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CG Contract employee maternity leave: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने संविदा पर कार्यरत महिला स्टाफ नर्स को मातृत्व अवकाश (maternity leave) का वेतन न देने के मामले में राज्य सरकार पर सख्त नाराज़गी जताई है। न्यायमूर्ति रविन्द्र कुमार अग्रवाल की एकलपीठ ने राज्य शासन से तीखे शब्दों में पूछा कि पूर्व में पारित आदेश के बावजूद अब तक वेतन भुगतान क्यों नहीं किया गया है। न्यायालय ने निर्देश दिया कि सरकार आवश्यक निर्देश प्राप्त कर अगली सुनवाई में अपनी स्थिति स्पष्ट करे। इस मामले की अगली सुनवाई 17 अगस्त 2025 के सप्ताह में होगी।
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क्या है पूरा मामला?
यह मामला कबीरधाम जिला अस्पताल में संविदा पर कार्यरत एक स्टाफ नर्स से जुड़ा है। उन्होंने गर्भावस्था के चलते 16 जनवरी 2024 से 16 जुलाई 2024 तक मातृत्व अवकाश लिया था, जिसे प्रशासन ने विधिवत स्वीकृत भी किया था। 21 जनवरी 2024 को उन्होंने कन्या संतान को जन्म दिया और निर्धारित समय के बाद 14 जुलाई को पुनः ड्यूटी पर लौट आईं। इसके बाद उन्होंने कई बार मातृत्व अवकाश के दौरान वेतन भुगतान के लिए आवेदन दिए, लेकिन शासन की ओर से कोई जवाब नहीं मिला।
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पहले भी दिया था हाईकोर्ट ने आदेश
इस मामले में याचिकाकर्ता ने पहले रिट याचिका दाखिल कर छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 2010 के तहत मातृत्व अवकाश और वेतन भुगतान की मांग की थी। हाईकोर्ट ने 10 मार्च 2025 को स्पष्ट आदेश दिया था कि तीन माह के भीतर शासन वेतन भुगतान पर निर्णय ले। आदेश के बावजूद सरकार की ओर से कोई पहल न होने पर याचिकाकर्ता ने अवमानना याचिका दाखिल की।
हाईकोर्ट ने संविदा कर्मियों के अधिकारों को बताया वैध
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अग्रवाल ने टिप्पणी की कि संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों के साथ इस प्रकार का भेदभाव करना उनके वैधानिक अधिकारों की अनदेखी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मातृत्व अवकाश के दौरान वेतन का भुगतान संविदा कर्मचारियों का भी अधिकार है और इसे टालना न्याय और मानवता दोनों के खिलाफ है।
संविदा कर्मचारी मातृत्व अवकाश
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मातृत्व अवकाश पर हाईकोर्ट का फैसला
अब अगली सुनवाई 17 अगस्त को
कोर्ट ने शासन को निर्देश दिया है कि वह इस विषय में उच्च अधिकारियों से आवश्यक निर्देश प्राप्त कर 17 अगस्त 2025 को होने वाली अगली सुनवाई में स्थिति स्पष्ट करे। यह मामला संविदा कर्मचारियों के अधिकारों को लेकर एक अहम कानूनी मिसाल बन सकता है।
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