रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल के लेटर बम से सत्ता और संगठन में बढ़ा तनाव

छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ महीनों से भाजपा के दिग्गज नेता और रायपुर के सांसद बृजमोहन अग्रवाल की सक्रियता और उनके द्वारा राज्य सरकार को लिखे जा रहे पत्रों ने सरकार में खलबली मचा दी है। 

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Jitendra Shrivastava
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प्रफुल्ल पारे@रायपुर 

छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी के भीतर सब कुछ सामान्य नहीं चल रहा है। सतह के नीचे महत्व और उपेक्षा का जोरदार संघर्ष जारी है। पुराने कद्दावर भाजपा नेता हाशिये पर डाल दिए गए हैं और जिन्हें भविष्य का चेहरा बनाने आगे लाया गया वो परिणाम नहीं दे पा रहे हैं। जिसके चलते प्रदेश में सत्ता और संगठन का बिखरता तालमेल अब साफ नजर आने लगा है। 

पिछले कुछ महीनों से भाजपा के दिग्गज नेता और रायपुर के सांसद बृजमोहन अग्रवाल की सक्रियता और उनके द्वारा राज्य सरकार को लिखे जा रहे पत्रों ने सरकार में खलबली मचा दी है। 

अपनी ही पार्टी को कितने रास आ रहे हैं अग्रवाल?

सांसद बनने के बाद बृजमोहन अग्रवाल अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री और मंत्रियों को आधा दर्जन पत्र लिख चुके हैं। इन पत्रों में समस्याओं का जिक्र है और उनके निदान का सुझाव, लेकिन सरकार की ओर से इसे लगभग अनसुना कर दिया गया। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि सांसद बृजमोहन अग्रवाल के पत्र से भाजपा सरकार बैकफुट पर आ जाती है और विपक्षी कांग्रेस... सरकार पर हमलावर हो जाती है। 

बात केवल छत्तीसगढ़ तक सीमित नहीं है सांसद बृजमोहन अग्रवाल लोकसभा में छत्तीसगढ़ में रेलवे के निजाम को लेकर केंद्रीय रेल मंत्री अश्वनी वैषणव से भी तीखे सवाल कर रहे हैं। और तो और केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को भी प्रदेश के राजमार्गों की स्थिति पर भी पत्र लिख रहे हैं। सांसद अग्रवाल के पत्र सत्ता में बैठी उनकी अपनी ही पार्टी को कितने रास आ रहे हैं इसका तो पता नहीं, लेकिन यह चर्चा जरूर है कि भाजपा के संगठन ने प्रदेश में नए चेहरों को तलाशने और तराशने की जो योजना बनाई है क्या उसमें बृजमोहन अग्रवाल बाधा बन रहे हैं? क्या पार्टी ने यह तय कर लिया है कि बृजमोहन अग्रवाल के राजनीतिक करियर को हाशिये पर धकेल दिया जाए।  

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संगठन और बृजमोहन में तनातनी

जानकारों की मानें तो भाजपा ने 2023 विधानसभा चुनाव के पहले ही यह तय कर लिया था कि सत्ता में आने के बाद पार्टी और सरकार का चेहरा बदल दिया जाएगा। इस बदलाव की मुहिम में सबसे पहला नाम बृजमोहन अग्रवाल का ही था। अव्वल तो पार्टी उन्हें विधानसभा का चुनाव ही नहीं लड़वाना चाहती थी, लेकिन शीर्ष नेता ऐसा कर नहीं पाए। 2023 के विधानसभा चुनाव में रिकॉर्ड मतों से जीतने के बाद पार्टी उन्हें मंत्री बनने से भी नहीं रोक पाई। छह माह बाद हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें रायपुर लोकसभा से मैदान में उतार दिया। बृजमोहन अग्रवाल पांच लाख से अधिक मतों से जीतकर लोकसभा पहुंचे। तब यह उम्मीद की जा रही थी कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में बृजमोहन को स्थान मिलेगा, लेकिन पार्टी ने बिलासपुर से सांसद तोखन साहू को मंत्रिमंडल में जगह दी। जानकार बताते हैं कि भाजपा संगठन और बृजमोहन अग्रवाल के बीच कुछ भी ठीक नहीं है। 

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विधानसभा चुनाव के बाद से बढ़ रहा तनाव 

बृजमोहन अग्रवाल ने अपनी परंपरागत रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट से उप चुनाव में अपने खास समर्थक सुनील सोनी को टिकट दिलाया और चुनाव भी जितवाया। इस दौरान भी उनकी संगठन के पदाधिकारियों से नाराजगी सामने आई थी। रायपुर दक्षिण विधानसभा का चुनाव बृजमोहन अग्रवाल ने अपने बूते पर सुनील सोनी को लड़वाया और जीत दिलाई। सूत्रों की मानें तो भाजपा का संगठन बृजमोहन अग्रवाल से पहले से ही खिंचा-खिंचा चल रहा था, लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद यह खिंचाव लगातार बढ़ रहा है। बताया तो यह भी जाता है कि राज्य के प्रभारी और राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश ने एक बैठक में रायपुर दक्षिण विधानसभा के उप चुनाव में हुए खर्च का ब्यौरा मांग लिया था। यह दूरी इतनी बढ़ती जा रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कार्यक्रमों में भी बृजमोहन अग्रवाल को वह सम्मान नहीं मिलता जिसके वो एक सांसद होने के नाते हकदार हैं। 

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क्या लिख रहे हैं चिट्ठी में बृजमोहन... 

- सांसद बनने के बाद बृजमोहन अग्रवाल ने राज्य में बढ़ाए गए सीमेंट के दाम को लेकर विरोध जताया और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखा। उन्होंने मांग रखी कि सीमेंट का उत्पादन राज्य में होता है तो इसका लाभ राज्य के निवासियों को मिलना चाहिए।
 
- लोकसभा सत्र में बृजमोहन अग्रवाल ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से यह पूछ लिया कि रेलवे का बिलासपुर जोन जितना राजस्व देता है उसके अनुपात में छत्तीसगढ़ में रेल का कितना विकास हो रहा है। इस सवाल के जवाब पर तो रेल मंत्री वैषणव के साथ बहस की नौबत आ गई थी। आलम ये है कि अब रेल मंत्री छत्तीसगढ़ में रेलवे के द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी अलग से वीडियो बनाकर देते हैं। 

- सांसद बृजमोहन ने केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को भी पत्र लिखकर मांग की कि कुम्हारी का टोल प्लाजा बंद किया जाए।
 
- प्रदेश में जब गर्मी तेज होने लगी तो स्कूल बंद करने की मांग को लेकर भी एक पत्र मुख्यमंत्री को लिखा गया।
  
- सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने राज्य की कानून और यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा। उन्होंने सुझाव दिया कि जिले में लगभग आठ सौ पद रिक्त हैं जिन्हे भरा जाए और यातायात का दबाव कम किया जाए। 

- सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर बताया कि राजधानी रायपुर एडवांस कार्डियक सेंटर बंद पड़ा है। इस कारण प्रदेश के सबसे बड़े मेकाहारा अस्पताल में हार्ट की सर्जरी नहीं हो रही है और निजी अस्पताल मरीजों को लूट रहे हैं। 

- कल ही लिखे एक पत्र में सांसद अग्रवाल ने कहा कि एक हजार से अधिक दिवंगत शिक्षकों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति जल्द दी जानी चाहिए, क्योंकि इसके लिए चलाए गए आंदोलन में पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने भी वचन दिया था। 

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संगठन का संकट 

प्रदेश की सरकार में नए चेहरों के साथ संगठन में भी बदलाव पार्टी का नीतिगत निर्णय हो सकता है, लेकिन इसे अमलीजामा पहनाने में भाजपा को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। पार्टी के पुराने दिग्गज नेता संगठन की इस नीति को आत्मसात नहीं कर पा रहे हैं। नए और पुराने नेताओं में सामंजस्य संगठन के लिए चुनौती बना हुआ है। इसी का परिणाम है कि डेढ़ बरस से अधिक का समय हो गया मंत्रिमंडल का विस्तार बार-बार टलता जा रहा है। डेढ़ साल बाद जारी हुई निगम मंडलों में नियुक्ति की सूची ने भी पार्टी में खासा कोहराम मचाया। इस बीच विधानसभा के जितने सत्र हुए सभी में पुराने दिग्गजों ने नए नवेले मंत्रियों को घेरने में भी कोई कसर बाकी नहीं रखी। सरकार में मंत्रियों के अनुशासन और प्रोटोकॉल के दरकने की खबर भी गाहे बगाहे सोशल मीडिया में वायरल हो जाती है। कुल मिलाकर प्रदेश में भाजपा का संगठन चुनौतियों से जूझ रहा है। सांसद बृजमोहन अग्रवाल का सरकार को बार-बार पत्र लिखना यह साबित कर रहा है।

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