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Raipur. छत्तीसगढ़ अब देश के उन चुनिंदा राज्यों में शामिल होने जा रहा है, जहां सामान्य नागरिकों और संस्थाओं को वन्य प्राणियों को गोद लेने (Animal Adoption Scheme) की अनुमति मिलेगी। यह पहल कर्नाटक और उत्तरप्रदेश के मॉडल पर आधारित है और राज्य में पहली बार लागू की जाएगी। इसकी शुरुआत रायपुर के जंगल सफारी और बिलासपुर के कानन पेंडारी चिड़ियाघर से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में होगी।
क्या है यह योजना?
राज्य सरकार ने “एनीमल अडॉप्ट स्कीम” का प्रारूप तैयार कर लिया है और इसे मंजूरी के लिए भेजा गया है। इस योजना के तहत कोई भी नागरिक, संस्था या संगठन किसी वन्य प्राणी को गोद (Adopt) ले सकेगा। गोद लेने वाले को उस जानवर की देखरेख, भोजन, चिकित्सा और रखरखाव में वित्तीय सहयोग करना होगा।
बदले में दानदाता को 80G आयकर छूट का लाभ मिलेगा। साथ ही उनका नाम उस प्राणी के बाड़े पर पट्टिका के रूप में अंकित किया जाएगा।
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कैसे होगा सहयोग?
- इस योजना के लिए एक विशेष बैंक खाता खोला जाएगा, जिसमें इच्छुक दानदाता अपनी राशि जमा कर सकेंगे।
- दानदाता का नाम खाते और रिकॉर्ड में जोड़ा जाएगा।
- राशि का उपयोग केवल प्राणी के देखरेख, भोजन और चिकित्सा में किया जाएगा।
- पूरे खाते का हर साल ऑडिट होगा ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
- गोद लेने वाले व्यक्ति या संस्था को समय-समय पर प्राणी की प्रगति रिपोर्ट भेजी जाएगी।
भविष्य की योजना
अगर इस योजना को नागरिकों से सकारात्मक प्रतिसाद मिला, तो इसे आगे चलकर राज्य के चिड़ियाघरों,टाइगर रिजर्व, अभयारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों तक विस्तारित किया जाएगा। वन विभाग का लक्ष्य है कि इस अभियान को व्यापक रूप से सोशल मीडिया, सार्वजनिक पोस्टर-बैनर और विज्ञापनों के माध्यम से प्रचारित किया जाए ताकि अधिक से अधिक लोग इससे जुड़ें।
| ऐसे समझें पूरा मामला
 
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पहले भी हुई थी कोशिश
जनवरी 2022 में अचानकमार टाइगर रिजर्व में भी ऐसी ही पहल की गई थी, जहां टाइगर संरक्षण के लिए बैंक खाता खोला गया था। लेकिन प्रचार-प्रसार की कमी के कारण उस खाते में 10,000 रुपये तक भी जमा नहीं हो सके। अब इस बार विभाग योजना को राज्य स्तर पर प्रभावी रूप से लागू करने की तैयारी में है।
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अधिकारी का बयान
अरुण कुमार पांडेय, पीसीसीएफ (वाइल्ड लाइफ) ने कहा- “भारत सरकार के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत कई प्रोजेक्ट में दान या सहयोग के विकल्प मौजूद हैं। यूपी और कर्नाटक की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी यह योजना जल्द शुरू होगी, ताकि लोग वन्यजीव संरक्षण में प्रत्यक्ष रूप से भागीदारी कर सकें।”
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