अरुण तिवारी@RAIPUR. लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार मंत्रिमंडल विस्तार के साथ संगठन के नेताओं को राजनीतिक नियुक्तियां देने की भी तैयारी कर रही है। मंत्रिमंडल में सिर्फ एक कुर्सी खाली है और एक खाली होने वाली है। यानी दो कुर्सियों की ही जगह का ही इंतजाम है। इसलिए सीएम विधायकों के लिए नया रास्ता अपनाने वाले हैं। सीएम दर्जन भर से ज्यादा विधायकों को संसदीय सचिव बना सकते हैं। ये संसदीय सचिव, सीएम समेत हर मंत्री के साथ अटैच किए जाएंगे। इनको मंत्री दर्जा और उसके समान सुविधाएं भी मिलेंगी। यानी सीधे तौर पर यह कहा जा सकता है कि बीजेपी ने विधायकों को मंत्री बनाने का पिछला दरवाजा खोल दिया है। लेकिन बीजेपी सरकार के इस फैसले की चर्चा क्यों हो रही है। बीजेपी जब विपक्ष में थी तब संसदीय सचिव बनाने वाली व्यवस्था के विरोध में थी। भूपेश सरकार ने जब संसदीय सचिव बनाए थे तब बीजेपी ने विरोध किया था। लेकिन अब जबकि बीजेपी सरकार में आ गई है तो वहीं फैसला लेने जा रही है। शायद इसीलिए कहा जाता है कि ये सियासत है,इसमें कुछ भी स्थाई नहीं होता फिर चाहे वो समर्थन हो या विरोध।
मंत्री बनाने का पिछला दरवाजा
संसदीय सचिव बनाना बीजेपी की मजबूरी है या फिर जरुरी है। सवाल ये है कि बीजेपी आखिर वो काम क्यों कर रही है जिसका विरोध करती आई है। आइए आपको बताते हैं। विष्णुदेव साय सरकार में वर्तमान में 12 मंत्री हैं और एक मंत्री और बनाया जा सकता है। यानी नियमों के हिसाब से मंत्रिमंडल में सीएम समेत सिर्फ 14 मंत्री ही हो सकते हैं। यानी मंत्रिमंडल में एक मंत्री को और शामिल किया जाना है। बृजमोहन अग्रवाल यदि लोकसभा चुनाव जीत जाते हैं तो वे विधानसभा से इस्तीफा देंगे और एक मंत्री पद और खाली हो जाएगा। यानी मंत्रिमंडल विस्तार में सिर्फ दो नए विधायकों को शामिल किया जाएगा। ऐसे में कई विधायक मंत्री बनने में रह जाएंगे। इस बार बीजेपी को प्रदेश में विधानसभा चुनाव में बड़ी सफलता मिली है। बीजेपी को 90 में से 54 सीटें मिली हैं। अधिकांश विधायकों की अपेक्षा मंत्री बनने की है। ऐसे में बीजेपी ने मंत्री बनाने के लिए पिछले दरवाजे से रास्ता निकाल लिया है। सरकार 14 विधायकों को संसदीय सचिव बना सकती है। संसदीय सचिवों को सीएम समेत एक_एक मंत्री के साथ अटैच कर दिया जाएगा। इनको मंत्री दर्जा भी दिया जाएगा। संसदीय सचिवों को मंत्रियों के साथ सरकारी आवास,वाहन और अन्य सुविधाएं दी जाएंगी।
इन विधायकों को मिल सकता है मौका
भैयालाल राजवाड़े, प्रबोध मिंज, गोमती साय, प्रणव कुमार, योगेश्वर राजू, मोतीलाल साहू, ललित चंद्राकर, विक्रम उसेंडी
नीलकंठ टेकाम, चैतराम अटामी, विनायक गोयल
संसदीय सचिवों पर सवाल
संसदीय सचिव बनाने का मसला हमेशा से पेचीदा रहा है। पिछली भूपेश सरकार ने अपने नेताओं को उपकृत करने के लिए संसदीय सचिव नियुक्त किए थे। 15 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया गया था। उस वक्त विपक्षी पार्टी बीजेपी ने इस पर सवाल उठाए थे। अब वहीं ये कदम उठाने जा रही है। यानी पार्टियों के लिए ये राजनीतिक मजबूरी जैसा कदम है। अब कांग्रेस संसदीय सचिव बनाने को लेकर आपत्ति उठा रही है।
निगम-मंडलों में भी होंगी नियुक्तियां
सरकार लोकसभा चुनाव के बाद खाली निगम-मंडलों में भी राजनीतिक नियुक्तियां कर सकती है। बीजेपी की सरकार बनते ही सारे निगम-मंडलों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया है। बीजेपी सरकार ने कांग्रेस सरकार के 21 निगम-मंडल और आयोगों के अध्यक्ष समेत 32 नेताओं की नियुक्तियां रद्द कर दी हैं। वहीं कुछ निगम-मंडल के पदाधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया था। प्रदेश में लगभग 50 से ज्यादा निगम-मंडल,आयोग हैं जिनमें राजनीतिक नियुक्तियां की जानी हैं। इनमें 250 से ज्यादा नेताओं को एडजेस्ट किया जा सकता है। निगम-मंडल आयोग के अध्यक्षों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाता है। इसके साथ ही उन्हें वेतन-भत्ता, वाहन, आवास की भी सुविधा दी जाती है।
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इनमें हो सकती है पहले ताजपोशी
पाठ्य पुस्तक निगम, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम, छग मेडिकल सर्विसेस निगम, अपैक्स बैंक, खनिज विकास निगम, रायपुर विकास प्राधिकरण, छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल, छत्तीसगढ़ भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल, मदरसा बोर्ड, छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्यामंडलम, राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था, छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण मंडल, राज्य जीव जन्तु कल्याण बोर्ड, सीएसआईडीसी और सिंधी अकादमी।
निकाय चुनाव के हिसाब से नियुक्तियां
सरकार आने वाले निकाय चुनाव के हिसाब से राजनीतिक संतुलन बनाने के लिए निगम_मंडल में ताजपोशी करेगी। इसमें जातिगत और क्षेत्रीय संतुलन का ध्यान भी रखा जाएगा। संगठन के नेताओं को एडजस्ट करने के हिसाब से सरकार ये नियुक्तियां करेगी। कुछ को निगम-मंडल में पद देगी तो कुछ नेताओं को निकाय चुनाव में मेयर और नगरपालिका अध्यक्ष जैसे पदों पर टिकट देकर समन्वय बैठाया जाएगा।
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