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Raipur. छत्तीसगढ़ के 140 करोड़ के कस्टम मिलिंग घोटाले के किंगपिन मनोज सोनी और रोशन चंद्राकर जिन के इशारों पर काम कर रहे थे वे थे तत्कालीन आईएएस अनिल टुटेजा और नेता अनवर ढेबर। पिछली सरकार में हुए हर घोटाले में इस जुगल जोड़ी की भूमिका भी नजर आ जाती है।
एसीबी और ईओब्ल्यू की कोर्ट में सम्मिट की गई चार्जशीट में इन दोनों की अहम भूमिका को डीटेल में बताया गया है। ये दोनों उस समय की कांग्रेस सरकार को कंट्रोल कर रहे थे।
इनकी मर्जी से ही आबकारी,पीडब्ल्यूडी,वन,बिजली और मार्कफेड जैसे कई विभागों के ठेके,उनकी प्लानिंग और यहां तक कि अधिकारियों की पोस्टिंग भी होती थी। जांच एजेंसी को इनसे जुड़े कई मौखिक और डिजिटल साक्ष्य मिले हैं।
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ढेबर और टुटेजा का सरकार पर कंट्रोल :
चार्जशीट में लिखा है कि अनवर ढेबर कांग्रेस सरकार में बेहद प्रभावशाली व्यक्ति था। वो सिर्फ कस्टम मिलिंग स्कैम और शराब घोटाले तक ही सीमित नहीं था बल्कि सरकार के अन्य महत्वपूर्ण विभागों को भी वो अनिल टुटेजा के साथ मिलकर कंट्रोल करता था।
इन्कमटैक्स की सर्च कार्रवाई के दौरान जब्त किए गए डिजिटल साक्ष्य जिसमें खासतौर पर व्हाट्सएप चैट इस बात को प्रमाणित करते हैं कि अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा के बीच लोक निर्माण विभाग (PWD), वन विभाग, विद्युत विभाग और मार्कफेड समेत अन्य अहम विभागों की योजनाओं, ठेकों और अधिकारियों की पोस्टिंग से जुड़ा डिस्कशन नियमित रूप से होता था।
इन साक्ष्यों से यह साफ है कि अनवर ढेबर सरकारी सिस्टम की इंटरनल प्रोसेस पर सीधे तौर पर कंट्रोल किए हुए था। उसके प्रभाव के बिना विभागीय फैसलों और उसका क्रियान्वयन नहीं होता था।
डिजिटल सबूत उसके राजनीतिक और प्रशासनिक प्रभाव और उसके डायरेक्ट इंटरफेयरेस को साफ तौर पर दिखाते हैं। उसकी भूमिका अवैध वसूली के साथ साथ निजी व्यक्तियों और राजनीतिक व्यक्तियों के लिए घोटाले से मिली रकम को कलेक्ट करने और उसे बांटने में रही है।
टुटेजा और ढेबर का कस्टम मिलिंग कनेक्शन :
चार्जशीट में कहा गया है कि आयकर विभाग द्वारा जब्त व्हाट्सएप चैट और अन्य डिजिटल दस्तावेजों से यह साबित होता है कि अनिल टुटेजा विभिन्न विभागों के ठेके, योजनाएं और पोस्टिंग में सीधा हस्तक्षेप करते थे।
इसी प्रभाव का उपयोग कर उन्होंने रोशन चंद्राकर के साथ आपराधिक षड्यंत्र करके विशेष प्रोत्साहन राशि को 40 रुपये से 120 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़वाया, ताकि उसमें से 20–20 रुपये प्रति क्विंटल की अवैध वसूली की जा सके। रोशन चंद्राकर को एसोसिएशन का कोषाध्यक्ष बनवाने में भी उनकी सीधी भूमिका रही, ताकि पूरे प्रदेश में उनका विश्वासपात्र व्यक्ति राइस मिलरों से अवैध वसूली कर सके।
साक्ष्यों से यह भी साबित होता है कि अनिल टुटेजा को इस अवैध वसूली से लगभग 20–22 करोड़ रुपये अनवर ढेबर के माध्यम से प्राप्त हुए। जब्त डिजिटल साक्ष्यों और गवाह सिद्धार्थ सिंघानिया के बयान से यह साबित होता है कि अनवर ढेबर ने अनिल टुटेजा और रोशन चंद्राकर के साथ मिलकर कस्टम मिलिंग की अवैध वसूली में प्रमुख भूमिका निभाई।
ढेबर आबकारी घोटाले में भी अवैध कलेक्शन का काम देखता था। और कस्टम मिलिंग में भी पार्टी फंड और निजी लाभ के लिए एक हिस्सा अपने पास रखकर बाकी राशि अनिल टुटेजा तक पहुंचा रहा था।
अवैध धन की वसूली के लिए अलग-अलग फोन, फेकटाइम आईडी, अलग-अलग स्थानों पर नकदी उठाने और पहुंचाने की पूरी कड़ी सामने आ गई है।
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कस्टम मिलिंग की अवैध वसूली का आदेश :
जांच एजेंसी के इन्वेस्टीगेशन में यह सामने आया कि अनवर ढेबर ने रोशन चंद्राकर और अनिल टुटेजा के साथ आपराधिक षड्यंत्र कर विशेष प्रोत्साहन राशि के भुगतान के एवज में की गई अवैध वसूली के एक हिस्से का संग्रहण और उपयोग किया। गवाह सिद्धार्थ सिंघानिया ने बताया गया कि आबकारी विभाग में कार्य करने के कारण उसकी पहचान अनवर ढेबर से थी।
मार्च 2023 में अनवर ढेबर ने अपने फेसटाइम नंबर से सिद्धार्थ सिंघानिया के मोबाइल पर कॉल कर कहा गया कि मार्कफेड में धान मिलिंग में विभिन्न जिलों के राइस मिलर्स से अवैध उगाही की धनराशि का कलेक्शन रोशन चंद्राकर के माध्यम से कर के पैसे अनिल टुटेजा तक पहुंचाना है।
सिद्धार्थ सिंघानिया के अनवर ढेबर से पूछने पर कि हम यह काम क्यों करें, तब अनवर ढेबर ने बताया कि कस्टम मिलिंग की अवैध वसूली का संग्रहण रामगोपाल अग्रवाल के द्वारा किया जा रहा था। और उसके बाद पार्टी फंड में भेजा जा रहा था।
लेकिन केंद्रीय संस्थाओं के छापे के बाद वे फरार चल रहे हैं, उसके काम करने वाले लड़के भी फरार हैं। अनिल टुटेजा के लिये कस्टम मिलिंग का अवैध पैसा कलेक्शन हमारे द्वारा किया जाना है। अनवर ढेबर ने सिद्धार्थ सिंघानिया को बताया कि उसको इस पैसे में कुछ प्रतिशत कमीशन के रूप में मिलेगा। इस तरह कस्टम मिलिंग में भ्रष्टाचार का यह खेल चलता रहा।
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