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Raipur. कांग्रेस ने शुरु से ही एसआईआर पर सवाल उठाए हैं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने निगरानी कमेटी बनाई है जो पूरे प्रदेश में एसआईआर के काम की निगरानी करेगी। निगरानी कमेटी की पहली बैठक में इसकी पूरी रुपरेखा खींची गई। पूर्व मंत्री और कांग्रेस एसआईआर निगरानी समिति के संयोजक मोहन मरकाम ने कहा कि कांग्रेस मांग करती है कि आयोग यह तय करे कि एसआईआर के काम में पारदर्शिता और ईमानदारी हो। कांग्रेस ने पहले भी कहा था आयोग यह बताए कि एसआईआर किसी राजनैतिक दल का एजेंडा नहीं है। एसआईआर का काम मूल रूप से बीएलओ के माध्यम से ही पूरा होगा। बीएलओ घर-घर जा कर दस्तावेज का मिलान करेगा।
हर घर में पहुंचना चाहिए बीएलओ : .
मरकाम ने कहा कि कांग्रेस पार्टी मांग करती है बीएलओ हर घर में भौतिक रूप से जरूर पहुंचे यह सुनिश्चित किया जाए और बीएलओ जब मतदाता के घर आए तो उसके आने की पुष्टि प्रमाण पत्र मतदाता से लिखवा कर ले। इससे यह सुनिश्चित हो जाएगा कि बीएलओ ने एक जगह बैठ कर कागजी सर्वे नहीं किया। निर्वाचन आयोग को मतदाता सूची का इलेक्ट्रॉनिक डेटा सभी राजनीतिक दलों को उपलब्ध कराना चाहिए और किसी भी संशोधन से पहले सभी दलों के बीएलए से चर्चा करनी चाहिए, इसके बिना किसी भी नागरिक से मतदान का अधिकार छीनना लोकतंत्र के खिलाफ अपराध है।
किसी मतदाता का नाम सूची से काटा जाए तो वह अपात्र है यह प्रमाणित करने का दायित्व आयोग का होना चाहिए न कि मतदाता का। मतदाता को उसके दस्तावेज प्रस्तुत करने का पूरा समय दिया जाए। एसआईआर के काम में नीयत सही होनी चाहिए, उसका लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं का नाम जोड़ने का होना चाहिए न कि काटने का। एसआईआर का काम विशुद्ध रूप से अयोग का दिखना चाहिए, न कि सरकार या दल विशेष का एजेंडा प्रदर्शित हो।
वोट डीलिट करने की कोशिश न हो :
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि सत्ताधारी दल के राजनीतिक लाभ के लिए एक सेट पैटर्न में फिल्टर लगाकर वोट डीलिट करने की कोशिश नहीं होना चाहिये। एसआईआर चुनाव आयोग का काम है तो उसके बारे में कोई सवाल खड़ा होता है या प्रक्रिया में परेशानी आती है तो उसका निराकरण करना, जवाब देना आयोग का काम है। बीजेपी किस हैसियत से इसका जवाब देने की तैयारी कर रही है। क्या बीजेपी आयोग की प्रवक्ता है।
आयोग बीजेपी से स्पष्टीकरण मांगे के एसआईआर पर आम जनता और विपक्ष के सवालों का जवाब देने का अधिकार उसे किसने दिया है। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष एवं एसआईआर कमेटी के सह संयोजक धनेन्द्र साहू ने कहा कि दस्तावेज जमा करने और सत्यापन के लिए मतदाता को दी जा रही। समय सीमा 1 माह अपर्याप्त है। वर्तमान में राज्य में धान कटाई का समय चल रहा उसके बाद धान बेचने किसानों को सोसायटी में जाना पड़ता है, अतः यह समय बढ़ाना आवश्यक है।
छत्तीसगढ़ जैसे राज्य जहां चुनाव में पर्याप्त 3 साल का समय है, वहां यह जल्द बाजी क्यो। इस समय सीमा को बढ़ा कर न्यूनतम तीन माह किया जाना चाहिए। एआईसीसी सचिव देवेन्द्र यादव ने कहा कि बीजेपी आयोग के साथ मिलकर मतदाता सूची में गड़बड़ी कर रही है। पूरे देश में यह स्थितियां बनी है। बिहार में भी यही हुआ। छत्तीसगढ़ में हम निगरानी रखेंगे की किसी का नाम गलत ढंग से ना काटा जा सके।
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