CG का चुनावी गणित, लोकसभा में 2 सीट से आगे नहीं बढ़ पाई कांग्रेस, बीजेपी 6 सीटें कभी नहीं हारी

कहा जाता है कि जब से CG राज्य बनने के बाद से कांग्रेस कभी दो सीट से आगे नहीं बढ़ पाई। वहीं 6 सीटें ऐसी भी हैं, जहां बीजेपी कभी नहीं हारी। पिछले परिणामों को देखे तो पता चलता है कि कोरबा एक ऐसी सीट है, जहां कांग्रेस एक बार जीतती है और एक बार हारती है।

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Pooja Kumari
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Loksabha
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RAIPUR. साल 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हुआ था, कहा जाता है कि जब से छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से कांग्रेस कभी दो सीट से आगे नहीं बढ़ पाई। वहीं 6 सीटें ऐसी भी हैं, जहां बीजेपी कभी नहीं हारी। पिछले परिणामों को देखे तो पता चलता है कि कोरबा एक ऐसी सीट है, जहां कांग्रेस एक बार जीतती है और एक बार हारती है। वर्तमान में यहां कोरबा सीट से ज्योत्सना महंत सांसद हैं।  

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बीजेपी करेगी अपनी पहली सूची जारी 

बीजेपी भी पहली सूची में कोरबा के प्रत्याशी को मैदान में उतारने जा रही है। यहां से कई लोग दावेदारी भी कर रहे है। ऐसे में देवेंद्र पांडेय, नवीन पटेल, विकास महतो जैसे कई नाम चर्चा में है। वहीं कांग्रेस ने अभी तक अपना पत्ता नहीं खोला है कि वे ज्योत्सना को दोबारा लड़वाएंगे या फिर कोई नया चेहरा सामने आएगा।

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कांग्रेस कब-कब कहां से जीती

  • 2019 बस्तर से दीपक बैज और कोरबा से ज्योत्सना महंत
  • 2014 दुर्ग सीट से ताम्रध्वज साहू
  • 2009 कोरबा से डॉ. चरणदास महंत
  • 2004 महासमुंद से अजीत जोगी और राजनांदगांव से देवव्रत सिंह।

रायपुर : यहां 1952 से 1984 तक कांग्रेस का गढ़ रहा। 1977 में भारतीय लोकदल के पुरुषोत्तम कौशिक जीते। 1989 में बीजेपी के रमेश बैस सांसद बने। 91 में फिर वीसी चुने गए। 1996 से लगातार बीजेपी जीत रही है।

रायगढ़ : यह सीट भी 1999 से बीजेपी के पास है। यहां से वर्तमान सीएम विष्णुदेव साय लगातार चार बार सांसद रहे। वर्तमान में बीजेपी की गोमती साय सांसद चुनी गईं थी। छग के पहले सीएम अजीत जोगी 1998 में यहां से जीते थे।

बिलासपुर : यहां 28 साल से बीजेपी का कब्जा है। 1996 से 2004 तक पुन्नूलाल मोहले यहां से सांसद रहे। 2009 में दिलीप सिंह जूदेव, 2014 में लखनलाल साहू और 2019 में अरुण साव सांसद बने।

बस्तर : 1996 में कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा निर्दलीय के रूप में चुनाव जीते थे। 1998 से बीजेपी के बलिराम कश्यप चार बार सांसद रहे। 2011 में बलिराम के निधन के बाद बेटे दिनेश कश्यप ने जीत का सिलसिला बरकरार रखा।

राजनांदगांव : 1998 में दुर्ग के मोतीलाल वोरा ने चुनाव जीता। 1992 में मुंबई से आकर चुनाव लड़ने वाले कारोबारी रामसहाय पांडेय सांसद चुने गए थे। पिछले 3 बार बीजेपी और 1 बार कांग्रेस के सांसद रहे हैं।

दुर्ग : पिछले चार चुनाव की बात करें तो यहां पर तीन बार बीजेपी का कब्जा रहा जबकि एक बार ही यह सीट कांग्रेस के पास रही। वर्तमान में यहां से विजय बघेल सांसद हैं।

महासमुंद : बीजेपी के चंदूलाल साहू ने 2009 और 2014 में लगातार जीत हासिलकर इस मिथक को तोड़ दिया। 2014 में चंदूलाल ने सिर्फ 1217 वोटों से लोकसभा चुनाव जीता था।

सरगुजा : 1951 व 1957 में हुए दो चुनावों में दो-दो सांसद चुने गए थे। 1962 से यह क्षेत्र एसटी आरक्षित है। 1999 में कांग्रेस के खेलसाय सिंह जीते, इसके बाद से यह सीट बीजेपी के कब्जे में है।

कांकेर : यहां अब तक 13 चुनाव हुए हैं जिनमें 5 बार अरविंद नेताम, 4 बार सोहन पोटाई चुने गए। 64 प्रत्याशियों में कई ऐसे भी हैं जो बार-बार चुनाव लड़ते रहे लेकिन कभी सफल नहीं हो पाए।

कोरबा : 2008 में परिसीमन के बाद लोकसभा अस्तित्व में आई। उसके बाद हुए दो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी को एक-एक बार मौका दिया है। फिलहाल कांग्रेस के सांसद हैं।

जांजगीर-चांपा : 1989 में पहली बार बीजेपी ने यहां पैर जमाया। इससे पहले पार्टी पांच बार दूसरे स्थान पर रही। बीजेपी के दिलीप सिंह जूदेव ने पहली बार 1989 में पार्टी का खाता खोला।

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