक सुरक्षा योजना
    ESIC एक सरकारी योजना है जो कर्मचारियों को स्वास्थ्य देखभाल, मातृत्व लाभ, दुर्घटनाओं, बीमारी, और विकलांगता जैसी परिस्थितियों में वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है। इसका उद्देश्य कामकाजी लोगों को संकट की स्थिति में सामाजिक सुरक्षा देना है।

  • कानूनी बाध्यता
    ESIC कानून के तहत, उन संस्थानों को इस योजना का पालन करना जरूरी होता है जहां 10 या उससे अधिक कर्मचारी काम करते हैं। इन संस्थानों को कर्मचारियों की आय का एक हिस्सा ईएसआईसी फंड में जमा करना होता है, जो कर्मचारियों को विभिन्न प्रकार की सुविधाएं प्रदान करता है।

  • स्वास्थ्य और इलाज का लाभ
    इस कानून के तहत, कर्मचारियों को अस्पतालों में मुफ्त चिकित्सा सेवाएं प्राप्त होती हैं। इसके साथ ही कर्मचारियों के परिवार के सदस्य भी इलाज के लाभ से जुड़ सकते हैं। यह कानून कर्मचारियों को इलाज, ऑपरेशन, दवाइयों और अन्य चिकित्सा खर्चों से बचाता है।

  • मातृत्व और विकलांगता लाभ
    ESIC कानून के तहत कर्मचारियों को मातृत्व लाभ (माँ बनने पर) और विकलांगता (दुर्घटना या बीमारी के कारण) की स्थिति में वित्तीय सहायता दी जाती है। यह योजना उनके लिए एक सुरक्षा कवच का काम करती है।

  • दुर्घटना और मृत्यु पर वित्तीय सहायता
    अगर किसी कर्मचारी की दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है या वह गंभीर रूप से घायल हो जाता है, तो ESIC के माध्यम से उनके परिवार को वित्तीय मदद और पेंशन प्रदान की जाती है। यह कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए एक महत्वपूर्ण सहायता होती है।

ईएसआईसी का लाभ मिलेगा कर्मचारियों को

अब ईएसआईसी एक्ट लागू होने के बाद, प्री- और पोस्ट-नैटल केयर, चोट या बीमारी के इलाज के दौरान और मातृत्व लाभ जैसी सुविधाएं कर्मचारियों को मिल सकेंगी। इससे सरकारी और निजी स्कूलों के कर्मचारियों को गंभीर स्वास्थ्य संकट में भी सामाजिक सुरक्षा का समर्थन मिलेगा।

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जल्द होगा लागू

हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जल्द से जल्द सभी निजी स्कूलों में ईएसआईसी कानून का पालन अनिवार्य होगा। इससे कर्मचारियों को स्वास्थ संबंधित लाभ मिलेगा, और उनका भविष्य सुरक्षित रहेगा। यह फैसला प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए एक ऐतिहासिक और सकारात्मक कदम है, जो उनके जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में सहायक होगा।

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