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Photograph: (the sootr)
दवा खरीदी को लेकर "द सूत्र" की खबर के बाद व्यवस्था में बड़ा परिवर्तन होने जा रहा है। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन (CGMSC) के एमडी रितेश अग्रवाल बता रहे हैं कि दवा खरीदी प्रक्रिया के दौरान कॉरपोरेशन के विशेषज्ञ दवा कंपनियों में जाकर वहां का भौतिक परीक्षण करेंगे। इस दौरान दवा कंपनियों द्वारा घोषित बातों की जांच की जाएगी। जिससे दवा की क्वॉलिटी में सुधार हो सकेगा।
रितेश अग्रवाल यह भी बता रहे हैं कि इसके बिना दवा खरीदी नहीं की जाएगी। बता दें कि "द सूत्र" ने मध्यप्रदेश की घटना के बाद छग में शासकीय दवा खरीदी में चल रही लापरवाही को लेकर खबर प्रकाशित की थी।
कोरोना काल से बंद है जांच
CGMSC यानि छग मेडिकल सर्विसेस कॉरपोरेशन के स्थापना के दौरान ही दवा खरीदी के दौरान कॉरपोरेशन के विशेषज्ञों द्वारा कंपनी की निरीक्षण का नियम बनाया गया था। लेकिन कोरोना काल के दौरान इस व्यवस्था पर कुछ दिनो के लिए रोक लगा दी गई थी। लेकिन हद तो यह है कि कोरोना के तीनों वेब समाप्त होने के बाद भी निरीक्षण पर लगी रोक नहीं हटाई गई। केवल कंपनियों के एक सर्टिफिकेट के आधार पर दवाओं के सैंपल लगातार फेल होने के पीछे एक मुख्य कारण यह भी बताया जा रहा है।
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CGMSC द्वारा दवा कंपनियों का निरीक्षण की योजना को ऐसे समझेंCGMSC द्वारा दवा कंपनियों का निरीक्षण: दवा खरीदी प्रक्रिया में बदलाव करते हुए CGMSC अब दवा कंपनियों का भौतिक निरीक्षण करेगा, ताकि दवाओं की गुणवत्ता में सुधार किया जा सके। कोरोना काल में रोक लगी थी: कोरोना के दौरान दवा कंपनियों की जांच पर रोक लगी थी, लेकिन अब इसे फिर से लागू किया जाएगा, जिससे दवाइयों की गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके। विशेषज्ञ टीम बनाई जाएगी: CGMSC दवा कंपनियों का निरीक्षण करने के लिए एक विशेष टीम का गठन करेगा, जो कंपनियों की उत्पादन प्रक्रिया और संसाधनों का परीक्षण करेगी। दवाइयों की गुणवत्ता पर जोर: राज्य अब केवल प्रमाणित और उच्च मानक वाली कंपनियों से ही दवा खरीदेगा, ताकि जनता को सुरक्षित और प्रभावी दवाइयां मिल सकें। दवा कंपनियों के लिए सख्त नियम: दवा कंपनियों को अपनी उत्पादन प्रक्रिया की पूरी जानकारी और प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने होंगे, जिससे पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके। |
विशेषज्ञों की टीम बनाएंगे एमडी
द सूत्र से बातचीत के दौरान CGMSC एमडी रितेश अग्रवाल बता रहे हैं कि ऐसा करने के लिए एक स्पेशल टीम बनाई जाएगी। क्योंकि रोक लगने के साथ ही अतिरिक्त फार्मासिस्टों को उनके मूल पदस्थापना में वापस भेज दिया गया था। लेकिन अब वापस से एक टीम बनाई जाएगी।
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इन चीजों को जांचेंगे विशेषज्ञ
विशेषज्ञ कंपनियों में जाकर वहां इस्तेमाल हो रही मशीन, रॉ मैटेरियल, मैन पॉवर के योग्यता की जांच करेंगे। बता दें कि हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में कई ऐसी कंपनियां हैं जो एक कमरे में ही बिना संसाधनों के संचालित हो रहे हैं। जिनकी दवाईयों पूरे देश में सप्लाई हो रही हैं। लेकिन छग ऐसी कंपनियों से दवा नहीं खरीदेगा।