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CG weather update:छत्तीसगढ़ में एक बार फिर मानसूनी बादल सक्रिय हो गए हैं। मौसम विभाग ने अगले दो दिनों तक पूरे प्रदेश में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना जताई है। इस दौरान कई क्षेत्रों में गरज-चमक के साथ तेज आंधी और बिजली गिरने की घटनाएं देखने को मिल सकती हैं। वहीं, 9 अक्टूबर से उत्तर छत्तीसगढ़ में बारिश की तीव्रता बढ़ने का अनुमान है।
11 जिलों में यलो अलर्ट
मौसम विभाग (IMD) ने आज (बुधवार) बस्तर, कोंडागांव, कांकेर, धमतरी, गरियाबंद, महासमुंद, जांजगीर-चांपा, रायगढ़, जशपुर, सरगुजा और बलरामपुर जिलों के लिए यलो अलर्ट जारी किया है। इन जिलों में तेज आंधी, गरज-चमक और बिजली गिरने की चेतावनी दी गई है। बाकी जिलों में मौसम सामान्य रहने की संभावना है।
अक्टूबर में अब तक 157% ज्यादा बारिश
इस बार अक्टूबर माह में अब तक सामान्य से 157% अधिक वर्षा दर्ज की गई है। सामान्यतः 5 अक्टूबर तक राज्य में औसतन 21.1 मिमी बारिश होती है और मानसून लौट जाता है, लेकिन इस साल 54 मिमी से ज्यादा बारिश पहले ही हो चुकी है। पिछले 24 घंटों में रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर और बस्तर संभाग में हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की गई। नारायणपुर और फरसगांव में सबसे अधिक 60 मिमी वर्षा रिकॉर्ड हुई।
तापमान में गिरावट, मौसम हुआ सुहावना
राज्य में दिन का अधिकतम तापमान 31.8 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। इससे मौसम में हल्की ठंडक का अहसास बढ़ा है।
मानसून की वापसी में 10 दिन की देरी
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, देश के कई हिस्सों से मानसून लौटना शुरू हो चुका है, लेकिन छत्तीसगढ़ में मानसून की वापसी में करीब 10 दिन की देरी हो सकती है। सामान्य तौर पर 5 अक्टूबर तक मानसून सरगुजा की ओर से लौटना शुरू हो जाता है, लेकिन इस बार इसकी वापसी 15 अक्टूबर के बाद होने के आसार हैं। 30 सितंबर तक हुई बारिश को मानसूनी वर्षा माना जाता है, जबकि उसके बाद की बारिश को पोस्ट-मानसून रेन कहा जाता है।
जिलेवार बारिश का हाल
- प्रदेश में अब तक 1167.4 मिमी औसत बारिश दर्ज की गई है।
- बेमेतरा में सबसे कम 524.5 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य से 50% कम है।
- बलरामपुर में सबसे अधिक 1520.9 मिमी वर्षा, जो सामान्य से 52% ज्यादा है।
- राजनांदगांव, बस्तर और रायगढ़ में बारिश सामान्य स्तर पर रही है।
(आंकड़े 30 सितंबर तक के हैं।)
छत्तीसगढ़ मौसम अपडेट की मुख्य बातें:
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बिजली गिरने के पीछे का विज्ञान
बादलों में मौजूद पानी की बूंदें और बर्फ के कण हवा से रगड़ खाते हैं, जिससे उनमें विद्युत आवेश (चार्ज) उत्पन्न होता है। कुछ बादल पॉजिटिव और कुछ नेगेटिव चार्ज लिए होते हैं। जब ये विपरीत चार्ज वाले बादल आपस में टकराते हैं तो बिजली की उत्पत्ति होती है। कभी-कभी यह बिजली इतनी तीव्र होती है कि धरती तक पहुंच जाती है। पेड़, पानी, बिजली के खंभे और धातु की वस्तुएं बिजली को आकर्षित करती हैं। ऐसे में इन वस्तुओं के पास खड़ा व्यक्ति बिजली की चपेट में आ सकता है।
मौसम विभाग की अपील
- यलो अलर्ट वाले जिलों में लोग खुले मैदानों या पेड़ों के नीचे खड़े न हों।
- मोबाइल फोन या धातु की वस्तुएं बिजली कड़कने के दौरान उपयोग न करें।
- किसानों को सलाह दी गई है कि फसलों की कटाई या खेतों में काम करते समय मौसम की स्थिति पर नज़र रखें।
छत्तीसगढ़ में मानसून की वापसी भले ही देर से हो रही हो, लेकिन इससे किसानों को फसलों के लिए लाभ मिल सकता है। हालांकि, बिजली गिरने और आंधी-तूफान की संभावना को देखते हुए सतर्क रहना जरूरी है।