छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण पर अब सरकार का पहरा: शीतकालीन-सत्र में आएगा धर्मांतरण संशोधन विधेयक, देना होगा 60 दिन का नोटिस

छत्तीसगढ़ में अब धर्म परिवर्तन से 60 दिन पहले जानकारी देना अनिवार्य होगा. शीतकालीन सत्र में गृहमंत्री धर्मांतरण संशोधन विधेयक पेश करेंगे. यह कानून आदिवासियों के बीच बढ़ते धर्मांतरण विवाद को रोकने में मदद करेगा.

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Sanjay Dhiman
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RAIPUR.छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र 14 दिसंबर से शुरू हो रहा है। इस सत्र में एक अहम बिल पर चर्चा होगी, जिसका नाम है "धर्मांतरण संशोधन विधेयक"। गृहमंत्री विजय शर्मा ने इस विधेयक को पेश करने की पुष्टि की है। इस विधेयक का उद्देश्य धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया को कानूनी रूप से नियंत्रित करना है। साथ ही आदिवासी इलाकों में हो रहे विवादों को कम करना है। राज्य विधानसभा का शीतकालीन सत्र 14 दिसंबर से शुरू होकर 17 दिसंबर तक चलेगा।

गृहमंत्री विजय शर्मा ने बताया कि शीतकालीन सत्र में यह धर्मांतरण संशोधन विधेयक आएगा। उनका कहना है कि इस विधेयक के आने से धर्म परिवर्तन के नियमों में कई बड़े बदलाव होंगे। यह कानून समाज में शांति बनाए रखने में मदद करेगा। 

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9 राज्यों की स्टडी से तैयार हुआ ड्राफ्ट

इस विधेयक का ड्राफ्ट बनाने के लिए गृहमंत्री विजय शर्मा की अध्यक्षता में एक कमेटी बनी थी। इस कमेटी ने छत्तीसगढ़ में धर्म परिवर्तन के विवादों को कम करने के लिए चर्चा की। सूत्रों के अनुसार, गृहमंत्री ने इस ड्राफ्ट को तैयार करने के लिए 52 से ज्यादा बैठकें कीं। इसमें 9 राज्यों के धर्मांतरण कानूनों का भी अध्ययन किया गया। 

नए नियम क्या कहते हैं?

इस नए ड्राफ्ट के मुताबिक, अब एक धर्म से दूसरे धर्म में जाना इतना आसान नहीं होगा। अब धर्म परिवर्तन के लिए पूरी प्रक्रिया और नियम-कानून का पालन करना जरूरी होगा। छत्तीसगढ़ सरकार 'धार्मिक स्वतंत्रता कानून' भी बनाने जा रही है।

  • जेल और जुर्माना: नियमों का उल्लंघन करने या दबाव डालकर धर्म परिवर्तन कराने पर कड़ी सजा मिलेगी। इसमें जेल और भारी जुर्माना दोनों का प्रावधान होगा।

  • 60 दिन पहले जानकारी: अब धर्म बदलने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को 60 दिन पहले सरकार को जानकारी देनी होगी। 

छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण संशोधन विधेयक के प्रस्ताव को ऐसे समझें 

शीतकालीन सत्र में विधेयक: छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र में धर्मांतरण संशोधन विधेयक पेश किया जाएगा। इसकी जानकारी गृहमंत्री विजय शर्मा ने की है।

60 दिन पहले जानकारी अनिवार्य: नए कानून के अनुसार, धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति को अब 60 दिन पहले सरकार को इसकी जानकारी देनी होगी।

सज़ा का प्रावधान: नियमों का उल्लंघन करने, या किसी को जबरन या लालच देकर धर्म परिवर्तन कराने पर कड़ी सजा, जेल और जुर्माने का प्रावधान किया जाएगा।

9 राज्यों के कानूनों का अध्ययन: इस विधेयक का ड्राफ्ट गृहमंत्री विजय शर्मा के नेतृत्व में 52 बैठकें की गई। 9 अन्य राज्यों के धर्मांतरण कानूनों का अध्ययन करने के बाद ड्राफ्ट तैयार किया गया है।

आदिवासी क्षेत्रों में विवाद पर रोक: यह कानून बस्तर, जशपुर जैसे आदिवासी क्षेत्रों में धर्मांतरण के कारण हो रहे संघर्ष को रोकने में मदद करेगा। इससे कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने में सहायता मिलेगी।

ड्राफ्ट के लिए हुई 52 बैठकें

धर्मांतरण संशोधन विधेयक के ड्राफ्ट को तैयार करने में गृहमंत्री विजय शर्मा ने 52 बैठकें कीं। इन बैठकों में यह तय किया गया कि धर्मांतरण को लेकर कोई भी विवाद न बढ़े। पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी रखा गया। ड्राफ्ट के अनुसार,अब धर्म परिवर्तन केवल पूरी प्रक्रिया और नियमों के पालन के बाद ही संभव होगा।

छत्तीसगढ़ में ऐसे कानून की जरूरत क्यों पड़ी?

छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों जैसे बस्तर,जशपुर और रायगढ़ में धर्मांतरण एक बड़ा मुद्दा बन गया है। बड़े पैमाने पर आदिवासियों को ईसाई धर्म में परिवर्तित किया जा रहा है। इस कारण कई बार समुदायों के बीच गंभीर विवाद और संघर्ष हुए हैं। बस्तर के नारायणपुर में तो यह संघर्ष हिंसक रूप भी ले चुका है।

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वर्तमान में क्या है स्थिति?

अभी छत्तीसगढ़ में धर्म परिवर्तन को कानूनी मान्यता देने वाला कोई स्पष्ट नियम नहीं है। लोग अक्सर किसी के प्रभाव में आकर धर्म बदल लेते हैं।  खुद को उस धर्म का अनुयायी घोषित कर देते हैं.

  • अवैध धर्मांतरण: नए कानून में अगर कोई व्यक्ति प्रस्तावित नियमों का पालन किए बिना धर्म परिवर्तन करता है, तो उसे वैध नहीं माना जाएगा।

  • दबाव या प्रलोभन: यदि किसी पर दबाव बनाकर, लालच देकर या धोखे से धर्म परिवर्तन कराया जाता है, तो उस व्यक्ति के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होगी.

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